पादप कैसे जनन करते हैं और पादप में जनन विभिन्न विधियों द्वारा होता है, जिनके बारे में हम इस अध्याय में पढ़ेंगे।
❍ जनन की विधियाँ :- अधिकांश पादपों में मूल , तना , और पत्तियां होती हैं।
○ जनन दो प्रकार से होता है।
1.अलैंगिक जनन :- पादप बिना बीजों के ही नए पादप को उत्पन्न कर सकते हैं। अलैंगिक जनन है , जिसमें पादप के मूल , तने ,पत्ती कली के कायिक अंग द्वारा नया पादप प्राप्त किया है।
2. लैंगिक जनन :- नए पादप बीजों से प्राप्त होते हैं।
• गुलाब – तने की कलम से जनन
• आलू – आँख से अंकुरित होता पादप
• ब्रायोफिलम :- पत्ति जिसके किनारे पर कलिकाएँ होती है।
• कैक्टस – मुख्य पादप से अलग हो जाते हैं , नए पादप को जन्म देते हैं।
○ मुकुलन :- यीस्ट कोशिका से बाहर निकलने वाला छोटे बल्ब मुकुल या कली कहलाता है।
• यीस्ट एक कोशिका जीव है। जनन कोशिका से विलग होकर नई यीस्ट कोशिका बनाता है। यदि पर्याप्त पोषण उपलब्ध हो , तो यीस्ट कुछ ही घण्टों में वृद्धि करके जनन करने लगते है ।
○ एकलिंगी पुष्प :- नर अथवा मादा जनन अंग होते हैं।
○ द्विलिंगी पुष्प :- नर और मादा जनन अंग दोनों ही होते हैं।
○ शैवाल :- जल और पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं , तो शैवाल वृद्धि करते हैं और तेजी से खंडन द्वारा गुणन करते हैं। शैवाल दो या अधिक खंडों में विखंडित हो जाते हैं। ये खंड अथवा टुकड़े नए जीवों में वृद्धि कर जाते हैं।
○ बीजाणु :- वायु में उपस्थित बीजाणुओं से कवक उग जाते हैं। बीजाणु अलैंगिक जनन ही करते हैं।
○ लैंगिक जनन :- नए पादप बीजों से प्राप्त होते है।
• पुंकेसर – नर जनन अंग है।
• स्त्रीकेसर – मादा जनन अंग है।
• एकलिंगी पुष्प :- नर अथवा मादा जनन अंग होते हैं।
• द्विलिंगी पुष्प :- नर और मादा जनन अंग दोनों ही होते हैं।
○ परागण :- परागकणों का परागकोश से पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरण परागण कहलाता है।
○ युग्मनज :- नर तथा मादा युग्मकों (संयोग) द्वारा बनी कोशिका युग्मनज कहलाती है।
○ निषेचन :- नर तथा मादा युग्मकों के युग्मन का प्रक्रम निषेचन कहलाता है।
○ फल और बीज का विकास :- निषेचन के पश्चात अंडाशय , फल से विकसित हो जाता है। बीजांड से बीज विकसित होते हैं।
○ बीज प्रकीर्णन :- बीज विभिन्न स्थानों पर उगे हुए होते है , ये बीज प्रकीर्णन के कारण होता है।