अध्याय : 15 हमारे चारों ओर वायु

Spread the love

 ❍ पृथ्वी पर जीवन के लिए वायुमंडल आवश्यक है।

❍ वायु :- नाइट्रोजन 78% , ऑक्सीजन 21% , शेष 1% में कार्बनडाइऑक्साइड , कुछ अन्य गैस , जलवाष्प तथा धूल के कण होते हैं।

 

❍ वायुमंडल :- वायु की वह परत , जो पृथ्वी को घेरे हुए हैं , उसे वायुमंडल कहते है।

❍ इस परत का विस्तार पृथ्वी की सतह से कई किलोमीटर ऊपर तक है।

1.क्षोभ मंडल (Troposphere)
2.समताप मंडल(Stratosphere)
3.मध्यमंडल (Mesosphere)
4.आयन मंड(Thermosphere)
5.बाह्य मंडल (Exosphere)

 

 

 ❍वायुमंडल का संघटन ( Atmosphere Composition )

1.नाइट्रोजन ( N2 ) – 78%
2.ऑक्सीजन ( O2 ) – 21%
3.आर्गन ( Ar ) – 0.93 %
4.कार्बन डाइऑक्साइड – 0.03%
5. अन्य सभी 0.04 (हीलियम और हाइट्रोजन )

 

❍ वातसूचक :- जब वातसूचक घूमती है तो वह उस दिशा में रुक जाता है जिस दिशा में वायु चल रही हो।

❍ पर्वतारोही :- पर्वतरोही ऊँचे पर्वतों पर चढ़ाई के समय सिलिंडर अपने साथ इसलिए ले जाते हैं क्योंकि अत्यधिक ऊंचाई पर वायु में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

 

 

❍ जैसे-जैसे हम वायुमंडल में पृथ्वी के तल से ऊपर की ओर जाते हैं , वायु में ऑक्सीजन की कमी होती जाती है।

 

❍ वायु किससे बनी है :- वायु अनेक गैसों के मिश्रण से बनी होती है।

1.नाइट्रोजन ( N2 ) – 78%
2.ऑक्सीजन ( O2 ) – 21%
3.आर्गन ( Ar ) – 0.93 %
4.कार्बन डाइऑक्साइड – 0.03%
5. अन्य सभी गैस 0.04 जलवाष्प तथा धूल के कण

 

 

❍ ऑक्सीजन कैसे लेते है :- जल तथा मिट्टी में वायु उवस्थित होती है ।

❍ मिट्टी के जीव :- मिट्टी के जीव गहरी मिट्टी में बहुत-से माँड़ तथा छिद्र बना लेते हैं। इन छिद्रों के द्वारा वायु को अंदर व बाहर जाने के लिए जगह उपलब्ध हो जाती है।

 

वायु में जलवाष्प विघमान होती है। जब वायु ठंडे पृष्ठ के संपर्क में आती है तो इसमें उस्थित जलवाष्प ठंडी होकर संघनित हो जाती है तथा जल की बूँदे ठंडे पृष्ठ पर दिखाई देती हैं।

 

❍ वायु प्रत्येक स्थान पर मिलती है। हम वायु को देख नही सकते इसे अनुभव कर सकते है।

❍ पवन :– गतिशील वायु को पवन कहते है।

❍ वायु का द्रव्यमान होता है और वायु जगह घेरती है।

 

❍ पादप एवं जंतु :- श्वसन प्रक्रिया में ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं और कार्बनडाइऑक्साइड बनाते हैं।

 

❍ जलीय-प्राणी :- श्वसन के लिए जल में घुली वायु का उपयोग करते हैं।

 

❍ पवन चक्की :- पवन से चलने वाली युक्ति है जो डायनेमों की सहायता से विधुत उतपन्न करता है।

 

 

❍ प्रकृति में जलचक्र के लिए वायु में जलवाष्प का उपस्थित होना अनिवार्य है।

❍ जलने की क्रिया में केवल ऑक्सीजन की उवस्थिति में ही संभव है।

 

कार्बनडाइऑक्साइड गैस की उवस्थिति में घुटन महसूस होता है।

❍ धुँए में कुछ गैसें एवं सूक्ष्म धूल के कण होते हैं जो प्रायः हानिकारक होते हैं।

❍ हमारी नाक में छोटे-छोटे बाल तथा श्लेष्मा उवस्थित होते है जो धूल के कणों को श्वसन-तंत्र में जाने से रोकते हैं।

 

 

 

अध्याय : 16 कचरा -संग्रहण एवं निपटान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *