अध्याय 9 : समानता के लिए संघर्ष

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इस पुस्तक में आपने अनेकों उदाहरण देखे हैं जिसमें लोगों के साथ समानता का व्यवहार किया गया है ऐसी स्थिति में लोग क्या कर सकते हैं हमारे पास आने को उदाहरण है जब लोगों ने असमानता के विरुद्ध और न्याय के लिए संघर्ष किया है और समानता को हासिल किया है

भारत का संविधान हर भारतीय नागरिक को समान दृष्टि से देखता है राज्य और उसके कानून की दृष्टि में किसी भी व्यक्ति के साथ उसकी जाति, लिंग, धर्म तथा अनेक अमीर या गरीब होने के का आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता प्रत्येक व्यस्त नागरिक को मताधिकार है  मताधिकार से हमारे भीतर समानता का भाव विकसित होता है क्योंकि हमारे भी वोट की कीमत उतनी ही है जितनी किसी भी और व्यक्ति के वोट की

 

 

 भारत में असमानता का आधार

महिलाओं के द्वारा किए गए काम अक्सर ही पुरुषों के काम की तुलना में तुच्छ माने जाते हैं भारत में किए जाने वाले भेदभाव का प्राथमिक कारण यह है कि वह किसी खास सामाजिक या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के हैं  धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है

 

 

 समानता के लिए संघर्ष

दुनियाभर के तमाम समुदायों गांवों और शहरों में आप देखते होंगे कि कुछ लोग असमानता के लिए संघर्ष के कारण सम्मान से पहचाने जाते हैं यह लोग असमानता के विरुद्ध संघर्ष करते हैं और इन्हें समाज का समर्थन प्राप्त होता है भारत में ऐसे अनेक संघर्ष याद किए जा सकते हैं जहां पर लोग ऐसे मुद्दों के लिए लड़ने को आगे आए जो उन्हें महत्वपूर्ण लगते थे जैसे महिलाओं का आंदोलन मध्यप्रदेश का तवा मत्स्य संघ इसके महत्वपूर्ण उदाहरण है

 

 

 “तवा मत्स्य संघ”

लोग और समुदाय का विस्थापन हमारे देश में एक बड़ी समस्या का रूप ले चुका है ऐसे में कई बार लोग संगठित होकर इसके विरूद्ध लड़ाई के लिए सामने आते हैं देश में ऐसे बहुत से संगठन है जो विस्थापितों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं तवा मत्स्य संघ मछुआरों की सहकारी समितियों का एक संग है और सतपुड़ा के जंगलों से विस्थापित लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रहा है

छिंदवाड़ा जिले की महादेव पहाड़ियों से निकलने वाली तवा नदी होशंगाबाद में नर्मदा से मिलती है ।

 

तब आप पर एक बांध का निर्माण 1958 में आरंभ हुआ और 1978 में पूरा हुआ इस कारण इस हिस्से से लोगों को विस्थापित किया गया और खेती की जमीन पर बांध का निर्माण किया गया इस कारण यहां के स्थानीय लोगों ने खेती को छोड़कर मछली पकड़ने का व्यवसाय आरंभ किया जिससे वह अपनी आजीविका चला सकें

 

1994 में सरकार ने तवा बांध के क्षेत्र में मछली पकड़ने का काम निजी ठेकेदारों को सौंप दिया इन ठेकेदारों ने स्थानीय लोगों को काम से अलग कर दिया और बाहरी क्षेत्र से सस्ते श्रमिकों को ले आए जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका पर असर पड़ा

काम वालों ने एकजुट होकर तय किया कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ने और संगठन बनाकर सामने खड़े होने का वक्त आ गया है इस तरह तवा मत्स्य संघ का गठन हुआ और इस संगठन ने सरकार से मांग की कि लोगों के जीवन निर्वाह के लिए बांध में मछली पकड़ने का काम को जारी रखने की अनुमति दी जाए यह मांग करते हुए इन लोगों ने “चक्का जाम” किया

 

1996 में मध्य प्रदेश सरकार ने तय किया कि तवा बांध के जलाशय से मछली पकड़ने का अधिकारी यहां के विस्थापित लोगों को ही दिया जाएगा इस प्रकार सरकार ने 2 महीने बाद ही मत्स्य संघ को बांध में मछली पकड़ने का के लिए 5 वर्ष का पट्टा देना स्वीकार किया

 

तवा मत्स्य संघ के साथ जुड़कर मछुआरों ने लगातार अपनी आय में इजाफा दर्ज किया यह इसलिए संभव हुआ कि उन्होंने एक सहकारी समिति बनाई जो पकड़ी गई मछलियों की प्रत्येक खेत की उचित कीमत सीधे उन्हें देती है

 

 

 भारत का संविधान एक जीता हुआ दस्तावेज

भारत का संविधान हम सभी को समान मानता है देश के सभी नागरिक को समानता का अधिकार है और भारत में जितने भी समानता के लिए आंदोलन चलाए गए उनका आधार संविधान रहा है

लोकतंत्र में कई व्यक्ति और समुदाय लगातार इस दिशा में कोशिश करते हैं कि लोकतंत्र का दायरा बढ़ता जाए और अधिक से अधिक मामलों में समानता लाने की जरूरत को स्वीकार किया जाए

 

समानता का मूल्य लोकतंत्र के केंद्र में है । परंतु कुछ मुद्दे लोकतंत्र के इस मूल भाव के लिए चुनौती पैदा कर रहे हैं जैसे

1 देश की स्वास्थ्य सेवाओं का निजी करण

2 संचार के माध्यमों पर व्यवसायिक घरानों का बढ़ता दबाव और नियंत्रण

3 महिलाओ के श्रम को कम मूल्य देना

4 किसानों की कम आय

यह देश के सामाजिक और आर्थिक समानता से जुड़े मुद्दे हैं

 

 

 

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