अध्याय 2. भारत में राष्ट्रवाद / Nationalism in india

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भारत में राष्ट्रवाद प्रथम विश्वयुद्ध रॉलट एक्ट खिलाफत आंदोलन असहयोग आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन

 

राष्ट्रवाद क्या है?
राष्ट्रवाद एक विचारधारा है जो उन लोगों द्वारा व्यक्त की जाती है जो यह मानते हैं कि उनका राष्ट्र अन्य सभी से श्रेष्ठ है। श्रेष्ठता की ये भावनाएँ अक्सर समान जातीयता, भाषा, धर्म, संस्कृति या सामाजिक मूल्यों पर आधारित होती हैं।

 

★ भारत में राष्ट्रवाद

● 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम

● 1885 में कांग्रेस कमेटी की स्थापना हुई।

● 1905 में अबनींद्रनाथ टैगोर ने भारत माता का चित्र बनाया ।

● 1911 में दिल्ली दरबार का आयोजन।

● 1915 में गाँधी जी स्वदेश वापसी।

● 1919 में रॉलट एक्ट कानून बना।

● 1920 ख़िलाफ़त आंदोलन की शुरुआत मोहम्मद अली व शौकत अली ने की।

● 13 अप्रैल 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ।

● 1921 में असहयोग आंदोलन हुआ।

● 1930 सविनय अवज्ञा आंदोलन हुआ।

● 1931 में गाँधी-इरविन समझौत हुआ।

● 1932 गाँधी -अंबेडकर के बीच पूना पैक्ट हुआ।

● 1935 में भारत शासन अधिनियम पारित हुआ।

● 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई।

● 1946 में कैबिनेट मिशन भारत आया।

★ यूरोप में आधुनिक राष्ट्रवाद के साथ ही राष्ट्र-राज्यों का भी उदय हुआ। इससे लोगो में पहचान , भावना , और राष्ट्र के प्रति लगाव का भाव पैदा होने लगा। नए प्रतीकों और चिन्हों ने , नए गीतों और नए विचारों ने नए संपर्क स्थापित किए।

प्रथम विश्वयुद्ध :- 28 जुलाई, 1914 से 11 नवंबर, 1918 तक चले प्रथम विश्व युद्ध (WW I) को ‘महान युद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है।

● WW I मुख्य शक्तियों और मित्र देशों के मध्य लड़ा गया था।

● मित्र देशों में फ्राँस, रूस और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश शामिल थे। वर्ष 1917 के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका भी (मित्र देशों की ओर से) युद्ध में शामिल हो गया था।

● केंद्रीय शक्तियों में शामिल प्रमुख देशों में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया आदि देश थे।

★ युद्ध के कारण :- विश्व को WW I की ओर धकेलने वाले कारकों में कोई एक घटना प्रमुख नहीं था, बल्कि ऐसे बहुत से कारण थे जिनके सिलसिलेवार प्रकटन ने समस्त विश्व को इस भयानक त्रासदी को झेलने के लिये विवश कर दिया।

● राष्ट्रवाद
● सैन्यवाद
● साम्राज्यवाद
●परस्पर रक्षा सहयोग
● जर्मनी की नई अंतर्राष्ट्रीय विस्तारवादी नीति।

★ प्रथम विश्वयुद्ध का परिणाम

● प्रथम विश्वयुद्ध ने एक आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पैदा कर दी थी।

● 1913 से 1918 के बीच कीमतें दोगुना हो चुकी थी।

● गाँवो में सिपाहियों को जबरन भर्ती किया गया।

● 1921 की जनगणना के मुताबिक दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए।

● 1918-19 और 1920-21 में देश के बहुत हिस्सों में फसल खराब हो गई जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव पैदा हो गया।

★ महात्मा गाँधी :-

● नाम :- मोहनदास करमचंद गांधी
● पिता का नाम :- करमचंद गांधी

● माता का नाम :- पुतलीबाई

●जन्म दिनांक :- 2 अक्टूबर, 1869

● जन्म स्थान :- गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में

● पत्नि का नाम :- कस्तूरबा गांधी

 

● सन 1894 में किसी क़ानूनी विवाद के संबंध में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गये थे और वहाँ होने वाले अन्याय के खिलाफ ‘अवज्ञा आंदोलन ‘ चलाया और इसके पूर्ण होने के बाद भारत लौटे.

