अध्याय 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय | Nazism and the Rise of Hitler

Spread the love

 

नात्सीवाद का अर्थ नात्सीवाद का उदय कब हुआ?वाइमर गणराज्य का जन्म हिटलर का उदय नात्सियों का विश्व दृष्टिकोण नात्सी जर्मनी में युवाओं की स्थिति नाजीवाद और फासीवाद क्या है?

 

★ वाइमर गणराज्य का जन्म :- वाइमार गणतंत्र जर्मनी की उस प्रतिनिधिक लोकतांत्रिक संसदीय सरकार को कहा जाता है , जिसने प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी में 1919 से 1933 तक शाही सरकार के स्थान पर कार्यभार संभाला था । यद्यपि उस समय जर्मनी का औपचारिक नाम जर्मन राइख ही था , किंतु 1919 में वाइमार नगर में एक राष्ट्रीय सम्मेलन में इस संवैधानिक सदन ( लोकसभा ) का गठन हुआ था , इसलिए इसे ‘ वाइमार गणतंत्र ‘ कहा जाता है ।

◆ बीसवीं शताब्दी के शुरुआती सालों में जर्मनी एक ताकतवर साम्राज्य था।

◆ जर्मनी ने ऑस्टियाई साम्राज्य के साथ मिलकर मित्र राष्ट्रों ( इंग्लैंड , फ्रांस , और रूस ) के खिलाफ पहला विश्व युद्ध ( 1914-18) लड़ा था।

◆ फ्रांस और बेल्जियम पर कब्ज़ा करके जर्मनी ने शुरुआत में सफलताएँ हासिल की ।

◆ अमेरिका के मित्र राष्ट्रों में शामिल होते ही 1918 में केंद्रीय शक्तियों को हराने के बाद जर्मनी को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

 

★ पहले विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय के बाद मित्र राष्ट्रों ने वर्साय संधि द्वारा जर्मनी पर कुछ कठोर शर्ते थोप दी

● जर्मनी पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया।

● युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध के कारण हुई तबाही के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया।

● इस संधि से जर्मनी को सारे उपनिवेश , तकरीबन 10% आबादी , 10%भूभाग , 75% लौह भंडार , 26% कोयला भंडार मित्र राष्ट्र ने आपस में बाँट लिए

 

★ युद्ध का असर :- इस युद्ध ने पूरे महाद्वीप को मनोवैज्ञानिक और आर्थिक , दोनों ही स्तरों पर तोड़ कर रख दिया।

● यूरोप युद्ध खत्म होते-होते कर्जदारों का महाद्विप बन गया।

● युद्ध , तबाही , का हर्जाना वाइमर गणराज्य से वसूल किया जा रहा था।

● सिपाहियों को आम नागरिकों के मुकाबले ज्यादा सम्मान दिया जाने लगा।

● राजनेता और प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कि पुरुषों को आक्रामक , ताकतवर और मर्दाना गुणों वाला होना चाहिए।

 

★ राजीनीति रैडिकलवाद और आर्थिक संकट :-

● राजनीतिक रैडिकलवादी विचारों को 1923 के आर्थिक संकट से और बल मिला।

● जर्मनी ने पहला विश्वयुद्ध मोटे तौर पर कर्ज़ लेकर लड़ा था।

● जर्मनी को युद्ध के बाद तो उसे स्वर्ण मुद्रा में हर्जाना भी भरना पड़ा।

● 1923 में जर्मनी ने कर्ज़ और हर्जाना चुकाने से इनकार कर दिय

●जवाब में फ्रांसिसियों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलाके ‘ रूर ‘ पर कब्जा कर लिया।

●जर्मन सरकार ने इतने बड़े पैमाने पर मुद्रा छाप दी कि उसकी मुद्रा मार्क का मूल्य तेजी से गिरने लगा।

● अप्रैल में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 24,000 मार्क के बराबर थी ।

