रासायनिक संयोजन के नियम :-
किन्हीं दो या उससे अधिक पदार्थों के बीच रासायनिक अभिक्रिया कुछ सिद्धान्तों पर आधारित होती है । इन सिद्धान्तों को रासायनिक संयोजन के नियम कहते हैं ।
द्रव्यमान संरक्षण का नियम :-
इस नियम के अनुसार , ” द्रव्यमान का उदय या विनाश संभव नहीं है । किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के दौरान पदार्थों के द्रव्यमान का जोड़ उस अभिक्रिया के उत्पादों के द्रव्यमानों के जोड़े के बराबर होगा ।
स्थिर अनुपात का नियम :-
इस नियमानुसार कोई शुद्ध रासायनिक यौगिक सदैव उन्हीं तत्वों से निर्मित होगा जिनसे वह मिलकर निर्मित हुआ है , तथा इन तत्वों के द्रव्यमान का अनुपात सदैव समान होगा , फिर चाहे यह यौगिक किसी भी स्थान से प्राप्त किया गया हो अथवा निर्माण किसी भी पद्धति द्वारा किया गया हो ।
डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त :-
रासायनिक संयोजन के नियम पर आधारित डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त , ‘ द्रव्यमान संरक्षण का नियम ‘ तथा ‘ स्थिर अनुपात के नियम ‘ को सिद्ध करता है ।
डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त के महत्वपूर्ण अंश :-
सभी द्रव्य परमाणुओं से निर्मित होते हैं । परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो उत्पन्न होते हैं न ही उनका इसमें विनाश होता है । ( यह अंश द्रव्यमान संरक्षण के नियम को सिद्ध करता है ) दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं । भिन्न – भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न – भिन्न होते हैं । भिन्न – भिन्न तत्वों परमाणु परस्पर छोटी पूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग कर यौगिक का निर्माण करते हैं । ( यह अंश स्थिर अनुपात के नियम को सिद्ध करता है ) किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एक प्रकार से निश्चित होती हैं ।
परमाणु :-
आधुनिक परमाणु सिद्धान्त के अनुसार परमाणु किसी भी तत्व का वह सूक्ष्मतम भाग है जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में बिना अपने रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मों को बदले , उस अभिक्रिया में प्रयुक्त होता है ।
परमाणु तत्व के सूक्ष्मतम भाग है जिन्हें किसी भी शक्तिशाली सूक्ष्मदर्शी से भी देखा नहीं जा सकता ।
परमाणु त्रिज्या का मापन :-
परमाणु त्रिज्या नैनोमीटर में मापी जाती है।
10-⁹ m = 1nm 1m = 10⁹ nm
परमाणु द्रव्यमान :-
किसी भी तत्व के एक परमाणु का द्रव्यमान उसका परमाणु द्रव्यमान कहलाता है ।
वर्ष 1961 में IUPAC ने ” परमाणु द्रव्यमान की इकाई ” या ” u ” को परमाणुओं के द्रव्यमान का मापक माना ।
परमाणु द्रव्यमान की इकाई :-
एक परमाणु द्रव्यमान की इकाई का द्रव्यमान एक C¹² समस्थानिक के 1 / 12 वें हिस्से के द्रव्यमान के बराबर होता है ।
परमाणु किस प्रकार अस्तित्व में रहते हैं :-
ज्यादातर तत्वों के परमाणु अत्यधिक अभिक्रियाशील होने के कारण कभी भी मुक्तावस्था में नहीं पाए जाते । केवल निष्क्रिय गैसों के परमाणु ही मुक्तावस्था में पाए जाते हैं ।
