अध्याय 7 : राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा

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परिवहन

 

परिवहन तथा सेवाओं के आपूर्ति स्थानों से मांग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है। कुछ व्यक्ति इसको उपलब्ध करवाने में संलग्न है जो व्यक्ति उत्पादन को परिवहन द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुंचाते हैं। उन्हें व्यापारी कहा जाता है, अतः एक देश के विकास की गति वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के साथ उनके एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन किस विधा पर निर्भर करती है। 

वस्तुओं तथा सेवाओं का लाना ले जाना पृथ्वी के तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर किया जाता है स्थल जल तथा वायु इन्हीं के आधार पर परिवहन को स्थल, जल, व वायु परिवहन में वर्गीकृत किया जा सकता है। 

 

 

 परिवहन के साधन

 

1. स्थल

सड़क परिवहन
रेल परिवहन
पाइपलाइन

 

2, जल परिवहन

आंतरिक जल परिवहन
समुद्री परिवहन

 

3, वायु परिवहन

A घरेलू विमान सेवा
सार्वजनिक प्राधिकरण
निजी विमान सेवा

B अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा

 

 

परिवहन

 

1 स्थल परिवहन

भारत विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में से एक है, यह सड़क जाल लगभग 62.16 लाख किलोमीटर है (2020-21) भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन से पहले प्रारंभ हुआ निर्माण तथा व्यवस्था में सड़क परिवहन रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है। रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन के प्रति महत्वता निम्नलिखित कारणों से है। 

a) रेलवे लाइन की अपेक्षा सड़क की निर्माण लागत बहुत कम है। 

अपेक्षाकृत उबड़ खाबड़ व ऊंचे भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं। 

अधिक ढाल प्रवणता तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी सड़क के निर्माण किया जा सकता हैं। 

अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क अधिक उपयोगी है। 

यह घर-घर सेवा उपलब्ध करवाता है, तथा सामान चढ़ाने में उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम होती है। 

सड़क परिवहन अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में भी कार्य करता है। 

 

 

 

भारत में सड़कों की क्षमता के अनुसार उन्हें 6 वर्गों में विभाजित किया गया है

 

1) स्वर्णिम चतुर्भुज महाराज मार्ग

 भारत सरकार ने दिल्ली-कोलकत्ता, चेन्नई- मुंबई व दिल्ली को जोड़ने वाली 6 लेन वाली महा राजमार्गों की सड़क परियोजना प्रारंभ की है। इस परियोजना के तहत दो गलियारे प्रस्तावित हैं प्रथम उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है तथा द्वितीय जो पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिलचर (असम) तथा पोरबंदर (गुजरात) को जोड़ता है।

इस महा राजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के मेगासिटी (Mega cities) के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है। यह राजमार्ग परियोजना – भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है ।

 

 

 

2) राष्ट्रीय राजमार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकार क्षेत्र में है। अनेक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम दिशाओं में फैले हैं। दिल्ली व अमृतसर के मध्य ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के नाम से जाना जाता है।

 

 

3) राज्य राजमार्ग

 राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। राज्य तथा केंद्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है। 

 

4) जिला मार्ग

यह सड़के जिला के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं। इन सड़कों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व जिला परिषद का है। 

 

5) सीमांत सड़कें

उपरोक्त सड़कों के अतिरिक्त भारत सरकार प्राधिकरण के अधीन सीमा सड़क संगठन है जो देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़क का निर्माण व उनकी देखरेख करता है। 

यह संगठन 1960 में बनाया गया जिसका कार्य उत्तर तथा उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्व की सड़कों का विकास करना था। 

 

6) अन्य सड़कें
इस वर्ग के अंतर्गत वे सड़के आती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों तथा गांवों को शहरों से जोड़ती हैं “प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क” परियोजना के तहत इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है तथा गांव से शहरों तक पक्की सड़कें बनी है। 

 

विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग – अटल टनल (9.02 किलोमीटर) सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाई गयी हैं। यह सुरंग पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है। पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी। यह सुरंग हिमालय की पीरपंजाल पर्वतमाला में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर अति आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाई गई है।

 

 

