खनिज एवं ऊर्जा संसाधन | Mineral and Energy Resources MP GK

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खनिज एवं ऊर्जा संसाधन

• खनिज सम्पदा की दृष्टि से मध्य प्रदेश देश के 8 खनिज सम्पन्न राज्यों में से एक है। राज्य में खनिज भण्डार प्रचुर मात्रा में हैं। राज्य में लगभग 30 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं, जिसमें 20 प्रकार के खनिजों का उत्पादन मध्य प्रदेश राज्य द्वारा किया जाता है।

•आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, राज्य को भारत में हीरा उत्पादन में एकाधिकार प्राप्त होने के साथ-साथ मैंगनीज अयस्क तथा ताम्र अयस्क उत्पादन में भी प्रथम स्थान प्राप्त है।

• राज्य को रॉक फॉस्फेट, चूना पत्थर के उत्पादन में द्वितीय तथा कोयला उत्पादन में चौथा स्थान प्राप्त है। खनिज वितरण तथा उत्पादन में मध्य प्रदेश को देश में चौथा स्थान प्राप्त है, किन्तु खनिजों के भण्डार की दृष्टि से राज्य का तृतीय स्थान है।

• खनिज उत्पादन व उचित भण्डारण के लिए राज्य सरकार द्वारा 19 जनवरी, 1962 में मध्य प्रदेश राज्य खनिज विकास निगम की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय भोपाल में स्थित है।

 

☆ मध्य प्रदेश में खनिज वितरण

राज्य में खनिजों का वितरण विशिष्ट शैल समूह द्वारा निर्धारित होता है। अतः राज्य में खनिजों का वितरण असमान पाया जाता है।
राज्य के प्रमुख खनिज निम्नलिखित हैं।

◇ लौह-अयस्क

• राज्य के ग्वालियर, जबलपुर, विदिशा, खण्डवा तथा झाबुआ जिलों में लौह-अयस्क के निक्षेप मुख्य रूप से पाए जाते हैं।
• राज्य में मुख्य रूप से हेमेटाइट व मैग्नेटाइट लौह-अयस्क पाए जाते हैं।
• जबलपुर के उत्तर-पूर्वी भाग में बिजावर सीरीज में हेमेटाइट अयस्क के संचय हैं।
• इनमें अगरिया, सरोली, जौली, कन्हवारा पहाड़ियाँ और सिहोरा क्षेत्र के निक्षेप मुख्य हैं।

◇ मैंगनीज

• राज्य का मैंगनीज उत्पादन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके भण्डार आर्कियन काल की चट्टानों में पाए जाते हैं। यही कारण है कि मैंगनीज की प्रचुर मात्रा बालाघाट एवं छिन्दवाड़ा जिलों में पाई जाती है।
• इसका उपयोग इस्पात बनाने, रसायन उद्योग तथा शुष्क बैट्री बनाने में किया जाता है। राज्य में मैंगनीज का भण्डार लगभग 680 लाख टन है, जिसमें लगभग 500 लाख टन का भण्डार बालाघाट में पाया जाता है।
• भर्वेली (बालाघाट) एशिया की सबसे बड़ी मैंगनीज खान भर्वेली (बालघाट) में स्थित है।

• राज्य से मैंगनीज अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और रूस को निर्यात किया जाता है।

◇ ताँबा

• राज्य में ताँबा बालाघाट (मलाजखण्ड क्षेत्र), जबलपुर, सागर, होशंगाबाद तथा छतरपुर इत्यादि क्षेत्रों में पाया जाता है। मलाजखण्ड क्षेत्र का ताँबा उत्तम कोटि का होता है।
• ताँबा अयस्क के उत्पादन में राज्य को देश में प्रथम स्थान प्राप्त है, जबकि भण्डारण में द्वितीय स्थान प्राप्त है।
• राज्य में ताँबा कायान्तरित चट्टानों से प्राप्त होता है। चूँकि ताँबा सुचालक होता है, अतः इसका उपयोग बिजली उपकरणों में मुख्य रूप से किया जाता है।

◇ बॉक्साइट

• बॉक्साइट खनिज एल्युमीनियम धातु का अयस्क है। बॉक्साइट भण्डारण में राज्य का देश में पाँचवाँ स्थान है। यह दक्कन ट्रैप के ऊँचे पठारों में पाया जाता है।
• राज्य में बॉक्साइट के भण्डार जबलपुर, बालाघाट, अनूपपुर, मण्डला, सतना, रीवा, शहडोल एवं कटनी आदि जिलों में संचित पाए जाते हैं।

