अध्याय 2 : भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक | Sectors of the Indian Economy

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भारतीय अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्र कौन कौन से हैं? प्राथमिक क्षेत्र द्वितीयक क्षेत्र तृतीयक क्षेत्र 2021 में भारत की जीडीपी कितनी थी? संगठित क्षेत्रक और असंगठित क्षेत्रक सार्वजनिक क्षेत्रक और निजी क्षेत्रक काम का आधिकार

 

☆ किसी अर्थव्यवस्था को हम उत्तम ढंग से तभी समझ सकते हैं , जब इसके क्षेत्रों का अध्ययन करते हैं। क्षेत्रक वर्गीकरण अनेक मानदंडों के आधार पर किया जा सकता है। प्राथमिक , द्वितीयक , तृतीयक ; संगठित तथा असंगठित सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक। राष्ट्रीय आय , रोजगार इत्यादि।

○ भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र (SECTORS OF AN ECONOMY)
• प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)
• द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector)
• तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector)

 

 

● ये हैं दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं:-

संयुक्त राज्य अमेरिका जीडीपी : $ 21.43 ट्रिलियन 
चीन (CHINA) जीडीपी : $ 14.14 ट्रिलियन
जापान जीडीपी (nominal GDP ): $ 5.14 ट्रिलियन
जर्मनी जीडीपी  $ 3.95 ट्रिलियन
भारत जीडीपी  $ 2.93 ट्रिलियन

 

 

☆ आर्थिक गतिविधि :- ऐसे क्रियाकलाप जिनको करके जीवनयापन के लिए आय की प्राप्ति की जाती है ।

किसी भी अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रक या सेक्टर में बाँटा जाता है :-

1.प्राथमिक क्षेत्र :-
अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक संसाधनों को कच्चे तौर पर प्राप्त किया जाता है; यथा-उत्खनन, कृषि कार्य, पशुपालन, मछली पालन, इत्यादि। इसी क्षेत्रक को कृषि एवं संबध्द गतिविधियाँ भी कहा जाता है।

2.द्वितीयक क्षेत्र :-
अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को अपनी गतिविधियों में कच्चे माल की तरह उपयोग करता है द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है। उदाहरण के लिए लौह एवं इस्पात उद्योग, वस्त्र उद्योग, वाहन, बिस्किट, केक इत्यादि उद्योग। वास्तव में इस क्षेत्रक में विनिर्माण कार्य होता है यही कारण है कि इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है।

3.तृतीयक क्षेत्र :-
इस क्षेत्रक में विभिन्न प्रकार की सेवाओं का उत्पादन किया जाता है; यथा-बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन इत्यादि। इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है।

 

 

 ○ संगठित क्षेत्रक :- इसमें वे उद्यम या कार्य आते हैं , जहाँ रोजगार की अवधि निश्चित होती है । ये सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा निर्धारित नियमों व विनियमों का अनुपालन करते हैं ।

○असंगठित क्षेत्रक :- छोटी – छोटी और बिखरी हुई ईकाइयाँ , जो अधिकाशंतः सरकारी नियंत्रण से बाहर रहती हैं , से निर्मित होता है । यहाँ प्रायः सरकारी नियमों का पालन नहीं किया जाता ।

 

○ सार्वजनिक क्षेत्र :- जिसमें अधिकांश परिसम्पतियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध करवाती है ।

○ निजी क्षेत्र :- वह क्षेत्र जिसमें परिसम्पत्तियों का स्वामित्व और सेवाओं का वितरण एक व्यक्ति या कम्पनी के हाथों में होती है ।

 

 

○ सकल घरेलू उत्पाद :- किसी विशेष वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य उस वर्ष में देश के कुल उत्पादन की जानकारी प्रदान करता है ।

 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा)
इस अधिनियम का तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आजीविका सुरक्षा प्रदान करना है, जो एक वित्तीय वर्ष में सौ दिनों की मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है। इस स्कीम के तहत व्यस्क (18 साल से ऊपर) सदस्य अकुशल कार्य में लगकर मजदूरी करते हैं।

केंद्र सरकार अकुशल श्रम की पूरी लागत और सामग्री की लागत का 75% (शेष राज्यों द्वारा वहन किया जाता है) वहन करती है।
यह एक मांग-संचालित, सामाजिक सुरक्षा और श्रम कानून है, जिसका उद्देश्य ‘काम के अधिकार’ को लागू करना है।

यह स्कीम भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के साथ मिलकर योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करती है।
केन्द्रीय सरकार ने भारत के 200 जिलों में काम का अधिकार लागू करने का एक कानून बनाया है

 

काम का अधिकार :-
सक्षम व जरूरतमंद बेरोज़गार ग्रामीण लोगों को प्रत्येक वर्ष 100 दिन के रोजगार की गारन्टी सरकार के द्वारा । असफल रहने पर बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा । सूखाग्रस्त क्षेत्रों और जनजातीय इलाकों में मनरेगा के तहत 150 दिनों के रोज़गार का प्रावधान है।

 

 

 

अध्याय 3: मुद्रा और साख

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