★ सत्याग्रह :- सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर ज़ोर दिया जाता था।

◆ अगर आपका उद्देश्य सच्चा है , यदि आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से लड़ने के लिए किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नही है।

● महात्मा गाँधी जनवरी 1915 में भारत लौटे।

● 1917 में बिहार के चंपारण इलाके में दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ नील की खेती करने वाले किसानों को प्रेरित किया।

● 1917 में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों को कर में छूट दिलवाने के लिए उनके संघर्ष में समर्थन दिया।

● 1918 में अहमदाबाद में कपड़ा कारखाने में काम करने वाले मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह आंदोलन किया।

◆ रॉलट एक्ट :- राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में बंद रखने का प्रावधान।

● भारत में राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने के लिए।

● भारतीय सदस्यों की सहमति के बगैर पास किया गया।

● 6 अप्रैल को गाँधी जी के नेतृत्व में एक अखिल भारतीय हड़ताल का आयोजन किया गया।

★ जलियाँवाला बाग हत्याकांड :- 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में घटित हुआ। कानून का विरोध प्रकट करने लिए एकत्रित हुए थे।

● शहर से बाहर के होने के कारण वहाँ जुटे लोगों को ये पता नही था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू कर दिया।

● जनरल डायर वहाँ पहुँचा , मैदान से बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद कर दिए।

● भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दी जिसमें सैकड़ो लोग मारे गए।

 

★ खिलाफत आंदोलन :- खिलाफत शब्द ‘ खलीफा ‘ से निकला हुआ है जो ऑटोमन तुर्की के सम्राट होने के साथ-साथ इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता भी थे।

● प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई थी।

● यह अफवाह फैल गई थी कि तुर्की पर एक अपमानजनक संधि थोपी जाएगी।

● खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए 1919 में अली बंधुओ द्वारा बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।

● मोहम्मद अली और शौकत अली बंधुओ ने खिलाफत आंदोलन चलाया।

● खिलाफत आंदोलन के दौरान हिंदू और मुस्लिम समीप आए।

 

★ असहयोग आंदोलन :-

कारण :- रॉलट एक्ट कानून , जलियांवाला बाग हत्याकांड , ब्रिटिश सरकार का अत्याचार , दमनकारी नीतियाँ , शोषण ।

● प्रभाव :- असहयोग आंदोलन जनवरी 1921 में शुरू हुआ।

1. शहरों में आंदोलन :- हज़ारो विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए। शिक्षकों ने इस्तीफ़े सौंप दिए। वकीलों ने मुक़दमे लड़ना बंद कर दिया । विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया , शराब की पिकेटिंग की गई और विदेशी कपड़ो की होली जलाई जाने लगी।

● पिकेटिंग :- प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान , फैक्ट्री या दफ़्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।

2. ग्रामीण इलाकों में विद्रोह :- शहरों से बढ़कर असहयोग आंदोलन देहात में भी फ़ैल गया। किसानों ने भारी-भरकम लगान और तरह-तरह के कर वसूल रहे जमीदारों और तालुकदारों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया।

● अवध में सन्यासी बाबा रामचंद्र किसानों का नेतृत्व कर रहे थे।

3. बागानों में स्वराज :- 1859 के इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट के तहत बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाज़त बागान से बाहर जाने की छूट नही होती थी। असहयोग आंदोलन के बारे में सुनते ही हज़ारों मजदूर अपने अधिकारीयों की अवहेलना करने लगे।

 

● चौरी चौरा कांड :- चौरी चौरा हिंसा की घटना के कारण फरवरी 1922 में आंदोलन वापस ले लिया।

◆ असहयोग आंदोलन की समाप्ति से लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन के शुरू होने तक कि मुख्य घटनाएं :-

