मध्य प्रदेश के ऊर्जा संसाधन | Energy Resource MP GK

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☆ ऊर्जा संसाधन

• राज्य में 10 सितम्बर, 1948 को विद्युत प्रदाय अधिनियम लागू किया गया। इसके पश्चात् 1 दिसम्बर, 1950 को मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल (देश का प्रथम) का गठन हुआ। इसका मुख्यालय जबलपुर में है। राज्य में ऊर्जा विकास निगम की स्थापना वर्ष 1982 में की गई थी।

• उत्पादन, पारेषण (Transmission) एवं विद्युत वितरण हेतु कम्पनी अधिनियम 1956 के तहत् विद्युत कम्पनियों का गठन जुलाई, 2002 में किया गया है।

• मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल का पावर मैनेजमेण्ट कम्पनी में अप्रैल, 2012 को विलय कर दिया गया।

• सिंगरौली को मध्य प्रदेश की ऊर्जा राजधानी भी कहा जाता है।

• विश्व के तीसरे एवं एशिया के पहले लेसर परमाणु अनुसन्धान केन्द्र की स्थापना 19 फरवरी, 1984 को इन्दौर में की गई।
राज्य में ऊर्जा संसाधनों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है

 

1. परम्परागत ऊर्जा स्रोत

• परम्परागत ऊर्जा स्रोत ऐसे ऊर्जा स्रोत हैं, जिनका भण्डार पृथ्वी पर सीमित है। ये ऊर्जा स्रोत भविष्य में समाप्त हो सकते हैं क्योंकि इनका उपयोग मानव लम्बे समय से कर रहा है।
• परम्परागत ऊर्जा स्रोत में कोयला, परमाणु ऊर्जा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस आदि आते हैं।

परम्परागत ऊर्जा स्रोत से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को दो भागों जल विद्युत एवं तापीय विद्युत में विभाजित किया जाता है

 

(i) जल विद्युत

• मध्य प्रदेश का पहला जल विद्युत केन्द्र मन्दसौर में चम्बल नदी पर अवस्थित गाँधी सागर जल विद्युत केन्द्र है। यह वर्ष 1960-61 में स्थापित हुआ था।
• मध्य प्रदेश की कुल उपलब्ध ऊर्जा में जल विद्युत ऊर्जा का भाग लगभग 30% है।

 

《राज्य के प्रमुख जल विद्युत गृह (केन्द्र)》

जल विद्युत केन्द्र       स्थिति

1 ओंकारेश्वर जल       – ओंकारेश्वर(खण्डवा)
  विद्युत गृह
2 टौंस जल विद्युत गृह – सिरमोर(रीवा)
3 रानी अवन्तिबाई      – बरगी(जबलपुर)
  सागर विद्युत गृह
4 बीरसिंहपुर जल       – बीरसिंहपुर(उमरिया)
  विद्युत गृह
5 पुनासा जल विद्युत   – पुनासा(खण्डवा)
  गृह
6 महेश्वर जल विद्युत    – महेश्वर(खरगौन)
  गृह
7 गाँधी सागर जल        – भानपुरा(मन्दसौर)
  विद्युत गृह
8 बाण सागर विद्युत गृह – सिरमौर(रीवा)
9 इन्दिरा सागर जल      – पुनासा(खण्डवा)
  विद्युत गृह

 

《मध्य प्रदेश की संयुक्त जल विद्युत परियोजनाएँ》

संयुक्त परियोजना     सम्बन्धित राज्य

1 पेंच जल विद्युत       – मध्य प्रदेश एवं
  परियोजना                महाराष्ट्र
2 बाण सागर जल      – मध्य प्रदेश एवं बिहार
  विद्युत परियोजना
3 राजघाट जल विद्युत – मध्य प्रदेश एवं उत्तर
  गृह                           प्रदेश
4 रिहन्द जल विद्युत    – मध्य प्रदेश एवं उत्तर
  परियोजना                 प्रदेश
5 गाँधी सागर जल      – मध्य प्रदेश एवं
  विद्युत गृह                  राजस्थान
6 राणा प्रताप सागर    – मध्य प्रदेश एवं
  जल विद्युत गृह           राजस्थान
7 जवाहर सागर जल   – मध्य प्रदेश एवं
  विद्युत गृह                  राजस्थान

 

(ii) तापीय विद्युत गृह

• राज्य में लगभग दो-तिहाई विद्युत, ताप विद्युत गृहों से उत्पन्न की जाती है। ताप विद्युत गृहों में कोयले का प्रयोग किया जाता है। राज्य में तापीय विद्युत गृहों का विवरण निम्नलिखित है।

 

 

∆ अमरकण्टक तापीय विद्युत गृह

• यह विद्युत गृह शहडोल जिले के चचाई स्थान पर वर्ष 1965 (द्वितीय पंचवर्षीय योजना) में स्थापित किया गया था। वर्तमान में यह अनूपपुर जिले में स्थित है। प्रारम्भ में यहाँ पर 30-30 मेगावाट की दो इकाइयाँ लगाई गई थीं। वर्ष 1977-78 में इसका विस्तार करके 120-120 मेगावाट की दो और इकाइयाँ लगाई गईं।