सड़क घनत्व

प्रति 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सड़कों की लंबाई को सड़क घनत्व कहा जाता है। 

देश में सड़कों का वितरण एक समान नहीं है इनका घनत्व जम्मू कश्मीर में 12.14 किलोमीटर प्रति 100 वर्ग किलोमीटर से केरल में 517.77 किलोमीटर प्रति 100 वर्ग किलोमीटर तक है। 

जबकि वर्ष 31 मार्च 2011 के अनुसार सड़कों का औसत राष्ट्रीय घनत्व 142.68 किलोमीटर प्रति 100 वर्ग किलोमीटर था। 

 

 

रेल परिवहन

भारत में रेल परिवहन वस्तु तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है। जैसे व्यापार भ्रमण, तीर्थ यात्रा व लंबी दूरी तक सामान का परिवहन आदि। 

भारतीय रेल देश की अर्थव्यवस्था, उद्योग व कृषि के त्रिव गति से विकास के लिए उत्तरदाई है। 31 मार्च 2016 को भारतीय रेल परिवहन की मार्ग्य लंबाई 66687 किलोमीटर थी, जिस पर 7137 स्टेशन तथा इसमें 11122 रेल इंजन 545006 यात्री, सेवा वाहन 6899 अन्य कोच वाहन 251256 माल गाड़ी शामिल है। 

रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक भू आकृति, आर्थिक व प्रशासनिक कारक प्रमुख है उत्तरी मैदान अपनी विस्तृत समतल भूमि सघन जनसंख्या घनत्व संपन्न कृषि व प्रचूर संसाधनों के कारण रेल परिवहन के विकास व समृद्धि में सहायक है। 

आज राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में परिवहन के अन्य सभी साधनों की अपेक्षा रेल परिवहन प्रमुख हो गया है। यद्यपि रेल परिवहन समस्याओं से मुक्त नहीं है। बहुत से यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं। रेल संपत्ति की हानि तथा चोरी जैसी समस्याएँ भी पूर्णतया समाप्त नहीं हुई हैं। जंज़ीर खींच कर यात्री कहीं भी अनावश्यक रूप से गाड़ी रोकते हैं, जिससे रेलवे को भारी हानि उठानी पड़ती है। जरा सोचिए, हम अपनी रेलगाड़ियों को निर्धारित समय पर चलने में कैसे मदद कर सकते हैं?

भारतीय रेलवे प्रणाली पर कुल 19 जोन (मेट्रो रेलवे, कोलकाता सहित) और 70 मंडल हैं।

 

भारतीय रेल परिवहन देश का सर्वाधिक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण है। देश की पहली रेलगाड़ी 1853 में मुंबई और थाणे के मध्य चलाई गई जो 34 किमी. की दूरी तय करती थी।

 

 

रेल परिवहन के लाभ

परिवहन का सस्ता साधन। 
लंबी दूरी के लिए आवश्यक। 
भारी वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में सहायक। 

 

रेल परिवहन की हानियां

घर से घर तक परिवहन की व्यवस्था उपलब्ध नहीं। 

निर्माण व रखरखाव में अधिक पूंजी की आवश्यकता। 

दूरस्थ व पहाड़ी क्षेत्रों में अनुपयोगी। 

 

 

पाइपलाइन

पहले पाइपलाइन का उपयोग शहरों व उद्योगों में पानी पहुँचाने हेतु होता था। आज इसका प्रयोग कच्चा तेल, पेट्रोल उत्पाद तथा तेल से प्राप्त प्राकृतिक तथा गैस क्षेत्र से उपलब्ध गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों व बड़े ताप विद्युत गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है। ठोस पदार्थों को तरल अवस्था ( Slurry) में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाता है। सुदूर आंतरिक भागों में स्थित शोधनशालाएँ जैसे बरौनी, मथुरा, पानीपत तथा गैस पर आधारित उर्वरक कारखानों की स्थापना पाइपलाइनों के जाल के कारण ही संभव हो पाई है।

 

 

देश में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं

1 ऊपरी असम के तेल क्षेत्रों से गुवाहाटी, बरौनी व इलाहाबाद के रास्ते कानपुर (उत्तर प्रदेश) तक। इसकी एक शाखा बरौनी से राजबंध होकर हल्दिया तक है दूसरी राजबंध से मौरी ग्राम तक तथा गुवाहाटी से सिलिगुड़ी तक है।

