अध्याय 4 : परमाणु की संरचना

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परमाणु :-

परमाणु पदार्थ के निर्माण खंड हैं । यह पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है जो तीन उप- परमाणु कणों से मिलकर बनी होती है : प्रोटॉन , न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन । इससे पहले डाल्टन ने कहा था कि परमाणु अविभाज्य है यानी आगे विभाजित नहीं किया जा सकता है जो कि उप – परमाणु कणों की खोज से गलत साबित हुआ है ।

 

इलैक्ट्रॉन की खोज :-

इलैक्ट्रॉन की खोज कैथोड किरणें की सहायता से जे.जे.टामसन ने की । टामसन ने केथोड किरणों की मदद से परमाणु में इलैक्ट्रॉन की उपस्थिति के बारे में बताया ।

 

इलेक्ट्रान के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-

इलेक्ट्रॉन पर आवेश = -1.6×10⁻¹⁹C

इलेक्ट्रॉन पर द्रव्यमान = 9.1 × 10⁻³¹ Kg

 

 

 

प्रोटॉन की खोज :-

ई . गोल्डस्टीन ने उनके द्वारा प्रसिद्ध एनोड किरणों या केनाल किरणों के प्रयोग द्वारा परमाणु में धनावेशित कण यानि प्रोटॉन की खोज की ।

 

प्रोटॉन के कुछ तथ्य :-

प्रोटॉन पर आवेश = +1.6 × 10⁻¹⁹C

प्रोटॉन का द्रव्यमान = 1.673 × 10⁻²⁷Kg

प्रोटॉन का द्रव्यमान = 1840 x इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान

 

 

न्यूट्रॉन की खोज :-

जेम्स चैडविक ने हल्के तत्वों ( जैसे- लीथियम , बोरोन इत्यादि ) की कणों से साथ भिड़ंत करवाई , जिसके कारणवश एक नए कण जिनका द्रव्यमान प्रोटॉन के बराबर था , तथा वे आवेश रहित थे , की उत्पत्ति सिद्ध की । इन कणों को न्यूट्रॉन का नाम दिया गया ।

न्यूट्रॉन , हाइड्रोजन के प्रोटियम समस्थानिक में नहीं होते हैं । इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन के द्रव्यमान से अत्यधिक कम है , इसलिए परमाणु का द्रव्यमान , प्रोटोन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमानों का योग होगा ।

 

परमाणु मॉडल :-

उप – परमाणुविक कणों जैसे की इलेक्ट्रॉन , प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की खोज के उपरान्त परमाणु के विभिन्न मॉडल दिए गए । उनमें से कुछ परमाणु के मॉडल इस तरह से हैं :-

( a ) टॉमसन का परमाणु मॉडल

( b ) रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल

( c ) बोर का परमाणु मॉडल

 

इन दिनों ‘ क्वांटम यांत्रिक परमाणु मॉडल ‘ , वैज्ञानिक तौर पर सही पाया गया है और इसी मॉडल को स्वीकृति दी गई है । इस मॉडल को उच्च कक्षाओं में पढ़ाया जाएगा ।

 

टॉमसन का परमाणु मॉडल :-

टॉमसन के इस परमाणु मॉडल को ‘ कटा तरबूज मॉडल ‘ कहते हैं । टॉमसन के इस मॉडल में परमाणु में धन आवेश तरबूज के खाने वाले लाल भाग की तरह बिखरा है जबकि इलेक्ट्रॉन धनावेशित गोले में तरबूज के बीज की भांति धंसे हैं ।

हालांकि इस मॉडल ने परमाणु के आवेशरहित अभिलक्षण की विवेचना की पर कुछ वैज्ञानिक को यह मॉडल नहीं समझ आया इसलिए इसे नकार दिया गया ।

 

रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल :-

रदरफोर्ड ने अपने प्रयोग में , तेज से चल रहे अल्फा ( हीलियम नाभिक ₂He₄ ) कणों को सोने के पन्नी से टक्कर कराई ।

 

रदरफोर्ड के प्रयोग के परिणाम :-

ज्यादातर अल्फा कण बिना मुड़े सोने की पन्नी से सीधे निकल गए । कुछ अल्फा कण निम्न कोणों से मुड़े । प्रत्येक 12000 कणों में से एक कण वापस आ गया ।

 

 

रदरफोर्ड के प्रयोग के आधार पर निष्कर्ष :-

अपने प्रयोग के परिणामों के आधार पर रदरफोर्ड ने निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले :-

परमाणु के भीतर का अधिकतर भाग खाली है क्योंकि अधिकतर अल्फा कण बिना मुड़े सोने की पन्नी से बाहर निकल जाते हैं ।

परमाणु के बीच एक धनावेशित गोला जिसे नाभिक कहा जाता है , क्योंकि 12000 में से एक a – कण वापस आ गया ।