• वर्ष 2001 में इसका पुनः विस्तार कर इसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 500 मेगावाट तक बढ़ाई गई। यह सोन नदी से जल तथा सोहागपुर से कोयले की आपूर्ति करता है।

 

 

∆ सतपुड़ा तापीय विद्युत गृह

• यह बैतूल जिले के सारणी नामक स्थान पर बनाया गया है। इसका निर्माण वर्ष 1963 में प्रारम्भ किया गया था।

• इसकी पाँचों इकाइयों की कुल विद्युत क्षमता 312.5 मेगावाट थी। बाद में वर्ष 1979 में 200 मेगावाट व वर्ष 1980 में 210 मेगावाट की दो अन्य इकाइयाँ लगाई गईं।

• सतपुड़ा तापीय विद्युत गृह की सभी इकाइयों की कुल विद्युत क्षमता अब 1437 मेगावाट हो गई है। इस संयन्त्र में मध्य प्रदेश एवं राजस्थान राज्यों की 3 : 2 के अनुपात में साझेदारी है।

• यह पाथर खेड़ा से कोयला तथा तवा नदी से जल की आपूर्ति करता है।

 

∆ संजय गाँधी तापीय विद्युत गृह

• यह तापीय विद्युत गृह उमरिया जिले के बीरसिंहपुर स्थान पर स्थापित किया गया है। इसमें लगी चारों इकाइयों की क्षमता 210-210 मेगावाट की है।

• यहाँ पर 500 मेगावाट विस्तृत इकाई की स्थापना की गई, जिससे इसकी कुल क्षमता 1,340 मेगावाट हो गई है। इस तापीय संयन्त्र के साथ एक जल विद्युत संयन्त्र भी लगाया गया है, जिसकी क्षमता 20 मेगावाट है। यह जल विद्युत संयन्त्र जोहिला नदी पर स्थापित किया गया है।

 

∆ चाँदनी ताप विद्युत गृह

• नेपानगर के कागज कारखाने को विद्युत आपूर्ति हेतु वर्ष 1953 में खण्डवा में स्थापित किया गया। यह प्रदेश का प्रथम ताप विद्युत केन्द्र है। इसकी कुल उत्पादन क्षमता 17 मेगावाट है।

• तवा क्षेत्र इस विद्युत गृह को कोयला आपूर्ति करता है।

 

 

∆ जबलपुर ताप विद्युत गृह

• जबलपुर में 44 मेगावाट की तीन, 2 मेगावाट की चार तथा 1 मेगावाट की एक इकाई कार्यरत है। इसकी उत्पादन क्षमता 151 मेगावाट है। यह जबलपुर से कोयला तथा नर्मदा नदी से जलापूर्ति करता है।

 

∆ विन्ध्याचल वृहत ताप विद्युत केन्द्र

• यह ताप परियोजना सिंगरौली जिले के बैढ़न नामक स्थान पर लगाई गई है। इसकी संस्थापित क्षमता 3.760 मेगावाट है।

• यह परियोजना प्रथम एवं द्वितीय चरण में सोवियत रूस की सहायता से शुरू की गई थी। यह परियोजना राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) द्वारा संचालित है।

• यह सुपर विद्युत तापग्रहों की श्रृंखला का हिस्सा है।

• यह सिंगरौली से कोयला तथा रिहन्द नदी से जल की आपूर्ति करता है।

• इस परियोजना के प्रथम चरण में मेगावाट 210 (प्रत्येक) की 6 इकाइयाँ, द्वितीय चरण में 500 मेगावाट (प्रत्येक) की दो इकाइयाँ, तीसरे व चौथे चरण में 500 मेगावाट (प्रत्येक) की चार इकाइयाँ लगाई गई हैं।

• परियोजना से उत्पन्न विद्युत को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली में वितरित किया जाता है। यह मध्य प्रदेश का बड़ा तापीय विद्युत केन्द्र है।

 

 

∆ बीना ताप विद्युत गृह

• यह परियोजना सागर जिले के बीना नामक स्थान पर लगाई गई है। इसकी क्षमता 1,000 मेगावाट है। बीना ताप विद्युत गृह में विन्ध्य प्रदेश के कोयले का प्रयोग किया जाता है।

 

《राज्य के प्रमुख ताप विद्युत गृह》

1 विन्ध्याचल ताप       – सिंगरौली
  विद्युत गृह
2 अमरकण्टक ताप     – चचाई(शहडोल)
  विद्युत गृह
3 सतपुड़ा ताप विद्युत  – सारणी(बैतूल)
  गृह
4 संजय गाँधी ताप      – बीरसिंहपुर(उमरिया)
  विद्युत गृह
5 जबलपुर ताप विद्युत – जबलपुर
  गृह
6 बीना ताप विद्युत गृह – सागर
7 चाँदनी ताप विद्युत    – नेपानगर(खण्डवा)
  गृह 
8 पेंच ताप विद्युत गृह   – छिन्दवाड़ा
9 मालवा ताप विद्युत    – खण्डवा
  गृह