2 गुजरात में सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत के रास्ते पंजाब में जालंधर तक। इसकी अन्य शाखा वडोदरा के निकट कोयली को चक्शु व अन्य स्थानों से जोड़ती है।

3 पहली 1,700 किलोमीटर लंबी हजीरा – विजयपुर जगदीशपुर मातई नदी (एच.वी.जे.) क्रॉस कंट्री गैस पाइपलाइन, मुंबई हाई और और पू बसीन गैस क्षेत्रों को पश्चिमी और उत्तरी भारत के विभिन्न विशेष वि उर्वरक, बिजली और औद्योगिक परिसरों से जोड़ती है। कुल मिलाकर, भारत की गैस पाइपलाइन के बुनियादी होता है इसमें ढांचे का विस्तार क्रॉस कंट्री पाइपलाइनों के 1700 किलोमीटर से बढ़कर 18500 किलोमीटर तक हो गया है।

 

 

 

जल परिवहन

जल परिवहन परिवहन का सबसे सस्ता साधन है यह भारी व स्थूलकाय वस्तुएं ढोने में अनुकूल है। 

भारत में अंतर स्थलीय नौसंचालन जलमार्ग 14500 किलोमीटर लंबा है इसमें केवल 5685 किलोमीटर मार्ग ही मशीनीकृत नौकाओं द्वारा तय किया जाता है। 

 

निम्न जल मार्गों को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है

1 हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जल मार्ग जो 1620 किलोमीटर लंबा है नोगम्य जलमार्ग संख्या -1

2 सदिया वे धुबरी के मध्य 891 किलोमीटर लंबा ब्रह्मपुत्र नदी जलमार्ग नोगम्य जलमार्ग संख्या -2

3 केरल में पश्चिमी तटीय नहर जलमार्ग संख्या – 3 (205 km)

4 काकीनाडा और पांडुचेरी नहर स्ट्रेच के साथ-साथ गोदावरी और कृष्णा नदी का विशेष विस्तार राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या – 4 (1078 km)

5 मातई नदी महा नदी के डेल्टा चैनल ब्राम्हणी नदी और पूर्वी तटीय नहर के साथ ब्राह्मणी नदी का विशेष विस्तार राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या – 5 (588 km)

 

 

प्रमुख समुद्री पतन

भारत की 7516.6 किलोमीटर लंबी समुद्री तट रेखा के साथ 12 प्रमुख तथा 200 मध्यम व छोटे पतन है यह प्रमुख पतन देश का 95% विदेशी व्यापार संचालित करते हैं

 

कांडला पतन

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कच्छ में कांडला पतन पहले पतन के रूप में विकसित किया गया था यह एक ज्वारीय पतन है। 

 

मुंबई पतन

मुंबई पतन जिसके प्राकृतिक खुले विस्तृत व सुचारू पोताश्रय हैं। मुंबई पतन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखकर इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पतन विकसित किया गया जो इसे पूरे क्षेत्र को एक समूह वतन की सुविधा भी प्रदान कर सके। 

 

मारमागाओ पतन

लौह अयस्क के निर्यात के संदर्भ में मारमागाओ पतन देश का महत्वपूर्ण पतन है। यह देश के कुल निर्यात का 50% लोग अयस्क निर्यात करता है। 

 

कोच्चि पतन

सुदूर दक्षिण पश्चिम में कोच्चि पतन है यह एक लंगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पतन है। 

 

तूतीकोरिन पतन

पूर्वी तट के साथ तमिलनाडु में दक्षिणी पूर्वी छोर पर तूतीकोरिन पतन है यह प्राकृतिक पोताश्रय है। 

 

 

वायु परिवहन

वायु परिवहन सबसे तेज आरामदायक प्रतिष्ठित परिवहन का साधन है। इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों जैसे ऊंचे पर्वत मरुस्थल और घने जंगलों व लंबे समुद्री रास्तों को सुगमता से पार किया जा सकता है। 