क्योंकि ज्यादातर कण सोने की पन्नी से सीधे निकल गए और कुछ ही कणों में झुकाव देखा गया , इस आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि परमाणु के भीतर ज्यादातर भाग खाली है और नाभिक इस खाली भाग के बहुत छोटे से भाग में मौजूद होता है ।

नाभिक का आयतन 10⁻⁵ गुणा परमाणु के आयतन के बराबर होता है ।

परमाणु का सम्पूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में होता है ।

 

 

रदरफोर्ड के प्रयोग की विशेषताएँ :-

अपने प्रयोग के आधार पर , रदरफोर्ड ने परमाणु का मॉडल प्रस्तुत किया जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ थीं

परमाणु का केन्द्र धनावेशित होता है जिसे नाभिक कहा जाता है । एक परमाणु का सम्पूर्ण द्रव्यमान नाभिक में होता है । इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वलयकार मार्ग में चक्कर लगाते हैं । नाभिक का आकार परमाणु के आकार की तुलना में काफी कम होता है ।

 

 

रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियाँ :-

रदरफोर्ड के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वलयाकार मार्ग में चक्कर लगाते हैं , किन्तु आवेशित होने के कारण , ये कण अपनी ऊर्जा निरन्तर खोते रहते हैं जिसके कारण वे अंततः नाभिक में प्रवेश कर परमाणु को अस्थिर बनाते हैं ।

यह रदरफोर्ड परमाणु मॉडल की सबसे बड़ी कमी थी , जिसे रदरफोर्ड समझा नहीं पाया ।

 

 

बोर का परमाणु मॉडल :-

रदरफोर्ड मॉडल की कमी का निवारण बोर के परमाणु मॉडल से हुआ । नील्स बोर ने 1912 में परमाणु के बारे में अपना मॉडल प्रस्तुत किया जिसमें निम्नलिखित तथ्य मौजूद थे :-

इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित कक्षाओं में ही चक्कर लगा सकते हैं , जिन्हें इलेक्ट्रॉन की निर्धारित कक्षा कहते हैं । इन निर्धारित कक्षाओं में चक्कर लगाते हुए , ये इलेक्ट्रॉन अपनी ऊर्जा का विकिरण नहीं करते । किसी भी परमाणु के इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में बदलाव , इन इलेक्ट्रॉन की कक्षाओं में स्थानांतरण के कारण होता है ।

 

 

परमाणु संख्या :-

किसी भी परमाणु में प्रोटॉन की कुल संख्या का मान उसकी परमाणु संख्या कहलाती है ।

परमाणु संख्या किसी भी परमाणु का परिचायक होता है , इसमें बदलाव किसी भी परमाणु के स्वरूप को बदल देता है । परमाणु संख्या , ‘ z ‘ द्वारा प्रदर्शित की जाती है । किसी भी अनावेशित परमाणु में , प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन की संख्या बराबर होती है ।

 

 

द्रव्यमान संख्या :-

द्रव्यमान संख्या किसी परमाणु के नाभिक में मौजूद प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन की संख्या का जोड़ होती हैं ।

द्रव्यमान संख्या ‘ A ‘ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ।

 

संयोजकता :-

बोरबरी नियम के अनुसार हमें ज्ञात है कि किसी भी परमाणु के अंतिम कोश में ‘ 8 ‘ इलेक्ट्रॉन भरे जा सकते हैं ।

हर तत्व अपनी बाहरी कोश में 8 इलेक्ट्रॉन भरने के लिए , इलेक्ट्रॉन को अपने में से मुक्त या अन्य तत्वों में से इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करते हैं ।

8 इलेक्ट्रॉन अपने अंतिम कोश में रखने हेतु जो भी इलेक्ट्रॉन कोई तत्व लेता या देता है इलेक्ट्रान की इस संख्या जो लेने देने में उपयोग होती है । उसे संयोजकता कहते हैं ।

 

 

 

समस्थानिक :-

एक ही तत्व के ऐसे परमाणु जिनके परमाणु संख्या बराबर हो पर द्रव्यमान संख्या भिन्न हों । ऐसे परमाणु समस्थानिक कहलाए जाते हैं ।

समस्थानिक का उपयोग :-

यूरेनियम समस्थानिक का उपयोग परमाणु संयंत्र में ईंधन के तौर पर किया जाता है । कोबाल्ट का समस्थानिक कैंसर के उपचार में उपयोग किया जाता है । आयोडीन के समस्थानिक का उपयोग घेंघा के उपचार में किया जाता है । C-14 ( कार्बन – 14 ) का उपयोग कार्बन डेटिंग में किया जाता है ।

 

 

समभारिक :-

अलग – अलग तत्वों के ऐसे परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ एक जैसी हों परन्तु परमाणु संख्या भिन्न हो , समभारिक कहलाए जाते हैं ।

 

 

 

अध्याय 5 – जीवन की मौलिक ईकाई कोशिका

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