अध्याय : 9 राष्ट्रीय आंदोलन व संघटन 1870 के दशक से 1947 तक

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राष्टवाद का उदय :- यहाँ रहने वाले किसी भी वर्ग , रंग , जाति भाषा या जेंडर वाले तमाम लोगों का घर है। यह देश और इसके सारे संसाधन और इसकी सारी व्यवस्था उन सभी के लिए है। जो भारत मे रहते है।

 

संगठन :- 1870 और 1880 के दशकों में राजनीतिक संगठनों में यह चेतना और गहरी हो चुकी थी। इनमें से ज्यादातर संगठनों की बागडोर वकील आदि अंग्रेजी शिक्षित पेशेवरों के हाथों में थी। पूना सार्वजनिक सभा , इंडियन एसोसिएशन , मद्रास महाजन सभा , बॉम्बे रेजिडेंसी एसोसिएशन और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आदि इस तरह के प्रमुख संगठन थे।

संप्रभु :- बाहरी हस्तक्षेप के बिना स्वतंत्र रूप से कदम उठाने की क्षमता।

आमर्स एक्ट :- 1878 में आमर्स एक्ट पारित किया गया जिसके जरिए भारतीयों द्वारा अपने पास हथियार रखने का अधिकार छीन लिया गया।

 

वर्नाक्यूलर :- उसी साल वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट भी पारित किया गया जिससे सरकार की आलोचना करने वालों को चुप कराया जा सके।

इल्बर्ट बिल :- 1883 में सरकार ने इल्बर्ट बिल लागू करने का प्रयास किया। इसको लेकर काफी काफी हंगामा हुआ। इस विधेयक में प्रावधान किया गया था कि भारतीय न्यायाधीश भी ब्रिटिश या यूरोपीय व्यक्तियों पर मुकदमा चला सकते हैं।

 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस :- 1885 में देश भर के 72 प्रतिनिधियों ने बम्बई में सभा करके भारतीय कांग्रेस की स्थापना का फैसला लिया।

संगठन के प्रारंभिक नेता – दादाभाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, डब्ल्यू. सी. बैनर्जी, सुरेंद्रनाथ बैनर्जी , रोमेशचंद्र दत्त, एस. सुब्रमण्यम अय्यर , बदरुद्दीन तैयब जी एवं अन्य प्रायः मुंबई और कोलकाता के ही थे। ब्रिटिश अफ़सर ए.ओ.ह्यूम ।

 

उभरता हुआ भारत :- कांग्रेस ने सरकार और शासन में भारतीयों को ज्यादा जगह दिए जाने के लिए आवाज उठाई। कांग्रेस का आग्रह था। कि विधान परिषदों में भारतीयों को ज्यादा जगह दी जाए, परिषदों को ज्यादा अधिकार दिए जाएँ और सरकार में भारतीयों को ऊँचे पद दिया जाएँ। इस काम के लिए उसने माँग की कि सिविल सेवा के लिए लंदन के साथ-साथ भारत में भी परीक्षा आयोजित की जाए

निरस्त करना :- किसी कानून को समाप्त करना , किसी कानून की वैधता अधिकृत रूप से समाप्त कर देना। ” स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है ” 1890 के दशक तक बहुत सारे लोग कांग्रेस के राजनीतिक तौर-तरीकों पर सवाल खड़ा करने लगे थे।

 

परिवर्तनवादी उद्देश्य :- बंगाल , पंजाब और महाराष्ट्र में बिपिनचंद्र पाल , बाल गंगाधार तिलक और लाल लाजपत राय जैसे नेता ज्यादा परिवर्तनवादी उद्देश्य और पद्धतियों के अनुरूप काम करने लगे थे।

 

तिलक :- लोगों बको स्वराज के लिए लड़ना चाहिए। तिलक ने नारा दिया – ” स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर रहूँगा।

 

बंगाल विभाजन :- 1905 में विभाजन कर्जन ने बंगाल का विभाजन कर दिया। उस वक्त बंगाल ब्रिटिश भारत का सबसे बड़ा प्रान्त था। अंग्रेजो का कहना था की प्रशासकीय सुविधा को ध्यान रखते हुए बंगाल का बँटवारा करना जरुरी था। पूर्वी बंगाल को अलग करने के पीछे अंग्रेजो का मुख्य उद्देश्य ये रहा होगा की बंगाली राजनेताओ के प्रभाव पर अंकुश लगाया जाए और बंगाली जनता को बाँट दिया जाए। बंगाल के विभाजन से से देश भर में गुस्से की लहर फैल गई मध्यमार्गी और आमूल परिवर्तनवादी ,कांग्रेस के सभी धड़ो ने इसका विरोध किया।

