अध्याय 1: फांसीसी क्रांति | French Revolution

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फांसीसी क्रांति

 

फ्रांस की क्रांति कब हुई फ्रांसीसी क्रांति के कारण फ्रांसीसी क्रांति का यूरोप पर क्या प्रभाव पड़ा मानवाधिकारो की घोषणा एक नए युग का आगमन।

फ्रंसीसी क्रांति ने फ्रांस में राजतंत्र को समाप्त कर दिया। मानव अधिकार घोषणा पत्र एक नए युग के आगमन की शुरूआत था। आज हम मुक्ति , स्वतंत्रता और समानता को सहज-सुलभ मान कर चलते हैं। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि इन सबका भी इतिहास रहा है।

 

☆ फ़्रांसीसी क्रांति :-

1789 ई0 की फ़्रांस की क्रान्ति आधुनिक युग की एक महत्वपूर्ण घटना है। यह क्रांति निरंकुश राजतंत्र, सामंती शोषण वर्ग, विशेष अधिकार प्राप्त वर्ग तथा प्रजा की भलाई के प्रति शासकों की उदासीनता के विरूद्ध प्रारम्भ हुई थी।

 

☆1789 की फ्रांसीसी क्रांति का मुख्य कारण दितीय और तृतीय स्टेट के लोगों को असम्मान एवं शोषण करना है। फ्रांस के राजा लुई 16वें एक निरंकुश राजा थे, और एक अयोग्य शासक भी थे, वह अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी कार्य कर देते हैं, हमेशा भोग विलास में लिप्त रहते थे।

 

• 1789 में फ्रांसीसी क्रांति शुरू हुई।

• क्रांति की शुरुआत 14 जुलाई , 1789 को बास्तील किले से हुई।

• लोगों ने राजशाही के क्रूर शासन के खिलाफ विद्रोह किया।

 

○समाज में तीन प्रकार के स्टेट बनाए हुए थे।

1.प्रथम स्टेट में पादरी वर्ग आता था, जिनके पास अपार धन संपदा से उन्हें राजा द्वारा कई सुविधाएं एवं मान सम्मान प्राप्त था।

2. द्वितीय स्टेट क लोग कुलीन वर्ग में शामिल थे, उनको कम मान सम्मान प्राप्त था, परंतु इनको किसी प्रकार का शोषण ना के बराबर होता है, कुलिन जाति के लोग के पास धन कम ही होता।

3.तृतीय स्टेट में जनसाधारण लोग आते थे, जिनके पास को विशेष अधिकार नहीं था, उनको हमेशा शोषण किया जाता था, उन्हें बलपूर्वक काम करवाया जाता उन्हें बंधुआ मजदूर की तरह कार्य कराए जाता था।

इसी वर्ग के लोगों ने राजा के खिलाफ 1789 में क्रांतिकारी जोकि सफल एवं दुनिया का सबसे पहले क्रांति थी।

 

 

☆ फ्रांसीसी क्रांति के कारण :-

1789 की फ्रांसीसी क्रांति का मुख्य कारण तृतीय स्टेट के लोगों का असम्मान एवं शोषण करना है। निरंकुश शासन के खिलाफ विद्रोह किया।

 

○ सामाजिक कारण :-

अठारहवीं शताब्दी के दौरान फ्रंसीसी समाज तीन वर्गों में विभाजित था।

• प्रथम स्टेट :- जिसमें चर्च के पादरी आते थे।

• द्वितीय स्टेट :- जिसमें फ्रांसीसी समाज का कुलीन वर्ग आता है।

• तृतीय स्टेट :- जिसमें बड़े व्यवसायी , व्यापारी , अदालती कर्मचारी , वकील , किसान , कारीगर , भूमिहीन मजदूर , नौकर आते थे।

 

 

◆ लगभग 60% जमीनों पर कुलीनों , चर्च और तीसरे एस्टेट के अमीरों का आधिकार था।

• प्रथम दो एस्टेट पादरी वर्ग और कुलीन वर्ग के लोगों को जन्म से कुछ विशेषाधिकार प्प्राप्त थे।

• जैसे राज्य को दिए जाने कर ( टैक्स) से छूट।

• राज्य के सभी टैक्स केवल तृतीय एस्टेट द्वारा लिया जाता था।

 