   ऊर्जा अध्ययन अनुसन्धान

राज्य में तीन ऊर्जा अध्ययन अनुसन्धान एवं विकास केन्द्र देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय (इन्दौर), प्रशासनिक अकादमी (भोपाल) एवं डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान संस्थान, (महू) स्थापित किए गए।

 

2. गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत

यह वे ऊर्जा स्रोत होते हैं, जिनका नवीनीकरण किया जा सकता है तथा जिन्हें असीमित समय तक प्राप्त किया जा सकता है।
राज्य में गैर-परम्परागत ऊर्जा के स्रोत निम्नलिखित हैं

 

 

∆ पवन ऊर्जा

• यद्यपि मध्य प्रदेश में वायु का वेग सामान्य है, परन्तु पवन ऊर्जा संयन्त्रों की स्थापना में राज्य का देश में प्रथम स्थान है।

• राज्य में सर्वाधिक पवन चक्कियाँ इन्दौर में स्थित हैं।

• देवास में राज्य की सबसे बड़ी पवन ऊर्जा परियोजना संचालित है।

• पवन ऊर्जा का प्रयोग मुख्यतः विद्युत उत्पादन एवं सिंचाई के लिए जल निकालने में किया जा रहा है।

• मध्य प्रदेश सरकार ने पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की के क्रियान्वयन हेतु पवन ऊर्जा परियोजना नीति 2012 लागू की।
इस नीति के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं

• इस नीति के लागू हो जाने से देश में तकनीकी रूप से सम्भावित 1,200 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाओं का विकास किया जाएगा। इस नीति के तहत् लगभग ₹7,200 करोड़ का निवेश, निवेशकों द्वारा किया जाएगा। इस परियोजना की स्वीकृति 25 वर्ष की होगी।

• इस नीति में लघु स्तर के पवन ऊर्जा संयन्त्रों की स्थापना को प्रोत्साहन दिया जाएगा। राज्य में अपरम्परागत ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन परियोजनाओं की स्थापना ऊर्जा नीति 2006 के तहत् की जाती थी, जिसकी अवधि को अक्टूबर, 2011 में समाप्त कर दिया गया।

 

 

∆ बायोगैस प्लाण्ट

राज्य में पहला बायोगैस प्लाण्ट भोपाल के भदभदा पशुपालन विभाग में वर्ष 1984 में लगाया गया था। इसकी कार्यक्षमता 85 घन मीटर थी। राज्य में ऐसे 17 संयन्त्र प्रदेश में स्थापित किए गए हैं।

 

 

∆ सौर ऊर्जा

• राज्य के झाबुआ, होशंगाबाद, अलीराजपुर और बैतूल जिलों में सौर ऊर्जा कार्यक्रम संचालित किए गए हैं।

• देश की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना नीमच जिले के भगवानपुरा गाँव में लगाई गई है।

• राज्य का प्रथम सौर ऊर्जा ग्राम कस्तूरबा (इन्दौर) है। विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयन्त्र इटारसी में लगाया गया है।

• सोलर डिस्टिल वाटर प्लाण्ट ऐसे संयन्त्रों का प्रयोग शैक्षणिक संस्थानों में किया जाता है। इनमें वाष्पन आसुत जल एकत्रित करने हेतु सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है।

• सोलर कुकर में सौर ऊर्जा के द्वारा खाना पकाया जाता है। इसके द्वारा ईंधन बचाने में सहायता मिलती है। सोलर कुकर के विक्रय पर राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है।

• सौर ऊर्जा गर्म पानी संयन्त्रों का प्रयोग डेयरी, उद्योग, चीनी मिल, कपड़ा मिल, होटल तथा हॉस्टल इत्यादि में पानी को गर्म करने के लिए किया जाता है। राज्य सरकार इन संयन्त्रों को बढ़ावा दे रही है।

 

∆ बायोमास

• पौधों एवं कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रणाली को बायोमास कहते हैं। इसे सुलभ ऊर्जा भी कहते हैं।

• मध्य प्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, राज्य में बायोमास से विद्युत उत्पादन की दिसम्बर, 2017 तक 45.336 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएँ स्थापित की गई हैं।

• बायोमास से बिजली उत्पन्न करने वाला पहला गाँव कसई (बैतूल) है। धार में धान की भूसी से विद्युत उत्पादन का संयन्त्र कार्यरत है।

 

☆ ग्रामीण विद्युतीकरण

• राज्य में 97% ग्रामीण विद्युतीकरण हो चुका है। राज्य में अब वही गाँव विद्युतीकृत गाँव की श्रेणी में आएगा, जिसकी आबादी के 10% घरों में विद्युत कनेक्शन होंगे।

• गाँव में विद्युत वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाकर एल टी लाइन का विस्तार किया जाएगा तथा गाँव स्थित स्कूलों, पंचायत, ऑफिस, स्वास्थ्य केन्द्रों, डिस्पेन्सरियों तथा सामुदायिक केन्द्रों को विद्युतीकृत किया जाएगा।

 

 

 

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