● 1922 – में गांधी जी असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।

● 1923 – में ‘ स्वराज पार्टी ‘ का गठन किया।

● 1927 – में ब्रिटेन में साइमन कमिशन का गठन ताकि भारत में सवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन किया जा सके।

● 1928 – साइमन कमीशन का भारत आना – पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन ।

● 1929 – लॉर्ड इरविन द्वारा ‘ डोमिनियन स्टेटस ‘ का ऐलान।

● 1929 – लाहौर अधिवेशन में ‘ पूर्ण स्वराज ‘ की मांग।

● 1930 – ‘ स्वतंत्रता दिवस ‘ मनाया गया।

★ गोलमेज सम्मेलन :- तीन बार सम्मेलन लंदन में आयोजित किए गए थे ताकि भारत की भावी संविधान पर चर्चा की जा सके।

1. प्रथम सम्मेलन :- ( नवंबर 1930 – सितंबर 1931) जिसमें ब्रिटिश शासकों द्वारा भारतीयों को बराबर का दर्जा दिया गया

2. द्वितीय सम्मेलन :- ( सितंबर 1931 – दिसंबर 1931 )इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग लिया था जिसमें कांग्रेस की ओर से नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था।

3. तृतीय सम्मेलन :- ( नवंबर -दिसंबर 1932 ) कांग्रेस ने सम्मेलन का बहिष्कार किया।

 

★ सविनय अवज्ञा आंदोलन :- देश को एकजुट करने के लिए महात्मा गांधी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक दिखाई दिया।

◆ कारण :- 6 अप्रैल 1930 – मार्च 1931 ( गांधी इरविन समझौते की वजह से स्थगित )

◆ मुख्य घटनाएँ :-

● देश के विभिन्न हिस्से में नमक कानून का उल्लंघन
● विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
● शराब की दुकानों की पिकेटिंग
● वन कानूनों का उल्लंघन

◆ ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया :-
● कांग्रेस नेताओं को हिरासत में लिया गया
● शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों पर आक्रमण
● लगभग 1,00,000 गिरफ्तार

◆ आंदोलन में भाग लेने वाले :-
● अमीर किसान – ऊँचे लगान के विरोध में
● गरीब किसान – ऊँचा भाड़ा तथा ऊँचा लगान
● महिलाएं – महात्मा गांधी से प्रेरित होकर
● व्यवसायी वर्ग – औपनिवेशिक सरकार की व्यवसायिक नीतियों के खिलाफ

 

◆ आंदोलन का उद्देश्य :-

● असहयोग आंदोलन में लक्ष्य ‘ स्वराज ‘ इस बार पूर्ण स्वराज ‘
● असहयोग में कानून का उल्लंघन शामिल नह था जबकि इस आंदोलन में कानून तोड़ना शामिल था।

◆ सविनय अवज्ञा की सीमाएं :-

● 1920 के दशक के मध्य से कांग्रेस ‘ हिंदू महासभा ‘ जैसे हिंदू धार्मिक राष्ट्रवादी संगठनों के काफी करीब दिखने लगी थी।

● 1932 में पूना पैक्ट हुआ जिसमें अंबेडकर ने गाँधीजी की राय मान ली। जिससे दमित वर्गों ( जिन्हें बाद में अनुसूचित जाति के नाम से जाना गया )।

 

★ भारत छोड़ो आंदोलन :-

◆ परिचय :-
● 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया।

● गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में “करो या मरो” का आह्वान किया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है।

◆ कारण:
● क्रिप्स मिशन की विफलता: आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।

◆ चरण :-
● पहला चरण- शहरी विद्रोह, हड़ताल, बहिष्कार और धरने के रूप में चिह्नित, जिसे जल्दी दबा दिया गया था।
पूरे देश में हड़तालें तथा प्रदर्शन हुए तथा श्रमिकों ने कारखानों में काम न करके समर्थन प्रदान किया।
गांधीजी को पुणे के आगा खान पैलेस (Aga Khan Palace) में कैद कर दिया गया और लगभग सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