● जो जुलाई में 3,53,000 मार्क , अगस्त में 46,21,000 मार्क तथा दिसंबर में 9,88,60,000 मार्क हो गई।

●जैसे-जैसे मार्क की कीमत गिरती गई , ज़रूरी चीजों की कीमतें आसमान छूने लगी।

 

★ मंडी के साल :- 1924 से 1928 तक जर्मनी में कुछ स्थिरता रही। लेकिन यह स्थिरता मानो रेत के ढेर पर खड़ी थी।

● जर्मन निवेश और औद्योगिक गतिविधियों में सुधार मुख्यतः अमेरिका से लिए गए अल्पकालिक कर्जों पर निर्भर था।

● जब 1929 में वॉल स्ट्रीट एक्सचेंज ( शेयर बाजार ) धराशायी हो गया तो जर्मनी को मिल रही भी रातों-रात बंद हो गई।

● कीमतों में गिरावट की आंशका को देखते हुए लोग धड़ाधड़ अपने शेयर बेचने लगे। 24 अक्टूबर को केवल एक दिन में 1.3 करोड़ शेयर बेच दिए गए।

●फैक्ट्रीयाँ बंद हो गई थी , निर्यात गिरता जा रहा था , किसानों की हालत खराब थी और स्टेबाज बाजार से पैसा खींचते जा रहे थे।

●1932 में जर्मनी का औद्योगिक उत्पादन 40% रह गया था और बेरोजगारों की संख्या 60 लाख तक जा पहुँची।

 

वॉल स्ट्रीट एक्सचेंज :- अमेरिका में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाज़ार।

सर्वहाराकरण :- गरीब होते-होते मजदूर वर्ग की आर्थिक स्थिति में पहुँच जाना।

 

★ हिटलर का उदय :-

एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 को ऑस्ट्रो-जर्मन फ्रंटियर के पास एक छोटे से ऑस्ट्रियाई शहर ब्रूनो इन में हुआ था

● एडॉल्फ हिटलर का व्यक्तिगत विवरण (Personal details About Adolf Hitler)

● जन्म: 20 अप्रैल 1889

● जन्मस्थान: ब्रूनो एम इन, ऑस्ट्रिया-हंगरी

● निधन: 30 अप्रैल 1945 (आयु 56 वर्ष)

● निधन का कारण: बंदूक की गोली से आत्महत्या (बर्लिन, नाजी जर्मनी)

● नागरिकता: ऑस्ट्रियन (1889-1925), जर्मन (1932-1945)

● राजनीतिक दल: नाजी पार्टी (1921-1945)

● पत्नी: (ईवा ब्रौन-Eva Braun)

 ●शादी: 1945

● पिता: एलोइस हिटलर

● माता: क्लारा पोल्ज़ल

 

● पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हुई इसके बाद उसने 1918 ई. में उन्होंने नाजी दल की स्थापना की।

● यहूदी जर्मनी के लिए अभिशाप हैं. इसी नफरत के कारण लगभग 60 लाख यहूदियों की हत्या हुई थी.

 

★ नात्सी प्रोपेगैंडा :- जनमत को प्रभावित करने के लिए किया जाने वाला एक खास तरह का प्रचार ( पोस्टरों , फ़िल्मों , और भाषणों के माध्यम से )।
● 1930-32 में जर्मनी में बेरोजगारी बहुत ज्यादा बढ़ गई। संसद में नाजी दल के सदस्यों की संख्या 230 हो गई।

● 1932 के चुनाव में हिटलर को राष्ट्रपति के चुनाव में असफलता मिली। जर्मनी की आर्थिक दशा और भी ज्यादा बिगड़ती गई और विदेशों में उससे सैनिक शक्ति बढ़ाने की अनुमति दी ।

● 1933 में चांसलर बनते हिटलर ने जर्मन संसद को भंग कर दिया और साम्राज्यवादी दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया। राष्ट्र को स्वावलंबी बनने के लिए ललकारा।

