औद्योगिक संरचना | Industrial Structure MP GK

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औद्योगिक संरचना

☆ राज्य के प्रमुख उद्योग

• आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में गत वर्ष की तुलना में वर्ष 2017-18 (त्वरित) के दौरान 6.16% की वृद्धि हुई है। राज्य के सकल मूल्यवर्धन में उद्योग क्षेत्र (द्वितीयक क्षेत्र) का योगदान वर्ष 2017-18 के त्वरित अनुमानों के अनुसार 24.14% आंका गया है।
• औद्योगिक विकास की दृष्टि से राज्य का देश में सातवाँ स्थान है।
• राज्य की नवीन उद्योग संवर्द्धन नीति, 2014 द्वारा राज्य में नए लक्ष्य एवं उद्देश्य घोषित करके राज्य में औद्योगिकीकरण को प्रभावशाली बनाया जा रहा है।

 

राज्य के प्रमुख उद्योग निम्न प्रकार हैं

◇ कृषि पर आधारित प्रमुख उद्योग

• मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ विभिन्न नकदी फसलों का उत्पादन भी किया जाता है। प्रदेश में सर्वप्रथम कृषि आधारित उद्योग की स्थापना की गई थी।

राज्य में कृषि पर आधारित उद्योग निम्न प्रकार हैं।

∆ चीनी उद्योग

• राज्य में सबसे पहली चीनी मिल वर्ष 1934 में जावरा (रतलाम) में लगाई गई थी।
• चीनी मिलों की स्थापना मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में अधिक हुई है, क्योंकि गन्ना उत्पादक जिले इसी क्षेत्र में स्थित हैं।
• राज्य के मुख्य चीनी कारखाने भोपाल शुगर मिल (सीहोर), डबरा शुगर मिल (ग्वालियर), जीवाजी राव शुगर कम्पनी (मन्दसौर), जावरा शुगर मिल (रतलाम), सेठ गोविन्ददास शुगर मिल्स (उज्जैन), सारंगपुर, बरलाई तथा आलोट इत्यादि मिलें हैं।
• राज्य का सबसे बड़ा चीनी कारखाना बरलाई (इन्दौर) में स्थित है।

∆ वनस्पति घी

• राज्य में तिलहन एवं सोयाबीन की कृषि व्यापक पैमाने पर की जाती है। फलस्वरूप राज्य में वनस्पति घी बनाने की मिलों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
• वनस्पति घी बनाने के अधिकतर कारखाने, तिलहन उत्पादक क्षेत्रों-मालवा पठार, बैतूल, छिन्दवाड़ा पठार, मध्य नर्मदा घाटी तथा चम्बल की घाटी क्षेत्रों में लगाए गए हैं।
• राज्य के प्रमुख वनस्पति घी के कारखाने गंजबासौदा, जबलपुर, खण्डवा, ग्वालियर, इन्दौर एवं मुरैना में स्थित हैं।

∆ कृत्रिम रेशे का कपड़ा उद्योग

• राज्य में कृत्रिम रेशे से कपड़ा बनाने का उद्योग अपेक्षाकृत नवीन उद्योग है। इसके लिए कच्चा माल ग्वालियर, मुम्बई एवं देवास की कृत्रिम रेशे उत्पादक मिलों से प्राप्त होता है।
• राज्य में प्रमुख रूप से कृत्रिम रेशे के कपड़ा उत्पादक केन्द्र इन्दौर, ग्वालियर, नागदा, उज्जैन तथा देवास हैं।
• ग्रेसीम मिल, (नागदा) राज्य में कृत्रिम रेशा बनाने वाला सबसे बड़ा कारखाना है।

∆ सूती कपड़ा उद्योग

• प्रदेश में सबसे पहली सूती वस्त्र मिल बुरहानपुर में वर्ष 1906 में स्थापित की गई थी। इन्दौर राज्य का सबसे बड़ा सूती कपड़ा उत्पादन केन्द्र है।
• इस उद्योग के लिए वर्धा एवं पूर्णा नदी घाटियों से कपास, बरोरा खानों से कोयला एवं चम्बल परियोजना से सस्ती विद्युत प्राप्त होती है।
• सूती वस्त्र उद्योग राज्य में पश्चिमी कपास उत्पादक जिलों में केन्द्रित हैं। राज्य के प्रमुख सूती वस्त्र केन्द्र इन्दौर, ग्वालियर एवं उज्जैन इत्यादि हैं।
• सूती कपड़ा उत्पादन की दृष्टि से राज्य का देश में तीसरा स्थान है।

