❍ जल :- जल एक महत्वपूर्ण नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन है , भूपृष्ठ का तीन-चौथाई भाग जल से ढका है। लगभग 3.5 अरब वर्ष पहले जीवन , आदि महासागरों में ही प्रारंभ हुआ था। आज भी ही महासागर पृथ्वी की सतह के दो-तिहाई भाग को ढके हुए हैं। पृथ्वी की सतह के लगभग 71% भाग जल से ढका है। जो लवणीय रूप में महासागरों में उपलब्ध है।
” जल है तो कल है ” ” यदि जल उपलब्ध है तो आपका भविष्य सुरक्षित है ” 22 मार्च ‘ विश्व जल दिवस ‘ मनाया जाता है।
○ अलवण जल :- अलवणीय जल 2.7 प्रतिशत ही है। – 70 प्रतिशत भाग बर्फ़ के रूप में अंटाकर्टिका , ग्रीनलैंड , और पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। – 1 प्रतिशत जल मानव उपभोग के लिए उपयुक्त है। यह भौम जल , नदियों और झीलों और वायुमंडल में जलवाष्प के रूप में पाया जाता है। नदियों , झीलों , तालाबों , ध्रुवीय बर्फ़ , भौमजल और वायुमंडल में पाया जाता है।
○ वर्ष 2000 में बढ़कर 6000 घन कि.मी/ वर्ष से भी अधिक हो गई है।
○एक टपकता नल एक वर्ष में 1,200 लीटर जल व्यर्थ करता है।
○ जल की अवस्थाएँ :- तीन अवस्थाओं में उपलब्ध है। • ठोस अवस्था में जल बर्फ़ , हिम के रूप में उपलब्ध हैं। • द्रव अवस्था में झीलों , नदियों , भौमजल के रूप में उपलब्ध हैं। • गैसीय अवस्था में वायु में जलवाष्प के रूप में उपस्थित हैं।
○ जल प्रबंधन :- वर्षा के पानी का बाद में उत्पादक कामों में इस्तेमाल के लिए इकट्ठा करने को वर्षा जल संग्रहण कहा जाता है।
भौमजल :- भौमजल स्तर के नीचे पाया जाने वाला जल भौमजल कहलाता है।
जल संरक्षण :- जल का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए और सावधनी बरतें , जिससे जल व्यर्थ न
○ जलभर :– संचित भौमजल के भंडारों को जलभर कहते हैं।
○ जल महत्वपूर्ण स्त्रोत :-
• जनसंख्या प्रसार
• बढ़ते हुए उधोग
• खेतों की सिंचाई
• पीने के जल
• जीव-जंतु के लिए