अध्याय 3 : निर्धनता एक चुनौती | Poverty a Challenge

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निर्धन किसे कहते हैं। निर्धनता रेखा की अवधारणा। निर्धनता- निरोधी उपाय। मनरेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005।

 

☆ निर्धन किसे कहते हैं।

निर्धनता (Poverty) की परिभाषा निर्धनता वह स्थिति या स्तर है जहां पर व्यक्ति की आय इतनी कम हो जाती है कि वह व्यक्ति अपनी आधारभूत जरूरतों को भी पूरा करने में सक्षम नहीं होता है।

वर्तमान समय में निर्धनता के आकलन के लिए उपभोग और व्यय विधि दोनों का प्रयोग सरकारों द्वारा किया जाता है।

 

 

○ निर्धनता की परिभाषा :-

निर्धनता वह स्थिति या स्तर है जहां पर व्यक्ति की आय इतनी कम हो जाती है कि वह व्यक्ति अपनी आधारभूत जरूरतों को भी पूरा करने में सक्षम नहीं होता है। वर्तमान समय में निर्धनता के आकलन के लिए उपभोग और व्यय विधि दोनों का प्रयोग सरकारों द्वारा किया जाता है।

 

निर्धनता को कैसे मापा जाता है?
तेंदुलकर समिति के अनुसार, भारत की कुल आबादी के 21.9 % लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करते हैं।
तेंदुलकर समिति ने अपनी रिपोर्ट में शहरी क्षेत्र में रह रहे परिवारों के संदर्भ में गरीबी रेखा को 1000 रुपए (प्रति व्यक्ति प्रति माह) और ग्रामीण परिवारों के लिये इसे 816 रुपए निर्धारित किया था।

 

 

○ भारत में निर्धनता के कारण

जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने से सबकी आवश्यकताओं की भली प्रकार पूर्ति नहीं हो पाती और देश में निर्धनता फैलती है । यातायात के साधनों का अभाव आदि उद्योग और व्यापार की उन्नति में बाधक जितने भी कारक हैं उन सभी से निर्धनता बढ़ती है । अतः निर्धनता स्वयं निर्धनता बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है ।

 

 

☆ भारत में निर्धनता के कारण

 

1. निरंतर बढ़ती हुई जनसख्या- भारत में गरीबी का एक मुख्य कारण हमारी निरन्तर बढती हुई जनसंख्या है।जब आय के साधन सीमित हो और खाने वाले निरन्तर बढते जाए तो गरीबी को आने से कौन रोक सकता है ? इसलिए हमे बढ़ती हुई जनसंख्या पर हर हालतमें अंकुश लगाना होगा।

 

2.निरक्षरता- निरक्षरता भी गरीबी का एक अन्य मुख्य करण्या है। निरक्षरता के कारण शहरों में कारीगर लोगों और गांव में किसान लोगो का हर कोई शोषण करने लगता है और वे बेचारे निर्धनता में फँस कर रह जाते है। उन्हें मजदूरी भी पूरी नहीं मिलती इसलिए उनके लिए गुजारा करना और भी मुश्किल हो जाता है।

 

3.ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक व्यवसाय न होना – ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक व्यवसायों की कमी होने के कारण बहुत से लोगों को केवल खेती पर निर्भर रहना पड़ता हैं।

 

4. बेकारी – आवश्यकता से अधिक मजदूरों और कारीगरों के नगरों और शहरों में आ जाने से कइयों को काम नहीं मिलता और वे बेकारी का शिकार बनकर रह जाते है। ऐसे में यदि गरीबी नहीं बढ़ेगी तो और क्या होगा।

 

5. गरीबी कम करने के विभिन्न कार्यक्रमों का पूरा कारगर न होना – ऐसा नहीं कि सरकार और ग़ैर – सरकार संस्थाओं ने गरीबी दूर करने की दिशा में कुछ कार्य न किए हो। परंतु भ्रष्टाचार एवं अक्षमता के कारण गरीबी दूर करने की दिशा में कुछ विशेष प्रगति न हो सकी।

 

राज्य का नाम निर्धनता रेखा के नीचे के लोगों का प्रतिशत राज्य का नाम निर्धनता रेखा के नीचे के लोगों का प्रतिशत

