उत्तर प्रदेश की जलवायु, वर्षा नदियां एव झीलें (Uttar Pradesh GK)

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जलवायु और वर्षा :

उत्तर प्रदेश की जलवायु भिन्न-भिन्न स्थानों पर मध्य प्रदेश मुख्य रूप से उसने प्रधान शीतोष्ण कटिबंध के अंतर्गत है किंतु समुद्र तल से विभिन्न स्थानों ऊंचाई के कारण जलवायु में बहुत अंतर आ जाता है सहारनपुर से देवरिया तक के उप पर्वती क्षेत्र में जलवायु नम और अस्वास्थ्यकर है| नीचे गंगा के मैदान में जनवरी में तापमान सामान्यता : 12.5 से 17.5 तक तथा मई में 27.5 से लेकर 32.5° से तक रहता है जनवरी कम से कम तापमान 3.4 से और मई-जून में 43° से अधिक हो जाता है अप्रैल मई और जून गर्मी के महीने हैं जबकि पश्चिम की तरफ से लू चलती है उत्तरी पश्चिम जिलों में जाड़े के महीनों में अत्यधिक सर्दी पड़ती है फरवरी और मार्च में ओलावृष्टि कोई असामान्य बात नहीं है

 

नदिया एव झीलें

प्रमुख नदियां:- 

गंगा घागरा यमुना गोमती चंबल सोहन आदि उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियां हैं| इन नदियों का उद्गम स्थलों के आधार पर निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है —

(1) हिमालय पर्वत
(2) गंगा के मैदानी भाग से निकलने वाली नदियां = गोमती वरुण रिहंद पांडे आदि प्रमुख नदियां हैं
(3) दक्षिणी पठार से निकलने वाली नदियां :- बेतवा चंबल केन सोन कन्हार तथा रिहंद आदि प्रमुख हैं

 

 

उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है:-

गंगा नदी:-  उसका उदगम गोमती मानी से है जो गंगोत्री उत्तराखंड के पास समुद्र तल से 5165 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है उत्तराखंड राज्य में स्थित है इस नदी को दो नदी शीर्ष अलकनंदा एवं भागीरथी आकर देवप्रयाग में मिलती है दक्षिण दक्षिण दिशा का अनुसरण करते हुए गंगा हरिद्वार के पास पहाड़ों से नीचे उतरती है यह नदी हरिद्वार से पहले दक्षिण और उसके बाद दक्षिण पूर्व की ओर प्रवाहित होते हैं इलाहाबाद के निकट इसमें यमुना नदी आकर मिल जाती है जिसे संगम के नाम से जाना जाता है यहां से यह पूर्व की ओर अपना मार्ग बनाती है तथा आगे चलकर गाजीपुर के निकट इसमें गोमती और बलिया के निकट घाघरा नदियां मिलती है पटना के पास

 

पहुंचकर सोन नदी तथा कुछ आगे चलकर गदंग और कौन सी नदियां भी इसमें आकर मिल जाती है पक्का के बाद गंगा की मुख्य धारा पूर्व एवं दक्षिण पूर्व की ओर बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है यहां इसे पद्मा के नाम से जाना जाता है यहीं से यह कई अलग-अलग धाराओं में बैठकर डेल्टा ई मैदान से होती हुई समुद्र की ओर बहती है भाग लेते हुए क्षेत्र के नाम से पुकारे जाने वाले गंगा के इस भाग में प्रायद्वीप पठार से आई हुई द्वारिका अजय रूपा हल्दी आदि कई धाराएं मिलती हैं बांग्लादेश में चंदन पुर के पास और समुद्र में मिलने से पहले पद्मा नदी ब्रह्मपुत्र नदी में मिलती है जिसे वहां पर यमुना और मेघना कहते हैं इसके किनारे हरिद्वार कानपुर इलाहाबाद वाराणसी पटना मुंगेर मुर्शिदाबाद आदि मैथुन नगर स्थित है इसकी कुल लंबा 2525 किमी है

 

 

 