◇ चूना पत्थर

•चूना पत्थर रसायन, धात्विक उद्योगों तथा निर्माण कार्यों का मूल पदार्थ है। यह प्रायः सभी अवसादी शैलों में मिलते हैं।
• चूना-पत्थर के भण्डार क्रिटेशियस शैलों एवं विन्ध्यनयुगीन शैल समूहों में संचित है। राज्य में चूना-पत्थर सतना, रीवा, दमोह, कटनी, सागर, पन्ना, श्योपुर, मुरैना एवं नीमच आदि जिलों में पाया जाता है।
• चूना-पत्थर के उत्पादन में राज्य का देश में द्वितीय स्थान है।

◇ डोलोमाइट

• चूना-पत्थर में जब 45% से अधिक मैग्नीशियम पाया जाता है, तब उसे डोलोमाइट कहा जाता है।
• राज्य में डोलोमाइट के भण्डार बालाघाट, नरसिंहपुर, छतरपुर, सागर, मण्डला, कटनी, सिंगरौली, देवास, झाबुआ, जबलपुर एवं सिवनी आदि जिलों में पाए जाते हैं।
• इसका उपयोग सीमेण्ट के कारखाने, ढलाई तथा लोहा साफ करने में होता है।

◇ हीरा

• राज्य का पन्ना जिला हीरे के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान रखता है। यहाँ हीरे का क्षेत्र 90 किमी लम्बी एवं 15 किमी चौड़ी पट्टी में विस्तृत है।
• पन्ना के निकट मझगवाँ क्षेत्र में स्थित किम्बरलाइट पाइप्स से ही हीरे का उत्पादन होता है।
• राज्य में हीरा उत्पादक क्षेत्रों में पन्ना जिले के पन्ना और हनोता, सतना जिले के मझगवाँ तथा छतरपुर जिले के अंगोर आदि प्रमुख हैं।
• हीरे की प्रमुख किस्मों कोहिनूर, महान् मुगल पिट, ओरलोक आदि का खनन इसी प्रदेश से हुआ है। राज्य में हीरे का अधिकांश खनन नेशनल मिनरल डेवलपमेण्ट कॉर्पोरेशन द्वारा कराया जाता है।

◇ टंगस्टन

• टंगस्टन वूलफ्राम खनिज के रूप में पाया जाता है। राज्य में इसका उत्पादन अगरगाँव (होशंगाबाद) में किया जाता है।
• इसका उपयोग विद्युत बल्ब के बनाने तन्तु एवं इस्पात काटने में किया जाता है।

◇ चीनी मिट्टी

• इसे केओलिन नाम से भी जाना जाता है।
• चीनी मिट्टी राज्य में मुख्य रूप से जबलपुर, ग्वालियर, रीवा आदि जिलों में पाई जाती है।
• सिरेमिक तथा रिफैक्टरी वर्क्स जबलपुर, प्रदेश का सबसे पुराना चीनी मिट्टी की वस्तुएँ बनाने का कारखाना है।

◇ संगमरमर

• संगमरमर राज्य के जबलपुर, ग्वालियर तथा छिन्दवाड़ा जिलों में मुख्य रूप से पाया जाता है।
• जबलपुर में श्वेत, बैतूल, सिवनी तथा नरसिंहपुर में रंगीन एवं ग्वालियर में लाल-पीला संगमरमर मिलता है।

◇ कोयला

• राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, प्रदेश में कोयले के भण्डार 27,673 मिलियन टन (2016-17) हैं।
• इस दृष्टि से मध्य प्रदेश का देश में से झारखण्ड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिम बंगाल के पश्चात् पाँचवाँ स्थान आता है, जबकि उत्पादन में राज्य को चौथा स्थान प्राप्त है। राज्य में बिटुमिनस प्रकार का कोयला सर्वाधिक पाई जाती है।
• मध्य प्रदेश के पूर्वी तथा दक्षिणी भाग के गोण्डवाना कल्प क्षेत्र में कोयला भण्डार स्थित हैं, जिन्हें दो भागों में बाँटा गया है।

(i) मध्य भारत कोयला क्षेत्र इसे विन्ध्य प्रदेश कोयला क्षेत्र भी कहते हैं। यह राज्य के पूर्वी जिलों सिंगरौली, उमरिया, सीधी और शहडोल में स्थित है। प्रदेश का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र सोहागपुर (शहडोल) है।

(ii) सतपुड़ा कोयला क्षेत्र यह क्षेत्र राज्य के दक्षिणी जिलों बैतूल, होशंगाबाद एवं छिन्दवाड़ा में स्थित है। इसका विस्तार कान्हन घाटी, मोहपानी, शहपुरा, तवा क्षेत्र तथा पेंच घाटी क्षेत्र में है।

 

 

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