○ टाईथ  :- तृतीय एस्टेट से चर्च द्वारा वसूला जाने वाला कर था।

○ टाइल :- तृतीय एस्टेट से सरकार द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स था।

 

 

☆ फ्रांसीसी क्रांति के आर्थिक कारण :-

• फ़्रांस की जनसंख्या 1715 में लगभग 2.3 करोड़। से बढ़कर 1789 में 2.8 करोड़ हो गई।

• अनाज उत्पादन की तुलना में उसकी माँग तेजी से बढ़ी। अधिकांश लोगों के मुख्य खाद्य पावरोटी की कीमत में तेजी से वृद्धि हुई।

• अधिकतर कामगार में मजदूरी करते थे और उनकी मजदूरी मालिक तय करते थे। लेकिन मजदूरी महंगाई की दर से नही बढ़ रही थी।

• जिसके कारण अमीरी-गरीबी के बीच खाई चौड़ी हो गयी।

• सूखे या ओले के प्रकोप के कारण स्थिति और बदतर होती जा रही थी।

• 12 अरब लिब्रे के कर्ज , राजकोष खाली हो गया , जीविका संकट पैदा हो गया।

 

 

☆ फ़्रांसिसी क्रांति के राजनीतिक कारण :-

• अठारहवीं शताब्दी के दौरान फ्रांस निरंकुश राजशाही का केंद्र था। फ्रांसीसी राजाओं के पास असीमित शक्ति थी और उन्होंने खुद को “ईश्वर का प्रतिनिधि” घोषित किया।

• निरंकुश राजशाही, दोषपूर्ण प्रशासन, असाधारण खर्च ने फ्रांसीसी क्रांति के राजनीतिक कारण का गठन किया।

• युद्धों और विलासिता में अधिक खर्च के कारण फ्रांस दिवालिया हो गया।अयोग्य शासन

 

 

 

☆ मध्यवर्ग :- 18 वीं सदी में एक नए सामाजिक समूह का उदय हुआ जिसे मध्यवर्ग कहा गया।

• मध्यवर्ग को राजनीति अधिकार बिल्कुल नही मिले थे। इस वर्ग का समाज में कोई विशेष सम्मान नही था।

• बुर्जुआ या माध्यम वर्ग में लेखक , डॉक्टर , जज , वकील , अध्यापक और असैनिक अधिकारी जैसे शिक्षित व्यक्ति तथा व्यापारी , बैंकर और कारखाने वाले धनी व्यक्ति शामिल थे।

• यह सभी पढ़े लिखे होते थे और इनका मानना था कि समाज के किसी भी समूह के पास जन्म से विशेषधिकार नही होना चाहिए।

 

 

☆ लुई xvi :- 1774 में लुई xvi फ्रांस की राजगद्दी पर आसीन हुआ। वह फ्रांस के बूर्वो राजवंश के राजा था। उसका विवाह आस्ट्रिया की राजकुमारी मेरी एन्टोएनेत से हुआ था।

 

○ राज्यारोहण के समय उसका राजकोष खाली था जिसके निम्नलिखित कारण थे :-

• लंबे युद्धों के कारण वित्तिय संसाधनों का नष्ट होना।
•पूर्वती राजाओं की शानो शौकत पर फिजूलखर्ची।
• जनसंख्या 1715 में 2.3 करोड़ थी जो 1789 में 2.8 करोड़ हो गई।
• रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया ।
•अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष में ब्रिटेन के खिलाफ अमेरिका की सहायता करना।

 

 

 

☆ फ़्रांसीसी क्रांति की शुरुआत :-

• फ़्रांसीसी सम्राट लुई xvi ने 5 मई 1789 को नये करो के प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए एस्टेट्स जनरल की बैठक बुलाई।

• एस्टेट जनरल में मतदान ‘एस्टेट’ के आधार पर होता था न कि व्यक्ति के आधार पर।

• लेकिन इस बार तीसरे एस्टेट के लोग व्यक्ति आधारित मतदान की माँग करने लगे।

• लुई xvi ने उनकी माँग खारिज कर दी जिसके विरोध में तीसरे एस्टेट के लोगों ने बैठक कर सभा से बाहर चले गए।

• इधर पूरे फ्रांस में महंगाई और अफवाहों का बाज़ार गर्म था और जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन होने लगे।

• 14 जुलाई 1789 को क्रुद्ध भीड़ ने बास्टिल के किले को तोड़ दिया । बास्टिल का किला सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था।