● दूसरे चरण में ध्यान ग्रामीण इलाकों में स्थानांतरित किया गया जिसमें एक प्रमुख किसान विद्रोह देखा गया, इसमें संचार प्रणालियों को बाधित करना मुख्य उद्देश्य था, जैसे कि रेलवे ट्रैक और स्टेशन, टेलीग्राफ तार व पोल, सरकारी भवनों पर हमले या औपनिवेशिक सत्ता का कोई अन्य दृश्य प्रतीक।

● अंतिम चरण में अलग-अलग इलाकों (बलिया, तमलुक, सतारा आदि) में राष्ट्रीय सरकारों या समानांतर सरकारों का गठन किया गया।

 

● राष्ट्रवाद का उदय:-

भारत छोड़ो आंदोलन के कारण देश में एकता और भाईचारे की एक विशिष्ट भावना पैदा हुई। कई छात्रों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिये और लोगों ने अपनी नौकरी छोड़ दी।

★ सामूहिक अपनेपन का भाव :- वे कारक जिन्होंने भारतीय लोगों में सामूहिक अपनेपन की भावना को जगाया तथा सभी भारतीयों लोगों को एक किया।

● चित्र व प्रतीक :- भारत माता की प्रथम छवि ‘ बंकिमचन्द्र ‘ द्वारा बनाई गई। इस छवी के माध्यम से राष्ट्र को पहचानने में मदद मिली।

● लोक कथाएँ :- राष्ट्रवादी घूम घूम कर इन लोक कथाओं का संकलन करने लगे ये कथाएँ परंपरागत संस्कृति की सही तस्वीर पेश करती थी तथा अपनी राष्ट्रीय पहचान को ढूढ़ने तथा अतीत में गौरव का भाव पैदा करती थी।

● चिन्ह :- उदाहरण झंडा- बंगाल में 1905 में स्वदेशी आंदोलन के दौरान सर्वप्रथम एक तिरंगा ( हरा , पीला , लाल ) जिसमें 8 कमल थे। 1921 तक आते आते महात्मा गांधी ने भी सफ़ेद , हरा और लाल रंग की तिरंगा तैयार कर लिया था।

● इतिहास की पूर्णव्याख्या :- बहुत से भारतीय महसूस करने लगे थे कि राष्ट्र के प्रति का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाना चाहिए बाकी भारतीय गर्व का अनुभव कर सके।

● गीत जैसे वंदे मातरम :- 1870 के दशक में बंकिम चन्द्र ने यह गीत लिखा मातृभूमि की स्तुति के रूप में । यह गीत बंगाल के स्वदेशी आंदोलन में खूब गया गया।

 

★ भारत में राष्ट्रवाद का उदय एवं विकास :-

● औपनिवेशिक प्रशासन
● भारतीय पुनर्जागरण
● पाश्चात्य शिक्षा एवं चिन्तन
● प्रेस तथा समाचार-पत्रों की
● समकालीन यूरोपीय आंदोलन का प्रभाव
● तात्कालिक कारण

★ भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण :-

● शोषणकारी आर्थिक नीति
● प्रशासनिक एकीकरण
● यातायात एवं संचार के साधनों का विकास
● प्रेस एवं साहित्य की भूमिका
● सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन
● जातीय भेदभाव
● लार्ड लिटन की नीति
● इल्बर्ट बिल विवाद
● विभिन्न संस्थाओं की स्थापना

 

★ भारत में राष्ट्रवाद की टाइमलाइन

● 1857: भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम
● 1867: कलकता में हिन्दू मेला
● 1870: के दशक में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा वन्दे मातरम् की रचना
● 1875: आर्य समाज की स्थापना
● 1882: आनन्दमठ का प्रकाशन
● 1885: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना
● 1905 : स्वदेशी आन्दोलन
● 1913: गदर आन्दोलन
● 1916: होम रूल आन्दोलन
● मार्च 1931: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव
● मार्च 1942: टोकियो में रास बिहारी बोस द्वारा भारतीय स्वतंत्रता लीग की स्थापना
● अक्टूबर 1943: सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आजाद हिन्द की स्थापना
● 1946: जलसेना का विद्रोह
● 1947: भारत बना स्वतंत्र

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