सन 1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया व्यवहारिक तौर पर एयर इंडिया तथा कई निजी एयरलाइंस घरेलू विमान सेवाएं भी उपलब्ध कराती है एयर इंडिया अंतरराष्ट्रीय वायु सेवा भी प्रदान करती है। 

हवाई यात्रा सभी व्यक्तियों की पहुंच में नहीं है केवल उत्तर पूर्वी राज्यों में इन सेवाओं को आम आदमी तक उपलब्ध कराने हेतु विशेष प्रबंधन किए गए हैं। 

 

 

संचार सेवाएं

जब से मानव पृथ्वी पर अवतरित हुआ है उसने विभिन्न संचार माध्यमों का प्रयोग किया है। संदेश प्राप्त करता या संदेश भेजने वाले के गतिविधि रहते हुए भी लंबी दूरी का संचार बहुत आसान है, निजी दूरसंचार तथा जनसंचार में दूरदर्शन, रेडियो, समाचार पत्र, प्रेस तथा सिनेमा आदि देश में महत्वपूर्ण संचार साधन है। 

भारत का डाक संचार तंत्र विश्व का सबसे बेहतर संचार तंत्र है

बड़े शहरों में नगरों में डाक संचार में शीघ्रता हेतु हाल ही में 6 डाक मार्ग बनाए गए हैं।जिन्हें राजधानी मार्ग मेट्रो चैनल ग्रीन चैनल व्यापार चैनल भारी चैनल तथा दस्तावेज चैनल के नाम से जाना जाता है। 

दूरसंचार तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में सबसे आगे है। नगरीय क्षेत्रों के अतिरिक्त भारत के 2 तिहाई से अधिक गांव एस टी डी दूरभाष सेवा से जुड़े हैं। 

जनसंचार मानव को मनोरंजन के साथ बहुत से राष्ट्रीय कार्यक्रमों व नीतियों के विषय में जागरूक करता है इसमें रेडियो, दूरदर्शन, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, किताबें तथा चलचित्र शामिल है। आकाशवाणी ऑल इंडिया रेडियो राष्ट्रीय क्षेत्रीय तथा स्थानीय भाषा में देश के विभिन्न भागों में अनेक वर्गों के व्यक्तियों के लिए विशेष कार्यक्रम प्रसारित करता है। 

 

 

अंतरराष्ट्रीय व्यापार

राज्यों में देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं का आदान प्रदान व्यापार कहलाता है। बाजार एक ऐसी जगह है जहां इसका विनिमय होता है। 

दो देशों के मध्य यह व्यापार अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। यह समुद्री हवाई व स्थानीय मार्गों द्वारा हो सकता है। 

एक देश के अंतरराष्ट्रीय व्यापार की प्रगति उसके आर्थिक वैभव का सूचक है इसलिए इसे राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है। 

 

विश्व के सभी भौगोलिक प्रदेशों तथा सभी व्यापारिक खंडों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध है। 

2016-17 तक निर्यात वाली वस्तुएं इस प्रकार हैं

कृषि वर्षों से संबंधित उत्पाद 8.64%

आधार धातुएं 6.9%

रत्न व जवाहरात 17.02%

रसायन तथा संबंधित उत्पाद 12.06%

 

भारत में आयातित वस्तुएँ

कच्चा पेट्रोलियम तथा उत्पाद 22.4%

रत्न व जवाहरात 12.8%

आधार धातुएं 5.9%

मशीनें 8.9%

कृषि तथा अन्य उत्पाद 5.89%

 

पर्यटन एक व्यापार के रूप में

पिछले तीन दशकों में भारत में पर्यटन उद्योग में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है वर्ष 2014 की अपेक्षा वर्ष 2015 के दौरान देश में विदेशी पर्यटन के आगमन में 4.5% वृद्धि दर्ज की गई है जिसमें 135193 करोड़ विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई है। 

वर्ष 2015 में भारत में 80.3 लाख से पर्यटन आए 150 लाख से अधिक व्यक्ति पर्यटन उद्योग में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न है। 

विदेशी पर्यटन भारत में विरासत पर्यटन, रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन तथा व्यापारिक पर्यटन के लिए आते हैं पर्यटन उद्योग के विकास हेतु विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। 

 

 

 

 

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