 

 

 

☆ फ़्रांस संवैधानिक राजतंत्र :-

• 20 जून 1789 को लोग वर्साय के एक टेनिस कोर्ट में एकत्रित हुए और अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया।

• अपनी विद्रोही प्रजा की शक्तियों का अनुमान करके लुई xvi ने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी।

• 4 अगस्त 1789 की रात को असेंबली ने करों , कर्तव्यों और बंधनो वाली सामंती व्यवस्था के उन्मूलन का आदेश पारित कर दिया।

• 1791 में फ़्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की नीव पड़ी।

 

 

☆ नेशनल असेंबली का उद्देश्य :-

• इसका मुख्य उद्देश्य था सम्राट की शक्तियों को सीमित करना।

• एक व्यक्ति के हाथ में केंद्रीकृत होने के बजाय अब इन शक्तियों को अलग-अलग संस्थाओं में बांटा जाएगा।

• जैसे – विधायिका , कार्यपालिका एवं न्यायपालिका।

• सन 1791 के संविधान ने कानून बनाने का अधिकार नेशनल असेंबली को सौंप दिया।

 

 

☆नए संविधान के अनुसार :-
1. मतदान का अधिकार केवल सक्रिय नागरिकों को मिला जो:-
• पुरूष थे
• जिनकी उम्र 25 वर्ष से अधिक थी,
• जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे।
2. महिलाओं एवं अन्य पुरुषों को निष्क्रिय नागरिक कहा है।
3. राजा की शक्तियों को विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित हस्तान्तरित कर दिया गया।

 

 

 

☆ राजनीति प्रतीकों के मायने :-

18 वीं सदी में ज्यादातर स्त्री-पुरुष पढ़े- लिखे नही थे इसलिए महत्वपूर्ण विचारों का प्रसार करने के लिए छपे हुए शब्दों के बजाय अक्सर आकृतियों और प्रतीकों किया जाता था।

◇ टूटी हुई जंजीर :- दासों को बांधने के लिए जंजीरों का प्रयोग किया जाता था टूटी हुई हथकड़ी उनकी आजादी का प्रतीक है।

◇ छड़ो का गठ्ठर :- अकेली छड़ को आसानी से तोड़ा जा सकता है पर पूरे गठ्ठर को नही एकता में ही बल है का प्रतीक है।

◇ त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आंख :- सर्वदर्शी आंख ज्ञान का प्रतीक है सूरज की किरणें अज्ञान रूपी अंधेरे को मिटा देती हैं

 

◇ राजदंड :- शाही सत्ता का प्रतीक है।

◇ अपनी पूंछ मुंह में लिए सांप :- समानता का प्रतीक अंगूठा का कोई और छोर नही होता ।

 

 

☆ गिलोटिन क्या था ?
गिलोटिन दो खंभों के बीच लटकते आरे वाली मशीन था जिस पर रखकर अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था इस मशीन का नाम इसके आविष्कारक डॉ. गिलोटिन के नाम पर पड़ा

 

 

☆ डिरेक्ट्री शासित फ़्रांस :- रोबिस्पयेर के पतन के बाद फ़्रांस का शासन माध्यम वर्ग के सम्पन्न लोगों के पास आ गया।

• उन्होंने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका डिरेक्ट्री को नियुक्त किया। जो फ़्रांस का शासन देखती थी।

• लेकिन अक्सर विधान परिषद से उनके हितों का टकराव होता रहता था।

• इस राजनैतिक अस्थिरता का फायदा नेपोलियन बोनापार्ट ने उठाया और उसने 1799 में डिरेक्ट्री को खत्म कर दिया और 1804 में फ़्रांस का सम्राट बन गया।

 

 

☆ नेपोलियन :-

• 1804 में नेपोलियन ने खुद को फ़्रांस का सम्राट घोषित किया।

• उन्होंने पड़ोसी यूरोपीय देशों की विजय यात्रा शुरू की।

• पुराने राजवंशो को हटा कर उनकी बागडोर अपने खानदान के हाथों में दे दी।

• नेपोलियन ने यूरोप के आधुनिकीकरणकर्ता के रूप में अपनी भूमिका देखी।

• अंततः 1815 में वॉटरलू में उसकी हार हुई।

 

 

☆ क्या महिलाओं के लिए भी क्रांति हुई ?

