❍ उद्दीपन हम आस-पास होने वाले परिवर्तनों के प्रति अनुक्रिया करते हैं वातावरण में होने वाले परिवर्तनों को उद्दीपन कहते हैं।
❍ उत्सर्जन :- शरीर का अपशिष्ट पदार्थ सजीवों द्वारा निष्कासन के प्रक्रम को उत्सर्जन कहते हैं।
❍ आवास :- किसी सजीव का वह परिवेश जिसमें वह रहता है , उसका आवास कहलाता है।
❍ अनुकूलन :- जिन विशिष्ट संरचनाओं अथवा स्वभाव की उपस्थिति किसी पौधे अथवा जंतु को उसके परिवेश में रहने के योग्य बनाती है , अनुकूलन कहलाता हैं।
❍ स्थलीय आवास :- स्थल ( जमीन ) पर पाए जाने वाले पौधों एवं जंतुओं के आवास को स्थलीय आवास कहते हैं।
उदाहरण :- वन , घास के मैदान , मरुस्थल , तटीय एवं पर्वतीय क्षेत्र आदि।
❍ जलीय आवास :- जलाशय , दलदल , झील , नदियाँ , एवं समुद्र , जहाँ पौधे एवं जंतु जल में रहते हैं , जलीय आवास कहलाता है।
❍ जैव घटक :- पारिस्थितिकी तंत्र के संजीव घटकों को जैव घटक कहते हैं। इसमें पेड़-पौधे तथा जन्तु होते हैं।
❍ अजैव घटक :- किसी पारिस्थितिक तन्त्र में पाए जाने वाले सभी निर्जीव पदार्थ उसके अजैवक घटक हैं।
जैसे :- चट्टान , मिट्टी , वायु एवं जल आदि।
❍सूर्य का प्रकाश एवं ऊष्मा भी परिवेश के अजैव घटक हैं।
❍ अंकुरण :- बीज से नए पौधे का प्रारंभ है , जब बीज से अंकुरण निकल आता है तो इस प्रक्रिया को अंकुरण कहते हैं।
❍ प्रजनन :- जीव-जंतु प्रजनन द्वारा अपने समान संतान उत्पन्न करते हैं।
❍ कुछ जंतु अंडे देते हैं।
❍ कुछ जंतु शिशु को जन्म देते हैं।
❍ गति :- सभी सजीव एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं तथा उनके शरीर मे अन्य प्रकार की गति भी करते हैं।
❍ भोजन :- भोजन सजीवों को उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
❍ वृद्धि :- जंतुओं के बच्चे भी वृद्धि कर वयस्क हो जाते है।
❍ श्वसन क्रिया :- हम वायु से ऑक्सीजन लेते है और कार्बनडाइऑक्साइड को श्वास द्वारा बाहर निकल देते है।
❍श्वसन सभी सजीवों के लिए आवश्यक है।
❍ केंचुआ त्वचा द्वारा साँस लेता हैं।
❍ मछली गिल द्वारा साँस लेते है।
❍ पौधे पत्तियाँ सूक्ष्म रन्धों द्वारा वायु को अंदर लेती है।
सजीव में श्वसन , उत्सर्जन , उद्दिपन के प्रति अनुक्रिया ,प्रजनन , गति एवं वृद्धि , तथा मृत्यु होती हैं।
अल्प अवधि में किसी एक जीव के शरीर में होने वाले ये छोटे-छोटे परिवर्तन पर्यनुकूलन कहलाते हैं।