” हरे-भरे वन हमारे लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं , जितना हमारे फेफड़े हैं । अमेजन जंगल को पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता हैं।
○ प्राकृतिक वनस्पति का वितरण :- वनस्पति की वृद्धि मुख्य रूप से तापमान और आर्द्रता पर निर्भर करती है
○ सदाहरित वन :- भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में विशाल वृक्ष उग सकते हैं।
○ पर्णपाती वन :- आर्द्रता कम होती है और वृक्षों का आकार और उनकी सघनता कम हो जाती है।
○ घास स्थल :- सामान्य वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे आकार वाले वृक्ष और घास उगती है जिससे विश्व के घास स्थलों का निर्माण होता है।
○ वनस्पति :- बहुमूल्य संसाधन हैं। पौधे हमें इमारती लकड़ी देते हैं , ऑक्सीजन उतपन्न करते है , और फल , गोंद , कागज प्रदान करते है।
○ वनों के प्रकार:-
1.शंकुधारी वन: उन हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों में पाये जाते हैं।
2.सदाबहार वन: पश्चिमी घाट पूर्वोत्तर भारत तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित उच्च वर्षा क्षेत्रों में पाये जाते हैं।
3.पर्णपाती वन: यह वन केवल उन्हीं क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां मध्यम स्तर की मौसमी वर्षा जो केवल कुछ ही महीनों तक होती है।
4. मैंग्रोव वन: नदियों के डेल्टा तथा तटों के किनारे उगते हैं। यह वृक्ष लवणयुक्त तथा शुद्ध जल सभी में वृद्धि करते हैं।
5.भारत सरकार ने सन 1952 में वन संरक्षण नीति लागू किया वन्य प्राणी अधिनियम सन 1972 में लागू हुआ।
राष्ट्रीय कृषि आयोग ने (सन 1976-1979) सामाजिक वानिकी को तीन भागों में बांटा है
1.फार्म वानिकी।
2. शहरी वानिकी।
3.ग्रामीण वानिकी।
देश का कुल वन आवरण 7,12,249 वर्ग किमी. है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 67% है। देश का वृक्ष आवरण 95,027 वर्ग किमी. है, जो भौगोलिक क्षेत्र का 2.89% है। भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग’ का मुख्यालय उत्तराखंड के देहरादून में है जिसकी स्थापना जून 1981 में की गई।
15 वीं वन रिपोर्ट 2017 के आधार पर भारत के 24.39% क्षेत्रफल पर वन है। यह रिपोर्ट पर्यावरण , वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निकाली जाती है।
भारत में छ: प्रकार के वन समूह हैं
जैसे आर्द्र उष्णकटिबंधीय वन,
शुष्क उष्णकटिबंधीय,
पर्वतीय उप-उष्णकटिबंधीय,
उप-अल्पाइन,
उप शीतोष्ण तथा शीतोष्ण जिन्हें 16 मुख्य वन प्रकारों में उपविभाजित किया गया है।
पृथ्वी के 31% भूमि पर वन है और भारत में 24% भूमि पर वन हैं। वनों से हम प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में अनेक लाभ प्राप्त करते हैं, जैसे – प्रत्यक्ष लाभ स्वरूप हम वनों से इमारती काष्ठ, जलाऊ ईंधन, पशुओं के लिए चारा, गोंद, लाख, फल, जड़ी – बूटियाँ आदि प्राप्त करते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप में वन वर्षा, बाढ़ की रोकथाम करते हैं, सुन्दर अभयारण्य एवं आकर्षक पर्यटक स्थल देते हैं ।
ह्यूमस :- एक गहरे रंग के पदार्थ में परिवर्तित कर देते हैं , जिसे ह्यूमस कहते हैं।
अपघटक :- पादपों और जंतुओं के मृत शरीर को ह्यूमस में परिवर्तित करने वाले सूक्ष्म जीव , अपघटक कहलाते हैं। वन को हरे फेफड़े कहा जाता है। पादप ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाते हैं। यदि वह नष्ट होंगे , तो वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी , जिससे पृथ्वी का ताप बढ़ेगा।
भारत में कुल क्षेत्रफल का लगभग 21% वन क्षेत्र है।