《कषि उद्योग विकास निगम द्वारा स्थापित कृषि आधारित उद्योग》

कृषि पर आधारित उद्योग      मुख्यालय

• जीवाणु खाद संयन्त्र           – भोपाल
• कीटनाशक संयन्त्र              – बीना(सागर)
• ऑयल एवं पशु आहार        – मुरैना
  संयन्त्र
• दानेदार मिश्रित खाद संयन्त्र – होशंगाबाद
• फल व सब्जी संरक्षण एवं    – भोपाल
  प्रक्रिया इकाई

 

 ◇ खनिजों पर आधारित उद्योग

राज्य में खनिजों पर आधारित प्रमुख उद्योग निम्नलिखित हैं

∆ चीनी मिट्टी उद्योग

• राज्य में चीनी मिट्टी पर्याप्त रूप से उपलब्ध है। यही कारण है कि राज्य में चीनी मिट्टी उद्योग में तेजी से वृद्धि हुई है।
• राज्य में ग्वालियर, जबलपुर तथा रतलाम इत्यादि क्षेत्रों में चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने के उद्योग स्थापित हैं।
• राज्य में फायर क्ले से ईंटें, पाइप तथा बेसिन इत्यादि कटनी तथा जबलपुर जिलों में बनाई जाती हैं।

∆ सीमेण्ट उद्योग

• राज्य में चूना-पत्थर के भण्डार बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं, जिससे प्रदेश में सीमेण्ट उद्योग की स्थापना में वृद्धि हुई है।
• राज्य में पहला सीमेण्ट कारखाना एसोसिएटेड सीमेण्ट कम्पनी (ACC) द्वारा बानमौर (मुरैना) में वर्ष 1922-23 में स्थापित किया गया।
• सतना स्थित सीमेण्ट कारखाना बिरला कॉर्पोरेशन द्वारा स्थापित किया गया है।

∆ हीरा उद्योग

• प्रदेश के पन्ना जिले में हीरा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
• मझगवाँ हीरा खान एशिया की पहली यान्त्रिक हीरा खान है। यहाँ से प्रतिवर्ष ₹50 से 55 करोड़ के हीरों का कारोबार होता है।

∆ भारी विद्युत उपकरण

भोपाल में वर्ष 1960 में ब्रिटेन की सहायता से बिजली का भारी सामान बनाने का कारखाना लगाया गया इसे भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स (BHEL) के नाम से जाना जाता है।
• BHEL कारखाना ताँबा, लोहा और अन्य अयस्कों का प्रयोग कर बिजली के भारी उपकरण बनाता है।

 

 ◇ वनों पर आधारित उद्योग

राज्य में वन आधारित प्रमुख उद्योग निम्नलिखित हैं

∆ कागज उद्योग

• राज्य में सलाई की लकड़ी एवं अन्य कच्चा माल पर्याप्त होने के कारण कागज उद्योग का विकास हुआ है।
• राज्य में कागज उद्योग की स्थापना सर्वप्रथम वर्ष 1956 में की गई थी, उसी समय खण्डवा के नेपानगर में नेशनल न्यूज प्रिण्ट एण्ड पेपर मिल की स्थापना की गई थी।
• करेन्सी प्रिण्टिंग प्रेस अथवा बैंक नोट प्रेस देवास में स्थित है। यहाँ कागजी मुद्रा का निर्माण किया जाता है।
• सिक्योरिटी पेपर मिल होशंगाबाद में स्थित है। यहाँ मुख्य रूप से नोट छापने का कागज तैयार किया जाता है।
• 30 मई, 2015 को राज्य के होशंगाबाद जिले में न्यू बैंक नोट कागज़ लाइन के उत्पादन के लिए एक नई पेपर लाइन यूनिट को प्रारम्भ किया गया।
• राज्य में शहडोल जिले के अमलाई स्थान पर निजी क्षेत्र में स्थापित ओरिएन्ट पेपर मिल सबसे प्रमुख है।

∆ लकड़ी उद्योग

• राज्य में सागौन व साल की बहुमूल्य लकड़ी बहुतायत मात्रा में पाई जाती है।
• राज्य में लकड़ी चीरने का व्यवसाय भी बड़े पैमाने पर होता है। इसका मुख्य केन्द्र जबलपुर है।
• राज्य के मण्डला तथा छिन्दवाड़ा में इमारती लकड़ी को चीरने के कारखाने स्थापित हैं।

∆ बीड़ी उद्योग

बीड़ी उद्योग का विकास राज्य में जबलपुर, सागर, कटनी, दमोह तथा सतना में हुआ है। यह कृषि आधारित उद्योग नहीं है। प्रदेश में तेन्दू पत्ते का संग्रहण देश में सर्वाधिक होता है।

