मौर्य काल में बिहार | Bihar Durning Maurya Perioud

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∆ मौर्य काल में बिहार

• चाणक्य की सहायता से चन्द्रगुप्त मौर्य ने घनानन्द को युद्ध में हराकर उसकी हत्या कर दी। नन्द वंश की समाप्ति के बाद चन्द्रगुप्त मौर्य ने मगध में नए राजकीय वंश मौर्य साम्राज्य (321-185 ई. पू.) की स्थापना की। मौर्य वंश के शासकों का वर्णन है।

∆ चन्द्रगुप्त मौर्य

• चन्द्रगुप्त मौर्य (320-298) ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना 323-321 ई. पू. में की थी।

• विशाखदत्त की संस्कृत नाट्य रचना ‘मुद्राराक्षस’ में चन्द्रगुप्त को वृषल कहा गया है।

• 303 ई. पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य तथा यूनानी में शासक सेल्युकस के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें चन्द्रगुप्त मौर्य विजयी रहा।

• मेगस्थनीज, चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में भारत आने वाला यूनानी राजदूत था। वह सेल्यूकस का राजदूत था। मेगस्थनीज ने इण्डिका नामक पुस्तक की रचना की।

• इण्डिका में मौयों की राजधानी पाटलिपुत्र के नगर-प्रशासन की विस्तृत चर्चा की गई है। यहाँ नगर प्रशासन की देख-रेख 30 सदस्यों । का एक मण्डल करता था, जो 6 समितियों में विभाजित था।

• चन्द्रगुप्त के काल में हिन्दूकुश पर्वत भारत की वैज्ञानिक सीमा थी, इसे यूनानी लेखकों ने इण्डियन काकेशस भी कहा है।

• चन्द्रगुप्त मौर्य का गुरु एवं प्रधानमन्त्री चाणक्य एक महान् विद्वान् पण्डित था। चाणक्य ने कौटिल्य नाम से राजव्यवस्था तथा प्रशासन पर आधारित पुस्तक अर्थशास्त्र की रचना की।

• चन्द्रगुप्त ने भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित पहली देशव्यापी शासन प्रणाली का भी निर्माण किया था। न्याय प्रशासन केन्द्रीकृत और कठोर था।

• अपने अन्तिम दिनों में चन्द्रगुप्त मौर्य भद्रबाहु (जैन सन्त) के साथ श्रवणबेलगोला (मैसूर) के चन्द्रगिरि पर्वत पर पहुँचा और वहाँ तपस्या करते हुए संलेखना विधि से अपने प्राण त्याग दिए।

 

 

∆ बिन्दुसार

• चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद उसका पुत्र बिन्दुसार (298-273 ई. पू.) मगध साम्राज्य के सिंहासन पर बैठा बिन्दुसार को यूनानी लेखकों ने अमित्रोचेट्स (अमित्रघात) कहा है।

• वायु पुराण में उसका नाम भद्रसार तथा जैन ग्रन्थों में सिंहसेन मिलता है।

• बिन्दुसार के दरबार में मिस्र के शासक टॉलमी फिलाडेल्फस ने डायोनिसस तथा सीरिया के शासक एंटियोक प्रथम ने डायमेकस नामक राजदूत भेजा था।

 

• बिन्दुसार के दरबार में यूनानी दूत डीमॉक्लस भी रहता था।

• बिन्दुसार की सभा में 500 सदस्यों वाली एक मन्त्रिपरिषद थी, जिसका प्रधान खल्लाटक था।

• आजीवक सम्प्रदाय के ‘पिंगलवत्स’ नामक भविष्यवक्ता बिन्दुसार के दरबार में रहते थे।

• बिन्दुसार ने लगभग 25 वर्षों तक शासन किया। बिन्दुसार की मृत्यु 273 ई. पू. में हुई।

 

∆ सम्राट अशोक

• बिन्दुसार की मृत्यु के उपरान्त गृहयुद्ध की स्थिति रही। दो वर्ष पश्चात् उसका सुयोग्य पुत्र अशोक (273-232 ई. पू.) मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर बैठा।

• अशोक को पुराणों में अशोकवर्द्धन कहा गया है। दिव्यावदान के अनुसार, बिन्दुसार के शासनकाल में अशोक अवन्ति राज्य का राज्यपाल था।

• अशोक ने अपने राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई. पू. में कलिंग युद्ध किया तथा विजयी हुआ। कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक ने युद्ध को सदा के लिए त्याग दिया तथा बौद्ध धर्म को अपना लिया।

• अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 10वें वर्ष तथा 20वें वर्ष में लुम्बिनी ग्राम एवं बोधगया (गया) की यात्रा की।

• सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप को 1837 ई. में अशोक के अभिलेख पढ़ने में सफलता प्राप्त हुई। अशोक के शिलालेखों में प्राकृत भाषा का प्रयोग किया गया है।

• अशोक ने आजीविकों के रहने के लिए कर्ण चौपड़, सुदामा गुहा तथा विश्व झोंपड़ी नामक गुफाओं का निर्माण गया के समीप बराबर की पहाड़ियों में करवाया।

• अशोक के शासनकाल में तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन पाटलिपुत्र में 250 ई. पू. में हुआ।

• अशोक के कौशाम्बी के अभिलेख को रानी का अभिलेख कहा जाता है।

• अशोक का शार-ए-कुना अभिलेख ग्रीक एवं अरमाइक लिपियों में प्राप्त हुआ है।

• अशोक ने साँची के स्तूप का पुनर्निर्माण भी करवाया था।

• धम्म नीति का प्रतिपादन कर अशोक ने सर्वप्रथम एक नैतिक एवं कल्याणकारी राज्य की स्थापना की।

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