हम भारतीयों को इस बात का गर्व है कि हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा हैं। निर्णय प्रक्रिया में सहभागिता और लोकतांत्रिक सरकार के लिए नागरिकों सहमति के महत्व जैसे विचारों के आपसी संबंधों को समझने की कोशिश करेंगे। यही वे तत्व जो भारत में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का निर्माण करते हैं।
हमारी संसद देश के नागरिकों की निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा लेने और सरकार पर अंकुश रखने में मदद देती है। इसी आधार पर संसद भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक और संविधान का केंद्रीय तत्व है।
लोगों को फ़ैसला क्यों लेना चाहिए ?
भारत 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए ।
1909 गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी।
ई.वी.एम :- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का 2004 के आम चुनावों में पहली बार पूरे देश में इस्तेमाल किया गया।
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार :- देश के सभी वयस्क नागरिकों (जो 18 वर्ष से अधिक है) को वोट देने का अधिकार है।
लोग :- लोग ही लोकतांत्रिक सरकार का गठन करते हैं। लोकतंत्र में व्यक्ति या नागरिक ही सबसे महत्वपूर्ण है ।
प्रतिनिधि :- लोग ही संसद के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।
सरकार :- निर्वाचित प्रतिनिधियों में से एक समूह सरकार बनाता है।
संसद :- जनता द्वारा चुने गए सभी प्रतिनिधियों के इस समूह को ही संसद कहा जाता है। संसद सरकार को नियंत्रित करती है और उसका मार्गदर्शन करती है।
संसद की भूमिका :- भारतीय संसद देश की सर्वोच्च कानून निर्माता संस्था है। इसके दो सदन है। राज्य सभा और लोकसभा
राज्यसभा में कुल 250 सदस्य होते है। देश के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं।
लोकसभा में कुल 545 सदस्य होते हैं। इसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं।
भारतीय संसद लोकतंत्र के सिद्धांतों में भारतीय जनता की आस्था का प्रतीक है। हमारी व्यवस्था में संसद के पास महत्वपूर्ण शक्तियाँ हैं।
निर्वाचन क्षेत्र :- देश को बहुत सारे निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है।
संसद की भूमिका :- संसद सदस्य या सांसद (एम.पी) कहलाते हैं।
1. राष्ट्रीय सरकार का चुनाव करना :- यदि कोई राजनीतिक दल सरकार बनाना चाहता है तो उसे निर्वाचित सांसदों में बहुमत प्राप्त होना चाहिए।
लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सदस्य ( और 2 मनोनीत सदस्य) होते हैं। इसलिए बहुमत हासिल करने के लिए लोकसभा में किसी भी दल के पास कम से कम 272 सदस्य होने चाहिए।
कार्यपालिका का चुनाव करना लोकसभा का एक महत्वपूर्ण काम होता है।
कार्यपालिक :- संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को लागू करने के लिए मिलकर काम करते हैं। सरकार शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो हमारे ज़ेहन में अकसर यही कार्यपालिका होती है।
प्रधानमंत्री :- लोकसभा में सत्ताधारी दल का मुखिया होता है।
राज्यसभा :- राज्यों की प्रतिनिधि के रूप में काम करती है।
राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य करते हैं। राज्यसभा में 238 निर्वाचित सदस्य होते हैं। और 12 सदस्य राष्ट्रीपति की ओर से मनोनीत किए जाते हैं।
गठबंधन:- साझा सरकार
UPA – इसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस करती है।1885
( संप्रग )संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन
( UPA ) United Progressive Alliance
NDA:-इसका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी करती है। 1980
( राजग ) राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन
( NDA )National Democratic Alliance
2. सरकार को नियंत्रित करना :- संसद का सत्र चल रहा होता है तो उसमें सबसे पहले प्रश्नकाल होता है।
प्रश्नकाल :- इसके माध्यम से सांसद सरकार के कामकाज के बारे में जानकारियाँ हासिल करते हैं। इसके जरिए संसद कार्यपालिका को नियंत्रित करती है।
लोकतंत्र के स्वस्थ संचालन में विपक्षी दल एक अहम भूमिका अदा करते हैं।
सासंदो के प्रश्नों से सरकार को भी महत्वपूर्ण फीडबैक मिलता है।
जनप्रतिनिधियों के रुप मे संसद को नियंत्रित, निदेर्शित , और सूचित करने में सांसदों की एक अहम भूमिका होती है और यह भारतीय लोकतंत्र का एक मुख्य आयाम है।
3. कानून बनाना :- कानून बनाना संसद का एक महत्वपूर्ण काम है।
संसद में 84 सीटें अनुसूचित जाति ( एस. सी.) और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति (एस.टी.)