∆ कत्था उद्योग

• खैर वृक्ष से कत्था बनाने का कार्य पूर्वी मध्य प्रदेश की खैरवार जनजाति द्वारा किया जाता है।
• शिवपुरी तथा बानमौर में भी कत्था उत्पादक इकाइयाँ उत्पादन कर रही हैं।

∆ लाख उद्योग

• राज्य के विन्ध्य क्षेत्र में लाख उद्योग का केन्द्रीकरण है।
• कच्चे लाख से सीड लाख तथा शैलाख बनाने का एक शासकीय कारखाना उमरिया में है। लाख का प्रयोग चमड़े पर वार्निश तथा सौन्दर्य उद्योग इत्यादि में किया जाता है।

∆ चिप-बोर्ड एवं माचिस डिब्बा उद्योग

• चिप-बोर्ड तथा पार्टिकल बोर्ड बनाने का कारखाना इटारसी में स्तिथ है।
• माचिस की डिब्बी बनाने का कारखाना ग्वालियर में स्थित है। ये कारखाने स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग करते हैं।

 ◇ वाहन उद्योग

• राज्य में इन्दौर के निकट पीथमपुर को वाहन उद्योग केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। पीथमपुर को भारत का डेट्राइट कहा जाता है।
• यहाँ पर स्कूटर, कार के इंजन, हल्के वाणिज्यिक वाहन आदि बनाए जाते हैं।
• जबलपुर में सेना के वाहन बनाने का एक कारखाना कार्यरत् है।
• बैतूल एवं पीथमपुर में टायर एवं ट्यूब बनाने के कारखाने कार्यरत् हैं।
• राज्य की व्यावसायिक राजधानी इन्दौर में डीजल ईंधन संयन्त्र की स्थापना की गई है।
• राज्य में पहला डीजल लोकोमोटिव संयन्त्र सीहोर में स्थित है। रेलवे वैगन वर्कशॉप भोपाल में स्थित है।

◇ हथकरघा उद्योग

• हथकरघा उद्योग परम्परागत एवं कलात्मक वस्त्रों के उत्पादन के साथ-साथ राज्य में बुनकरों को रोजगार भी उपलब्ध कराता है।
• राज्य में मुख्य हथकरघा केन्द्र सीहोर, खरगौन, नीमच बालाघाट, सीधी, मण्डला एवं नीमच में स्थित है।
• वर्ष 1976 में राज्य में हथकरघा संचालनालय का गठन किया गया था।
• राज्य के कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के अन्तर्गत संतरविदास मध्य प्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम, हथकरघा क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों का संचालन करता है।
• राज्य सरकार ने बुनकरों के लिए कबीर बुनकर पुरस्कार योजना भी संचालित की है, जिसके अन्तर्गत उत्कृष्ट हथकरघा वस्त्र उत्पादन करने वाले तीन बुनकरों को ₹1,00,000 (प्रथम), ₹50,000 (द्वितीय) तथा ₹25,000 (तृतीय) की धनराशि व प्रतीक चिन्ह प्रदान करने का प्रावधान किया है।

 

 ◇ राज्य के अन्य उद्योग

∆ औषधि उद्योग

राज्य में औषधि उद्योग के प्रमुख केन्द्र भोपाल, के छिन्दवाड़ा, देवास, धार, जबलपुर, मालनपुर, पीलूखेड़ी, कटनी इत्यादि हैं।

∆ रसायन उद्योग

राज्य में उज्जैन, पीथमपुर, मण्डीद्वीप, बैढ़न, मक्सी, सीहोर, पन्ना, रतलाम इत्यादि क्षेत्रों में हल्के रसायन, उर्वरक तथा रोगाणुनाशक दवाइयाँ बनाने के कारखाने स्थापित किए गए हैं।

∆ पेट्रो रसायन उद्योग

प्रदेश में भोपाल, मण्डला, पीथमपुर, सीहोर एवं जबलपुर में रसोई गैस की फिलिंग का कार्य किया जाता है।

∆ इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग

राज्य में टेलीविजन (भोपाल, पीथमपुर), टेलीविजन के पुर्जे (मालनपुर), फोटो कॉपियर्स का एकत्रण (इन्दौर) इत्यादि में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों की स्थापना की गई है। इन्दौर में इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स स्थित है।

∆ रत्न परिष्कृत उद्योग

ग्रेनाइट काटने एवं पॉलिश करने का उद्योग राज्य के दतिया जिले में प्रमुख रूप से होता है, जबकि जबलपुर में प्रथम रत्न परिष्कृत केन्द्र है।

《मृगनयनी एम्पोरियम》

 

 

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