• महिलाएं जीविका निर्वाह के लिए काम करती थी।

• अधिकांश महिलाओं के पास पढ़ाई-लिखाई तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के मौके नही थे।

• महिलाओं ने पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार की मांग की।

 

 

☆ महिलाओं के जीवन मे सुधार :-

• क्रांतिकारी सरकार ने महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कुछ कानून लागू किए

1. सरकारी विद्यालयों की स्थापना के साथ सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया।

2. अब पिता उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ शादी के लिए बाध्य नही कर सकते थे।

3. अब महिलाएं व्यावसायिक प्रशिक्षण ले सकती थी और छोटे-मोटे व्यवसाय चला सकती थी।

4.मताधिकार और समान वेतन के लिए महिलाओं का आंदोलन अगली सदी में भी अनेक देशों में चलता रहा।

5. अतंतः सन 1946 में फ्रांस की महिलाओं ने मताधिकार हासिल कर लिया।

 

 

☆ दास-प्रथा का उन्मूलन :- यूरोप अफ्रीका एवं अमेरिका के बीच त्रिकोणीय दास-व्यापार द्वारा किया गया।

• फ़्रांसीसी उपनिवेशों में दास-प्रथा का उन्मूलन जैकोबिन शासन के क्रांतिकारी समाजिक सुधारों में से एक था।

• फ़्रांसीसी सौदागर बन्दरगाह से अफ्रीका तट पर जहाज ले जाते थे जहां वे स्थानीय सरदारों से दास खरीदते थे।

• दासों को हथकड़ियां डालकर अटलांटिक महासागर के पार कैरिबियाई देशों तक 3 महीने की लंबी समुद्री यात्रा के लिए जहाजों में ठूंस दिया जाता था।

• वहां उन्हें बगान मालिकों को बेच दिया जाता था। बौर्दो और नान्ते बंदरगाह सम्रद्ध नगर बन गए।

• 1794 के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशों में सभी देशों की मुक्ति का कानून पारित किया।

• फ़्रांसीसी उपनिवेशों से अंतिम रूप से दास प्रथा का उन्मूलन 1848 में किया।

 

 

☆फ्रांसीसी क्रांति के क्या परिणाम हुए थे?

फ्रांसीसी क्रांति ने मानव जाति को स्वतंत्रता, समानता तथा बन्धुत्व का नारा प्रदान किया। फ्रांस की क्रांति ने विश्व के अन्य देशों में भी प्रजातंत्र के विकास को गति प्रदान की। फ्रांस की क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस ने कृषि, उद्योग, कला, साहित्य, शिक्षा व सैनिक गौरव के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की।

 

● 1789 की फ्रांसीसी क्रांति का तात्कालिक कारण क्या था

1789 की फ्रांसीसी क्रांति का तत्कालीन कारण क्या था? 1789 की फ्रांसीसी क्रांति का मुख्य कारण दितीय और तृतीय स्टेट के लोगों को असम्मान एवं शोषण करना है। फ्रांस के राजा लुई 16वें एक निरंकुश राजा थे, और एक अयोग्य शासक भी थे, वह अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी कार्य कर देते हैं, हमेशा भोग विलास में लिप्त रहते थे।

 

◆ 1789 की फ्रांसीसी क्रांति का फ्रांस और यूरोप पर क्या प्रभाव पड़ा

1789 की फ्रांसीसी क्रांति यूरोप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह शासक की निरंकुशता के खिलाफ लोगों का पहला महान विद्रोह था। इसने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के विचारों को उत्पन्न किया जिसने फ्रांस की सीमाओं को पार किया और पूरे यूरोप को प्रभावित किया।

 

 

■ फ्रांस की क्रांति ने विश्व को किन तीन सिद्धांतों का संदेश दिया

स्वतंत्रता, समानता एवं बन्धुत्व के नारे का प्रसार : फ्रांसीसी क्रांति के प्रेरक शब्द थे- “स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व”। इन तीन शब्दों ने विश्व की राजनीतिक व्यवस्था के स्वरूप में आमूलचूल परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया।

 

फ़्रांसीसी क्रांति ने फ़्रांस में राजतंत्र को समाप्त कर दिया।मानव अधिकार घोषणापत्र एक नए युग के आगमन का घोतक था।

 

 

 

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