उड़ीसा 47.2           राजस्थान 15.3
बिहार 42.6             गुजरात 14.0
मध्य प्रदेश 37.4      केरल 12.7
असम 36.1            हरियाणा 8.7
त्रिपुरा 34.4            दिल्ली 8.2
उत्तर प्रदेश 31.2     हिमाचल प्रदेश 7.6
पश्चिम बंगाल 27.1   पंजाब 6.2
जम्मू और कश्मीर 3.5
महाराष्ट्र 25.0
तमिलनाडु 21.1
कर्नाटक 20.0
आंध्र प्रदेश 15.8

 

 

○ ग़रीबी या निर्धनता का अर्थ :-

निर्धनता या ग़रीबी एक अवस्था है जिसमें जीवन जीने के लिए न्युनतम उपयोग जैसे- रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मानवीय आवश्यकताओं को प्राप्त करने में असमर्थता या अभाव को निर्धनता अथवा ग़रीबी कहते हैं।

 

‘ऐसी अवस्था जिसमें समाज का एक भाग निश्चित न्यूनतम उपभोग स्तर से नीचे जीवन-यापन कर रहा होता है।’

 

○ 1) शहरी ग़रीबी ( Urban poverty)- शहरों में रहने वाले अधिकतर लोग नौकरी, व्यापार या किसी कामकाज आदि से जुड़े रहते हैं। यदि ये लोग अपने इन कार्यों से भी इतना नहीं कमा पाते कि अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें। तो इनकी इस परिस्थिति को शहरी ग़रीबी या शहरी निर्धनता कहते हैं। ज़्यादातर मज़दूर, मज़दूरी करने के लिए बड़ी संख्या में औद्योगिक शहरों में आकर निवास करते हैं। इन मज़दूरों को इतनी मज़दूरी नहीं मिल पाती जिससे कि ये शहर के सभी ख़र्चों को पूरा कर सकें। जिस कारण उनका जीवन दयनीय हो जाता है।

 

(2) ग्रामीण ग़रीबी (Rural poverty)- हम आपको बता दें कि भारत की लगभग 75% जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। और गाँव के कृषि का निम्नस्तर किसी से छिपा नहीं है। क्योंकि गाँव में सिंचाई व्यवस्था, परम्परागगत जुताई, बुवाई, कटाई व्यवस्था प्रचलित है। इसीलिए भारत के गाँव का कृषक केवल कृषि से इतनी आय अर्जित नहीं कर पाता कि वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति पर्याप्त रूप से कर सके। बल्कि उसे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने व खेती करने के लिए लोन पर निर्भर रहना पड़ता है। जिस कारण वह निर्धन हो जाता है। इसी परिस्थिति को ग्रामीण ग़रीबी या ग्रामीण निर्धनता कहा जाता है।

 

 

सापेक्ष निर्धनता (Relative Poverty)
संयुक्त राष्ट्र(UN) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति प्रति दिन $1.90 से कम पर अपना जीवन यापन कर रहा है तो वह गरीबी रेखा से नीचे माना जाएगा। इसी आधार पर संयुक्त राष्ट्र प्रति वर्ष राष्ट्रों की निर्धनता सूची प्रकाशित करता है।

 

 

निरपेक्ष निर्धनता (Absolute Poverty)
राष्ट्रीय क्षमता के अनुरूप जब संसाधनों के परिमाण के आधार पर जीविका-स्तर निर्धारित किया जाता है तथा इसे मौद्रिक रूप में परिवर्तित किया जाता है तो इसे निरपेक्ष निर्धनता (Absolute Poverty) कहते हैं।

 

 

○ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। 2010-11 वित्तीय वर्ष में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था

 

• प्रस्तावित रोजगार का एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है।

• केंद्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष भी स्थापित करेगी।

• इसी तरह राज्य सरकारें भी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य रोजगार गारंटी कोष की स्थापना करेंगी।

• दैनिक बेरोजगार के योजना में राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम है जिसे 2004 में 150 जिलों में लागू किया गया था।

 

○ प्रधानमंत्री रोजगार योजना :- इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए अवसर सृजित करना है।

• दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।

स्वर्ण जंयती ग्राम स्वरोजगार योजना का आरंभ 1999 में किया गया।

○ प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य , प्राथमिक शिक्षा , ग्रामीण आश्रय , ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण की सहायता प्रदान करना है

○ अंत्योदय अन्न योजना एक महत्वपूर्ण योजना है।

 

 

 

 

अध्याय 4 भारत में खाद्य सुरक्षा

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