किशोरावस्था क्या है। किशोरावस्था की उम्र। किशोरावस्था के लक्षण। यौवनावस्था में होने वाले परिवर्तन। इस लेख में हम मानव के शरीर मे होने वाले परिवर्तनों के बारे में पढ़ेंगे।
बालकों की तीन अवस्था :-
1. शैशवावस्था, जो एक 01 से 06 तक रहती है।
2.बाल्यावस्था जो 06 वर्ष से 12 वर्ष तक रहती है।
3.किशोरावस्था जो 12 वर्ष से 18 वर्ष तक रहती है।
❍ किशोरावस्था :- शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है , जिसे किशोरावस्था कहते है।
○ किशोरावस्था लगभग 12 वर्ष की आयु से प्रारंभ होकर 18 वर्ष की आयु तक रहती है।
○ लड़कियों में यह अवस्था लड़को की अपेक्षा एक या दो वर्ष पूर्व प्रारंभ हो जाती हैं।
❍ यौवनावस्था :- किशोरावस्था के दौरान मनुष्य के शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं , जिसे यौवनावस्था कहते हैं।
○ यौवनावस्था में परिवर्तन :- यौवनावस्था के दौरान होने वाला सबसे अधिक दृष्टिगोचर परिवर्तन है।
• इस समय अस्थियों , पेशियों एवं लंबाई में वृद्धि होती हैं।
• लड़कियों लड़को की अपेक्षा अधिक तीव्रता से बढ़ती है।
• 18 वर्ष की आयु तक दोनों अपनी लंबाई प्राप्त कर लेते हैं।
• लंबाई माता-पिता से प्राप्त जिन पर भी निर्भर करती हैं।
○ शारीरिक आकृति में परिवर्तन :-
• लड़को में कंधे फैल जर चौड़े हो जाते हैं।
• लड़कियों में कमर का निचला भाग चौड़ा हो जाता है।
○ स्वर में परिवर्तन :-
• लड़को में स्वरतंत्र विकसित होकर बड़ा और उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है।
• लड़कियों में ‘ स्वरयंत्र ‘ छोटा होता है अतः बाहर से सामान्यतः दिखाई नही देता।
○ स्वेद एवं तैलग्रन्थियो में वृद्धि :-
• किशोरावस्था में स्वेद एवं तैलग्रन्थियो के स्राव बढ़ जाता है।
• जिसके कारण व्यक्तियों के चेहरे पर फुंसियाँ और मुँहासे हो जाते हैं।
○ किशोरावस्था में परिवर्तन :-
• इस अवस्था में मस्तिष्क की सीखने की क्षमता सर्वाधिक होती हैं।
• इस अवस्था में सोचने एवं समझने के ढंग में परिवर्तन आता है।
• इस अवस्था में शारीरिक एवं मानसिक परिपक्वता प्राप्त हो जाता हैं।
○ गौण लैंगिक लक्षण :-
• युवावस्था में लड़कियों में स्तनों का विकास होने लगता है।
• लड़को के चेहरे पर दाढ़ी-मूँछ आने लगती हैं।
• लड़को में यौवनारम्भ के साथ ही वृषण पौरुष हार्मोन अथवा टेस्टोस्टेरोन का स्त्रवण प्रारंभ कर देता है।
• लड़कियों में यौवनारम्भ के साथ अंडाशय स्त्री हार्मोन अथवा एस्ट्रोजन उत्पादित करना प्रारंभ कर देता है।
○ मानव में जनन-काल की अवधि :- जब किशोरों के वृषण तथा अंडाशय युग्मक उत्पादित करने लगते हैं तब वे जनन के योग्य हो जाते हैं। टेस्टोस्टेरोन नर हार्मोन है तथा एस्ट्रोजन मादा हार्मोन है ।
• गर्भाशय की दीवार निषेचित अंडाणु (युग्मनज) को ग्रहण के लिए अपने आपको तैयार करती है।
• निषेचन न होने की स्थिति में गर्भाशय की दीवार की आंतरिक साथ निस्तारित होकर शरीर से बाहर रक्त के साथ प्रवाहित होने लग जाता है जिसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते है।
• स्त्रियों में जननावस्था का प्रारंभ ( 12 वर्ष से हो जाता है तथा 50 वर्ष की आयु तक चलता रहता है।)
○ लड़का अथवा लड़की ?
• निषेचित अंडाणु में धागे-सी संरचना अर्थात गुणसूत्रों में निहित होता हैं।
• स्त्री में X , X गुणसूत्र होते है।
• पुरुष में X ,Y गुणसूत्र होते है।
• लड़की :- जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो युग्मनज में X X गुणसूत्र होंगे तब मादा शिशु विकसित होगा।
• लड़का :- यदि अंडाणु को निषेचित करने वाले शुक्राणु में X गुणसूत्र है तो युग्मनज नर शिशु विकसित होगा।
मनुष्य में लिंग निर्धारण
किशोरावस्था में संतुलित आहार करना तथा व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना महत्वपूर्ण है।