अध्याय : 3 खनिज और शक्ति संसधान

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खनिज :- प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाला पदार्थ जिसका निश्चित रासायनिक संघटन हो , वह एक खनिज है।
खनिज विभिन्न प्रकार के भूवैज्ञानिक परिवेश में अलग-अलग दशाओं में निर्मित होते हैं। वे बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के , प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं  वे भौतिक गुणों , जैसे – रंग , घनत्व , कठोरता और रासायनिक गुणों यथा विलेयता के आधार पर पहचाने जा सकते हैं।

शैल :- खनिज अवयवो के अनिश्चित संघटन वाले एक या एक से अधिक खनिजो का एक समूहन है।
यद्यपि 2,800 से अधिक खनिजो की पहचान की गई है।

खनिजों के प्रकार :- पृथ्वी पर तीन हज़ार को मुख्यत: धात्विक और अधात्विक खनिजों में वर्गीकृत किया गया है।

धात्विक :- खनिजों में धातु कच्चे रूप में होती है। धातुएँ कठोर पदार्थ हैं , जो ऊष्मा और विधुत को सूचलित करती हैं और जिनमें चमक की विशेषता होती है ।
उदाहरण – लौह अयस्क , बॉक्साइट , मैंगनीज अयस्क ।

धात्विक खनिज लौह अथवा अलौह हो सकते हैं।

लौह खनिजों :- जैसे – लौह अयस्क , मैंगनीज , क्रोमाइट में लोहा होता है।

अलौह खनिज जैसे – सोना , चाँदी , ताँबा , सीसा में लोहा नही होता है।

अधत्विक :- खनिजों में धातुएँ नही होते हैं। चुना पत्थर , अभ्रक , और जिप्सम इन खनिजों के उदाहरण है।
खनिज ईंधन जैसे – कोयला और पेट्रोलियम भी अधत्विक खनिज हैं।

खनिजो का खनन : 

1. खनन :- पृथ्वी की सतह के अंदर दबी शैलों से खनिजों को बाहर निकालने की प्रक्रिया खनन कहलाती है।

विवृत खनन :- पृष्ठीय स्तर को हटाकर निकाले जाते हैं।

कूपकी खनन :- अधिक गहराई में स्थित खनिजों को निकालने के लिए बनाए जाते हैं।

2. प्रवेधन :- पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस धरातल के बहुत नीचे पाए जाते हैं। उन्हें बाहर निकालने के लिए गहन कूपों की ख़ुदाई की जाती है , इसे प्रवेधन कहते हैं।

3. आखनन :- सतह के निकट स्थित खनिजों को जिद प्रकिया द्वारा आसानी से खोदकर निकाला जाता है , उसे आखनन कहते हैं।

 

खनिजों का वितरण :- खनिज विभिन्न प्रकार की शैलों में पाए जाते हैं। शैल तीन प्रकार के होते है –

आग्नेय शैल , कायांतरित शैल , अवसादी शैल

धात्विक खनिज आग्नेय और कायांतरित शैल समूहों , जिनसे विशाल पठारों का निर्माण होता है। मैदानों और नवीन वलित पर्वतों में अवसादी शैल पाए जाते है।

एशिया :- चीन और भारत के पास विशाल लौह अयस्क निक्षेप हैं। मैंगनीज , बॉक्साइट , निकेल , जस्ता और ताँबा के भी निक्षेप हैं।

यूरोप :- यूरोप विश्व में लौह अयस्क का अग्रणी उत्पादक है। ताँबा , सीसा , जस्ता , मैंगनीज , निकेल पाए जाते हैं।

उत्तर अमेरिका :-  ग्रेट लेक के उत्तर में कनाडियन शील्ड , आपलेशियन प्रदेश और पश्चिम की पर्वत श्रखंला में लौह अयस्क , सोना , यूरेनियम और ताँबा , चाँदी , सीसा , के विशाल निक्षेप है।

दक्षिण अमेरिका :- ब्राजील विश्व मे उच्च कोटि के लौह – अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक है। सोना , चाँदी , जस्ता , मैंगनीज , बॉक्साइट , अभ्रक , प्लैटिनम और हीरा के विशाल निक्षेप भी है।

अफ्रीका :- अफ्रीका खनिज संसधानों में धनी है। यह हीरा , सोना और प्लेटिनम का विश्व मे सबसे बड़ा उत्पादक है। ताँबा , लौह अयस्क , क्रोमियम , यूरेनियम , कोबाल्ट , बॉक्साइट पाए जाते हैं।

आस्ट्रेलिया :- आस्ट्रेलिया विश्व में बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह सोना , हीरा , लौह-अयस्क , टिन और निकेल का अग्रणी उत्पादक है।

अंटार्कटिका :- अंटार्कटिका का भूविज्ञान पर्याप्त रूप से सुप्रसिद्ध है।

 

 

अध्याय 4 – कृषि 

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