विशाल जनसभाओं का आयोजन किया गया और जुलूस निकले गए। जनप्रतिरोध के नए नए रास्ते ढूँढे गए इससे जो संघर्ष उपजा उसे स्वदेशी आंदोलन के नाम से जाना जाता है आंध्र के डेल्टा इलाको में इसे वन्देमातरम आंदोलन के नाम से जाना जाता था। स्वदेशी आंदोलन ने ब्रिटिश शासन का विरोध किया और सवयं सहायता स्वदेशी उद्द्मो ,राष्ट्रीय शिक्षा और भारतीय भाषा के उपयोग को बढ़ावा दिया। 1906 में मुस्लिमो ने ऑल इण्डिया मुस्लिम लीग का गठन किया 1907 में कांग्रेस टूट गई। क्रांतिकारी हिंसा -समाज में आमूल बदलाव लाने के लिए हिंसा का उपयोग करना।

परिषद् – प्रशासकीय ,सलाहकारी या प्रातिनिधिक दायित्वों को विभने वाली मनोनीत या निर्वाचित संस्था।

 

जनराष्ट्रवाद का उदय :- किसान , आदिवासी , विद्यार्थी और महिलाएँ बडी संख्या में इस आंदोलन से जुड़ते गए। कई बार औद्योगिक मजदूरों ने भी आंदोलन में योगदान दिया। बीस के दशक से कुछ खास व्यावसायिक समूह भी कांग्रेस को सक्रिय समर्थन देने लगे थे।

महात्मा गांधी का आगमन :- महात्मा गांधी एक राजनेता के रूप में सामने आए। गाँधीजी 46 वर्ष की उम्र में 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। वे वहाँ पर नस्लभेदी पाबंदियों के खिलाफ अहिंसक आंदोलन चला रहे थे और अंतराष्ट्रीय स्तर पर उनकी अच्छी मान्यता थी लोग उनका आदर करते थे।

1915 में महात्मा गांधी भारत लौटे।

1916 में बिहार के चंपारण इलाके का दौरा किया।

1917 में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह किया।

1918 में अहमदाबाद में सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों की हड़ताल का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।

 

रॉलट एक्ट :- यह क़ानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मूलभूत अधिकारों पर अंकुश लगाने और पुलिस को और ज्यादा अधिकार देने के लिए लागू किया गया था।

भारी विरोध के बावजूद इस कानून को इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने बहुत जल्दबाजी में पारित कर दिया था।
ऐसे अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक ढंग से नगरिक अवज्ञा चाहते थे।
इस कानून को ” शैतान की करतूत ” और निरुकुशवादी बताया।

 

मार्शल लॉ :- ब्रिटिश सरकार द्धारा बनाया गया एक ऐसा कानून था जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय बिना पुलिस व न्यायालय की इजाजत के गोली का निशाना बनाया जा सकता था।

जलियाँवाला बाग हत्याकांड :- अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर के पास का एक छोटा सा बगीचा है जहाँ 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, शान्त बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था

नाइटहुड :- ब्रिटिश राजा/रानी की तरफ से किसी व्यक्ति की अप्रतिम व्यक्तिगत सफलताओं या जनसेवा के लिए दी जाने वाली उपाधि।

सत्याग्रह आंदोलन :- सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ सत्य के लिए आग्रह करना होता है।

 

खिलाफत आंदोलन 1920 :- अंग्रेजों ने तुर्की के सुल्तान ( खलीफ ) ऑटोमन सम्राट पर बहुत सख्त संधि थोप दी थी।
मोहम्मद अली और शौकत अली ने इसका नेतृत्व किया।

पंजाब में हुए अत्याचारों (जलियांवाला बाग हत्याकांड ) और अत्याचार के विरुद्ध अभियान चलाएँ।
गाँधी जी ने समर्थन किया।

 

असहयोग आंदोलन :- 1921-22 के दौरान असहयोग आंदोलन को और गति मिली। सरकारी पुलिस , अदालतों , विधायी परिषदों , स्कूलों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया। और अंग्रेज़ो द्वारा दी गई उपाधियों को वापस लौटा दिया। विदेशी कपड़ो की होली जलाई।

घेरेबंदी :- प्रर्दशन या विरोध का ऐसा स्वरूप जिसमें किसी दुकान , फैक्ट्री या दफ़्तर के भीतर जाने रास्ता रोक लेते थे।

महंत :- सिख गुरुद्वारों के धार्मिक कर्ता-धर्ता।

गैर-कानूनी बेदखली :- पटाईदारों को उनके पट्टे से जबरन और गैर- कानूनी ढंग से निकाल देना।

 

1922-1929 की घटनाएँ :-

चौरी-चौरा :- 1922 में कुछ लोगों की गुस्साई भीड़ ने गोरखपुर के चौरी-चौरा के पुलिस थाने में आग लगा दी थी. इसमें 23 पुलिस वालों की मौत हो गई थी.
1919 गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट के तहत गठित की गई प्रांतीय परिषदों के चुनाव में हिस्सा लेना चाहते थे। उनको लगता था कि परिषदों में रहते हुए ब्रिटिश नीतियों को प्रभावित करना चाहिए।

संगठन :- हिंदुओ के संगठन स्वयंसेवक संघ 1925 ( आर एस एस ) की स्थापना की।

क्रांतिकारी राष्ट्रवादी :- भगत सिंह भी सक्रिय थे। सुभाषचंद्र बोस युवा नेता ज्यादा उग्र जनांदोलन में सक्रिय थे। 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में ” स्वतंत्रता दिवस ” मनाया गया।

साइमन वापस जाओ :- 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत ‘ साइमन वापस जाओ ‘ ( साइमन कमीशन गो बैक ) के नारों से किया गया।

दांडी मार्च :- 1930 में गांधीजी ने ऐलान किया कि वह नमक कानून तोड़ने के लिए यात्रा निकलेंगे । उस समय नमक के उत्पादन और बिक्री पर सरकार का एकाधिकार होता था।
नमक पर टैक्स वसूलना पाप है क्योंकि यह हमारे भोजन का एक बुनियादी हिस्सा होता है। नमक सत्याग्रह ने स्वतंत्रता को व्यापक चाह को लोगों बाकी एक खास शिकायत सभी से जोड़ दिया था और इस तरह अमीरों और गरीबों के बीच मतभेद पैदा नही होने दिया।

गांधीजी साबरमती से 240 किलोमीटर दुर स्थित दांडी तक पैदल चलकर गए। वहाँ समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया। यह कानून का उल्लघन था।

गोलमेज सम्मेलन :- 1931 में गांधी जी लदंन गए। यह वार्ता बीच में ही टूट गई और उन्हें निराश वापस लौटना पड़ा।

प्रथम गोलमेज सम्मेलन 22 नवंबर,1930 से 13 जनवरी 1931 तक लंदन में आयोजित किया गया।

दूसरे गोलमेज सम्मेलन के अधिवेशन के दौरान अक्टूबर,1931 के चुनावों के बाद इंग्लैण्ड में अनुदार दल का मंत्रिमंडल बना। इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग लिया था जिसमें कांग्रेस की ओर से नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था

तृतीय गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर,1932 से 24 दिसंबर 1932 तक चला, कांग्रेस ने सम्मेलन का बहिष्कार किया।

1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट में प्रांतीय स्वायत्तता का प्रावधान किया गया। सरकार ने ऐलान किया की 1937 में प्रांतीय विधायिकाओं के लिए चुनाव कराए जाएंगे।

भारत छोड़ो 1942 :- गांधी जी ने भारतीय जनता से आह्वान किया कि वे ” करो या मरो ” के सिद्धांत पर चलते हुए अंग्रेज़ो के विरुद्ध अहिंसक ढंग से संघर्ष करें।

मुस्लिम लीग :- मुस्लिम लीग ने देश के पश्चिमीमोतर ( वर्तमान पाकिस्तान ) तथा पूर्वी क्षेत्रों ( वर्तमान बांग्लादेश ) के लिए स्वतंत्र राज्यों की माँग की ।

” सामान्य ” निर्वाचन क्षेत्र :- ऐसे निर्वाचन क्षेत्र जहाँ किसी धार्मिक तथा अन्य सम्प्रदाय के लिए कोई आरक्षण नहीं था।

 पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ

भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ

बंगलादेश 26 मार्च 1971 को स्वतंत्र हुआ ।

 

 

 

अध्याय : 10 स्वतंत्रता के बाद

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