मध्य प्रदेश की भू-वैज्ञानिक संरचना | Geological Structure of Madhya Pradesh

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☆ मध्य प्रदेश की भू-वैज्ञानिक संरचना

• मध्य प्रदेश भू-गर्भिक दृष्टिकोण से प्राचीनतम गोण्डवानालैण्ड का भू-भाग है।

• यह पूर्णतः भू-आवेष्ठित राज्य है। राज्य की सीमा न तो किसी समुद्री सीमा को स्पर्श करती है और न ही अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाती है।

• राज्य का अधिकतम भाग प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा है। इस कारण प्रदेश के विभिन्न भागों में प्राचीनकाल से लेकर अद्यतन काल की भू-वैज्ञानिक संरचना देखने को मिलती भू है।

 

 

प्रदेश में निम्नलिखित कालों की संरचना पाई जाती है

◇ आद्य महाकल्प (आर्कियन)

• आर्कियन काल की चट्टानें पृथ्वी की प्रथम कठोर चट्टानें मानी जाती हैं। भू-वैज्ञानिकीय संरचना की दृष्टि से आर्कियन चट्टानें प्राचीनतम हैं।

• इन प्रारम्भिक चट्टानों में जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं, क्योंकि तत्कालीन समय में पृथ्वी पर जीवन का विकास नहीं हुआ था।

• मध्य प्रदेश में इस काल की चट्टानें नीस के रूप में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मिलती हैं।

 

 

◇ धारवाड़ शैल समूह

• मध्य प्रदेश में धारवाड़ समूह की चट्टानें जबलपुर, बालाघाट और छिन्दवाड़ा में मिलती हैं।

• छिन्दवाड़ा में धारवाड़ शैल समूह को सौन्सर सीरीज कहा जाता है। इसमें मैंगनीज की परत मिलती है।

• चिल्पी सीरीज बालाघाट और उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में पाए जाने वाली धारवाड़ चट्टानों को चिल्पी सीरीज कहा जाता है। इसमें स्लेट व फाइलाइट की परतें मिलती हैं।

• बिजावर सीरीज यह निचली कड़या शैल समूह का ऊपरी स्तर होता है। इसी सीरीज में पन्ना क्षेत्र की प्रसिद्ध हीरों की खान मिलती है।

• मध्य प्रदेश के विन्ध्याचल शैल समूह में चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, डोलोमाइट, चीनी मिट्टी आदि पाई जाती हैं।

 

 

◇ पुराण शैल समूह

पुराण शैल समूह को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जाता है

(i) कड़प्पा शैल समूह
मध्य प्रदेश में कड़प्पा शैल समूह की चट्टानें बिजावर, पन्ना एवं ग्वालियर में शैल, जैस्पर, पोसेलिनाइट एवं हार्न स्टोन के रूप में पाई जाती हैं। इस समूह की चट्टानें अत्यधिक टूटी एवं कायान्तरित रूप में देखने को मिलती हैं। प्रदेश में बिजावर की कड़प्पा शैल में हीरा मिलता है।

(ii) विन्ध्यन शैल चट्टान

• मध्य प्रदेश में इन चट्टनों का विस्तार सोन नदी के उत्तर-पश्चिम में रीवा से लेकर चम्बल नदी के पश्चिम में राजस्थान तक विस्तृत है। विन्ध्यन शैल समूह की चट्टानों को लोअर विन्ध्यन एवं अपर विन्ध्यन समूह में विभाजित किया जाता है।

• लोअर विन्ध्यन शैल समूह की चट्टानें सोन घाटी में चूने के पत्थर, शैल तथा बालू-पत्थर के रूप में फैली हैं।

• अपर विन्ध्यन शैल समूह की चट्टानें नर्मदा के उत्तर में कैमूर, रीवा तथा भाण्डेर सीरीज के रूप में फैली हैं। अपर विन्ध्यन समूह की चट्टानों में अल्प मात्रा में छोटे जन्तुओं एवं वनस्पति के अंश मिलते हैं।

 

◇ गोण्डवाना शैल समूह

• गोण्डवाना युग की चट्टानें मध्य प्रदेश के सतपुड़ा और बघेलखण्ड क्षेत्रों में जाती हैं।

• गोण्डवाना शैल समूह में ही मध्य प्रदेश के पेंच घाटी और मोहपानी के कोयला क्षेत्र मिलते हैं।

• इसकी प्रमुख श्रेणियाँ पेंच घाटी, मोहपानी देनवा एवं बागरा, पंचमढी तथा महादेव हैं।

 

 

प्रदेश में इस समूह की चट्टानों का अध्ययन निम्न तीन भागों में किया जाता है।

• लोअर गोण्डवाना समूह की चट्टानें मध्य प्रदेश में सोन एवं महानदी घाटी में सतपुड़ा क्षेत्र में फैली हैं।

• मध्य गोण्डवाना समूह मध्य प्रदेश में मध्य गोण्डवाना शैल समूह की चट्टानें सतपुड़ा के चारों स्तर – र-पंचेत, पंचमढ़ी, देनवा एवं बागरा में मिलती हैं।

• अपर गोण्डवाना समूह मध्य प्रदेश में अपर गोण्डवाना समूह की चट्टानें सतपुड़ा एवं बघेलखण्ड क्षेत्रों में मिलती हैं।

 

 

◇ क्रिटेशियस कल्प

• प्रदेश में क्रिटेशियस कल्प की चट्टानें बाघ सीरीज व लमेटा सीरीज के रूप में पाई जाती हैं।

• ये क्रिटेशियस काल में नदी और एस्चुअरी के निक्षेपण से बने शैल समूह हैं। ये मुख्यतः नर्मदा घाटी के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।

• दक्कन ट्रैप का निर्माण क्रिटेशियस काल (135 मिलियन वर्ष पूर्व) के ज्वालामुखी के दरारी उद्गार से निर्मित बेसाल्ट चट्टानों से हुआ है।

• मध्य प्रदेश के इन्दौर, भोपाल, जबलपुर क्षेत्रों में दक्कन ट्रैप का विस्तार पाया जाता है।

 

 

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