● हिटलर ने डॉक्टर जोजेफ गोएबल्स को अपना प्रचार मंत्री नियुक्त किया। नाजी दल के विरोधी व्यक्तियों को जेल खाने में डाला और कार्यकारिणी और कानून बनाने वाली सारी शक्तियां हिटलर ने अपने हाथों में ले ली।

● 1920 में हेलो हिटलर ने अपने आप को सर्वोच्च न्यायाधीश घोषित कर दिया। उसी वर्ष हिडनबर्ग की मृत्यु के पश्चात में राष्ट्रपति भी बन गए। इसके बाद नाजी द…

 

 

★ नात्सियों का विश्व दृष्टिकोण :- इस विश्व दृष्टिकोण में सभी समाजों को बराबरी का हक नही था , वे नस्ली आधार पर या तो बेहतर थे या कमतर थे।

● इस नजरिये में ब्लॉन्ड , नीली आँखों वाले , नॉर्डिक जर्मन आर्य सबसे ऊपरी और यहूदी सबसे निचली पायदान पर आते थे।

● यहूदियों को नस्ल विरोधी , यानी आर्यों का कट्टर शत्रु माना जाता था।

● हिटलर की नस्ली सोच चार्ल्स डार्विन और हर्बर्ट स्पेंसर जैसे विचारकों के सिद्धांतों पर आधारित थी।

 

 

★ नक्सलवादी राज्य की स्थापना :- सत्ता में पहुँचते ही नात्सियों ने ‘ शुद्ध ‘ जर्मनों के विशिष्ट नस्ली समुदाय की स्थापना के सपने को लागू करना शुरू कर दिया।

● नात्सी ‘ शुद्ध और स्वस्थ नॉर्डिक आर्यों ‘ का समाज बनाना चाहते थे।

●  यहूदी के अलावा कई और नस्लें थी जिन्हें ‘ अवांछितों ‘ की श्रेणी में रखा गया था।

 

 नात्सी जर्मनी में युवाओं की स्थिति :- युवाओं में हिटलर की दिलचस्पी जुनून की हद तक पहुँच चुकी थी।

● एक शक्तिशाली नात्सी समाज की स्थापना के लिए बच्चों को नात्सी विचारधारा की घुट्टी पिलाना बहुत जरूरी है।

● जर्मन और यहूदी बच्चे एक साथ न बैठ सकते थे और न खेल कूद सकते थे।

●’ अवांछित बच्चों ‘ को यानी यहूदियों , जिप्सियों के बच्चों और विकलांग बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया।

● ‘ अच्छे जर्मन ‘ बच्चों को नात्सी शिक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था।

● बच्चों को सिखाया गया कि वे वफादार व आज्ञाकारी बने और हिटलर की पूजा करें।

● मुक्केबाजी का प्रशिक्षण बच्चों को फ़ौलादी दिल वाला , ताकतवर और मर्दाना बना सकता है।

 

 

★महिलाओं की स्थिति :- नात्सी जर्मनी में प्रत्येक बच्चे को बार-बार बताया जाता था कि औरतें मर्दो से भिन्न होती हैं।

● लड़कियों को कहा जाता था कि उनका फ़र्ज एक अच्छी माँ बनाना और शुद्ध आर्य रक्त वाले बच्चों को जन्म देना और उनका पालन पोषण करना है।

● नस्ल की शुद्धता बनाए रखने , यहूदियों से दूर रहने , घर सँभालने और बच्चों को नात्सी मूल्य-मान्यताओं को शिक्षा देने का दायित्व उन्हें ही सौंप गया था।

● 1933 में हिटलर ने कहा था : ‘ मेरे राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नागरिक माँ हैं। ‘

● जो औरतें नस्ली तौर पर वांछित दिखने वाले बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को इनाम दिए जाते थे।

● ऐसी माताओं को अस्पताल में विशेष सुविधाएँ , दुकानों से ज्यादा छूट , थियेटर व रेलगाड़ी के टिकट सस्ते में मिलते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *