अध्याय 2 – धर्मनिरपेक्षता की समझ 

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 धर्मनिरपेक्ष क्या है 

 

धर्मनिरपेक्षता :- सभी को अपने धार्मिक विश्वासों एवं मान्यताओं को पूरी आज़ादी से मानने की छूट देता है। धर्म को राज्य से अलग रखने की इसी अवधारणा को धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है

 

मुसलमान , सिख , ईसाई , पारसी , जैन तथा अन्य धर्मों के लोग भी थे।

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है। ये अधिकार न केवल राज्य की सत्ता से हमें बचाते हैं बल्कि बहुमत की निरंकुशता से भी हमारी रक्षा करते हैं।

भारतीय संविधान सभी को धर्मिक विश्वासों और तौर-तरीकों को अपनाने की पूरी छूट देता है। भारतीय राज्य ने धर्म और राज्य की शक्ति को एक-दूसरे से अलग रखने की रणनीति अपनाई है।

 

 धर्म को राज्य से अलग रखना महत्वपूर्ण क्यों है?

धर्मनिरपेक्षता का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है धर्म को राज्यसत्ता से अलग करना। एक लोकतांत्रिक देश में यह बहुत जरूरी है।

दुनिया के तकरीबन सारे देशों में एक से ज़्यादा होगी जाहिर है हर देश में किसी एक धर्म के लोगों की संख्या ज्यादा होगी।

अब अगर बहुमत वाले वाले धर्म के लोग सत्ता में पहुँच जाते हैतो उनका समूह दूसरे धर्मो के खिलाफ भेदभाव करते है।

अल्पसंख्यों के साथ भेदभाव होता है। देश के किसी भी व्यक्ति को एक धर्म से निकलने और दूसरे धर्म को अपनाने या धर्मिक उपदेशों को अलग ढंग से व्याख्या करने की स्वतंत्रता होती है।

 

भारतीय धर्मनिरपेक्षता क्या है ?

1. कोई भी धर्मिक समुदाय किसी दूसरे धार्मिक समुदाय को न दबाए ;

2. कुछ लोग अपने ही धर्म के अन्य सदस्यों को न दबाएँ ; और

3. राज्य न तो किसी खास धर्म को थोपेगा और न ही लोगों की धर्मिक स्वतंत्रता छिनेगा।

 

पहला :- भारतीय राज्य की बागडोर न तो किसी एक धार्मिक समूह के हाथों में है और न ही राज्य किसी एक धर्म को समर्थन देता हैं।

दूसरा :- भारत में कचहरी , थाने , सरकारी विद्यालय , और दफ्तर जैसी सरकारी संस्थानों में किसी खास धर्म को प्रोत्साहन देने या उसका प्रदर्शन करने की अपेक्षा नही की जाती है।

तीसरा :- भारतीय राज्य इस बात को मान्यता देता है कि पगड़ी पहनना सिख धर्म की प्रथाओं के मुताबिक महत्वपूर्ण है। धार्मिक आस्थाओं में दखलंदाजी से बचने के लिए राज्य ने कानून में रियायत दे दी है।

चौथा :- भारतीय संविधान धार्मिक समुदायों को अपने स्कूल और कॉलेज खोलने का अधिकार देता है। गैर-प्राथमिकता के आधार पर राज्य से उन्हें सीमित आर्थिक सहायता भी मिलती है।

 

 

भारतीय धर्मनिरपेक्षता दूसरे लोकतांत्रिक देशों की धर्मनिरपेक्षता से किस तरह अलग है१

1.राज्य और धर्म , दोनों ही एक दूसरे के मामलों में किसी तरह का दखल नही दे सकते।

2.भारतीय राज्य धर्मनिरपेक्ष है और धार्मिक वर्चस्व को रोकने के लिए लिए कई तरह से काम करता है।

3.भारतीय मूलभूत अधिकार धर्मनिरपेक्ष सिद्धान्तों पर आधरित हैं।

4.संविधान में दिए गए आदर्शों के आधार पर राज्य किसी भी भी धर्म के मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है।

 

 

 

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