यमुना नदी:-   इसका उद्गम स्थान उत्तराखंड राज्य का यमुनोत्री हिमखंड है जो बंदर पूछ के पश्चिम डाल पर स्थित है यहां से यह नदी दक्षिण पश्चिम की ओर बहती आगे चलकर नागदा पर्वत श्रेणी को पार कर अपने सहायक टोंस नदी से मिलती है देहरादून में कुछ दूरी तय करने के पश्चात यह शिवालिक श्रेणी को काटती है और मजा में प्रविष्ट होती है यहां पर कुछ दूर दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है यह नदी एक वृहत सांप का निर्माण करती है इलाहाबाद में गंगा से मिलने तक इसकी लंबाई 1375 किमी है चंबल केन बेतवा सिंधु आदेश की सहायक नदियां हैं भूगर्भ शास्त्रीय के मतानुसार यमुना नदी कभी दक्षिण अथवा दक्षिण पश्चिम दिशा में राजस्थान की ओर प्रवाहित होती थी और तत्कालीन सरस्वती नदी इसकी प्रमुख सहायक नदी थी दिल्ली मथुरा आगरा इटावा आधी नगर इसके किनारे स्थित है इसकी कुल लंबाई 1375 किमी है

 

 

 

चंबल नदी :-  यह नदी मध्यप्रदेश में हो के निकट जानापाव (616 मीटर ऊंची) पहाड़ी उत्तर पूर्व की ओर मध्य प्रदेश के धार उज्जैन रतलाम मंदसौर जिले से बहती हुई राजस्थान के कोटा बूंदी जिले से बेकार राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा निर्धारित करती हुई उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा बनाती है और अंतर में इटावा जिले में यमुना नदी में मिल जाती है इसमें कालीसिंध ऊपर पार्वती है और बनारस नदियां मिलती हैं इस नदी पर गांधी सागर राणा प्रताप सागर और जवाहर मध्य प्रदेश की सीमा बनाती है और अंत में इटावा जिले में यमुना नदी में मिल जाती है इसमें कालीसिंध पार्वती और बनारस नदियां मिलती हैं इस नदी पर गांधी सागर राणा प्रताप सागर और जवाहर सागर बांध बल तथा विद्युत शक्ति ग्रह बनाए गए हैं यह अपने कंधों के लिए प्रसिद्ध है कहीं-कहीं पर इसकी कराओ तक है इसकी कुल लंबाई 966 किमी है

 

 

रामगंगा :-  इसका उद्गम स्थान उत्तराखंड राज्य में गढ़वाल जिले में हिमालय की रानी के कुछ दक्षिण की ओर है उद्गम स्थान से 150किमी तक इसकी गति गंभीरता प्रदान कर मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है उत्तरी भाग में वर्षा अधिक होने के कारण इस में भयंकर बाढ़ आ जाती है यह नदी दक्षिण पूर्व की दिशा में प्रवाहित होती है सादाबाद रामपुर बरेली बदायूं और शाहजहांपुर जिलों से होती हुई फर्रुखाबाद तथा हरदोई जिलों के कुछ भागों में प्रवाहित होती हुई कन्नौज के पास गंगा में मिलती है इसकी कुल लंबाई 600 किमी है

 

 

शारदा नदी :-  यह नदी उत्तराखंड राज्य के मिलाप हिमनद पूर्वांचल कुमाऊं तिब्बत के सीमांत क्षेत्र से निकलती है यह काली नदी के नाम से पर भी प्रसिद्ध है वहां पर इससे काली नदी ना कहकर काली गंगा के नाम से जाना जाता है इसके को 160 किमी मार्ग तय करने के बाद पंचेश्वर के पास में सरयू या पूर्वी रामगंगा नदी मिलती है और नीचे आने पर इसका नाम काली गंगा या काली से रात में गोरी गंगा हो जाता है कुछ लोग इस नदी को शरीर भी कहते हैं अति तीव्र धार से कराती हुई ब्रह्म देव के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है यह नदी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से नेपाल देश की सीमा निर्धारित करती है पीलीभीत में चौकिया नदी इश्क में आ सकती हैं साहब की भांति टेढ़ी-मेढ़ी चाल जलती है यह नदी बहराम घाट के निकट घाघरा नदी में मिल जाती है|

 

 

घाघरा नदी :-  इसका उद्गम स्थान मारचा चूगू हिमनद राक्षताल (नेपाल) है नेपाल के बीच से बहती हुई मुख्य मार्ले को पार करने से पूर्व ब्रह्मपुत्र घाटी से दक्षिण की ओर लगभग 160 किमी की लंबाई में प्रवाहित होती है यह नदी हिमालय तथा से वाली श्रेणियों को पार करते हुए गहरी संकीर्ण घाटी का निर्माण करती है वह राम घाट के निकट इसमें शारदा की सहायक चौक की नदियां मिलती है यहां से यह पूर्व की ओर प्रवाहित होती है और गोंडा बाराबंकी और

 

 

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