अणु :-
किसी अणु का निर्माण दो या उससे अधिक परमाणुओं के बीच रासायनिक बंध उत्पन्न होने के कारण होता है ।
अणु , ( तत्वों को छोड़ ) किसी भी पदार्थ की वह सूक्ष्मतम इकाई है । जो स्वतंत्र रूप से रह सकता है और यह उस पदार्थ के सारे गुणधर्मों को प्रदर्शित कर सकता है जैसे की , H₂0 अणु जल के सम्पूर्ण गुणधर्मों को प्रदर्शित करता है ।
किसी भी अणु का निर्माण एक ही तरह के परमाणु या भिन्न – भिन्न प्रकार के परमाणुओं के बीच रासायनिक बंध होने के कारण हो सकता है ।
परमाणुकता :-
किसी एक अणु में उपस्थित परमाणुओं की संख्या को परमाणुकता कहते हैं ।
रासायनिक सूत्र :-
किसी यौगिक का रासायनिक सूत्र उसके संघटक का प्रतीकात्मक निरूपण होता है ।
रासायनिक सूत्र की विशेषताएँ :-
रासायनिक सूत्र के संघटकों की संयोजकताएँ या आवेश बराबर होने चाहिए ।
धातु एवं अधातु के यौगिक की रासायनिक सूत्र की संरचना में धातु को पहले लिखा जाता है में तथा अधातु को उसके बाद ।
बहुपरमाणविक आयन के रासायनिक सूत्र में आने की स्थिति में , इस आयन को ब्रेकिट में रखा जाता है । फिर संयोजक अथवा आवेश को ब्रेकिट के नीचे लगाते हैं ।
रासायनिक सूत्र लिखने के नियम :-
सबसे पहले तत्वों के परमाणुओं के चिह्नों को लिखा जाता है । अब इन चिह्नों के नीचे इनकी संयोजकताओं को लिखा जाता है । अब संयोजित परमाणुओं की संयोजकताओं को क्रास करते हैं । परिणामस्वरूप पहला परमाणु दूसरे परमाणु की संयोजकता ग्रहण करता है तथा दूसरा परमाणु पहले वाले परमाणु की संयोजकता को ग्रहण करता है । संयोजकताओं को क्रास करके रासायनिक सूत्र तैयार हो जाता है ।
आणविक द्रव्यमान :-
किसी भी एक अणु में उपस्थित परमाणुओं के द्रव्यमानों के जोड़ को आणविक द्रव्यमान कहा जाता है । परमाणु द्रव्यमान की भाँति इसका मात्रक भी परमाणु की द्रव्यमान इकाई ही होता है ।
सूत्र इकाई द्रव्यमान :-
किसी पदार्थ का सूत्र इकाई द्रव्यमान उसके सभी संघटक परमाणुओं के परमाणु द्रव्यमानों का योग होता है ।
सूत्र द्रव्यमान एवं आणविक द्रव्यमान में अंतर :-
सूत्र द्रव्यमान एवं आणविक द्रव्यमान में केवल अंतर यही है कि यहाँ पर हम उस पदार्थ के सूत्र इकाई द्रव्यमान का उपयोग करते हैं , जिसके संघटक आयन होते हैं ।
आयन :-
आयन एक परमाणु या परमाणुओं का समूह होता है जिस पर कुछ आवेश ( धनात्मक आयन या ऋणात्मक ) अवश्य उपस्थित रहता है ।
धनावेशित आयन – Na⁺, K⁺ , Ca²+, Al³+ ऋणावेशित आयन– CI⁻ , S²⁻ , OH⁻ , SO₄²⁻
मोल- संकल्पना :-
किसी स्पीशीज ( परमाणु , अणु , आयन अथवा कण ) के एक मोल में मात्राओं की वह संख्या है जो ग्राम में उसके परमाणु अथवा आण्विक द्रव्यमान के बराबर होती है । किसी पदार्थ के एक मोल में कणों की संख्या निश्चित होती है जिसका मान 6.022×10²³ होता है ।
मोलर द्रव्यमान :-
मोलर द्रव्यमान किसी भी पदार्थ के एक मोल कणों के द्रव्यमानों का जोड़ होता है ।
अध्याय 4 – परमाणु की संरचना
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