भारतीय अर्थव्यवस्था। विदेश व्यापार कैसे बाजारों का एकीकरण करता है ? भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव।
वैश्विकरण निजीकरण उदारीकरण बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विदेशी निवेश WTO विश्व व्यापार संगठन WB विश्व बैंक सेज SEZ।
☆ भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है।1991 से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है
○ भारतीय अर्थव्यवस्था :-
भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है। एक तरफ निजी क्षेत्र को व्यापारिक स्वतंत्रता मिलती है वहीं सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकारी नियंत्रण भी बना रहता है। इस प्रकार स्वतंत्र उद्यम और सरकारी नियंत्रण के मिले जुले समावेश की प्रणाली मिश्रित अर्थव्यवस्था कहलाती है।
○ विदेश व्यापार कैसे बाजारों का एकीकरण करता है ?
• विश्व के अधिंकाश भाग तेज़ी से एक-दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं।
• विदेश व्यापार उत्पादकों को अपने देश के बाजार से बाहर के बाजारों में पहुँचने का अवसर प्रदान करता है।
• खरीददारों के समक्ष दूसरे देश में उत्पादित वस्तुओं के आयात से विकल्पों का विस्तार होता है ।
• देशों के बीच इस पारस्परिक जुड़ाव के अनेक आयाम है :-
1.आर्थिक
2.सांस्कृतिक
3.सामाजिक
4.राजनीतिक
☆ विश्व भर के उत्पादन को एक दूसरे से जोड़ना :-
• बहुराष्ट्रीय कपंनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन इकाई स्थापित करती हैं जो बाजार के नजदीक हो , जहाँ कम लागत पर कुशल और अकुशल श्रम उपलब्ध हो तथा सरकारी नीतियाँ अनुकूल हो ।
• इनके द्वारा निवेश किए गए धन को विदेशी निवेश कहते हैं ।
• स्थानीय कपंनियों को अतिरिक्त निवेश के लिए धन तथा उत्पादन की नवीनतम प्रौधोगिकी प्रदान करती है ।
• कभी कभी स्थानीय कपंनियों को खरीदकर उत्पादन का प्रसार करती है
• छोटे उत्पादकों को उत्पादन का ऑर्डर देती है । खास – तौर से वस्त्र , जूते – चप्पल एवं खेल का सामान ।
☆ वैश्वीकरण क्या है?
वैश्वीकरण अपने देश की अर्थव्यवस्था का संसार के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना।
• विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण हैं।
• विभिन्न देशों के बीच अधिक से अधिक वस्तुओं और सेवाओं , निवेश और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान रहा है।
○ वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक :-
• इंटरनेट
• परिवहन में सुधार
• सूचना प्रौधाोगिकी
• प्रौद्योगिकी का विकास
• दूरसंचार एवं संचार उपग्रह
•सरकार द्वारा अवरोधों की समाप्ति।
○ विदेशी निवेश का उदारीकरण
• विदेशी निवेश :-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं ।
• उदारीकरण :-
उदारीकरण सरकार द्वारा अवरोधों और प्रतिबंधो को हटाने की प्रक्रिया को उदारीकरण कहा जाता है ।
• निजीकरण :-
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को चरणबद्ध तरीके से निजी क्षेत्र में बेचना ।
• वैश्वीकरण :-
वैश्वीकरण अपने देश की अर्थव्यवस्था का संसार के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना ।
• मुक्त व्यापार :-
जब दो देशों के बीच व्यापार बिना किसी प्रतिबंध के होता है तो उसे मुक्त व्यापार कहते हैं ।
○ विश्व व्यापार संगठन WTO :-
विश्व व्यापार संगठन एक ऐसा संगठन है , जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है।
विश्व के सभी देशों को अपनी नीतियाँ उदार बनानी चाहिए।
○ विश्व व्यापार संगठन मुख्य उद्धेश्य :-
1.विदेशी व्यापार को उदार बनाना ।
2.विकसित देशों की पहल पर शुरू किया गया ।
3.अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है ।
4.विकासशील देशों को व्यापार अवरोधक हटाने के लिए विवश करता है ।
5.विकसित देशों ने अनुचित ढंग से व्यापार अवरोधकों को बरकरार रखा है
○ विश्व बैंक :-
विश्व बैंक अपने सदस्य राष्ट्रों को वित्तीय सहायता देने वाली अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ।
○ सेज ( SEZ ) :-
किसी विशेष क्षेत्र में अतिरिक्त सुविधाएँ प्रदान कर विदेशी कम्पनियों को निवेश के लिए आकर्षित करना ।
○ विशेष आर्थिक क्षेत्र :-
केन्द्र एवं राज्य सरकारें द्वारा भारत में विदेशी निवेश हेतु विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना जहाँ विश्व स्तरीय सुविधाएँ – बिजली , पानी , सड़क , परिवहन , भण्डारण , मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध हो ।
○ बहुराष्ट्रीय कंपनी :-
बहुराष्ट्रीय कपंनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन इकाई स्थापित करती हैं जो बाजार के नजदीक हो , जहाँ कम लागत पर कुशल और अकुशल श्रम उपलब्ध हो तथा सरकारी नीतियाँ अनुकूल हो ।
☆भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव :-
• स्थानीय एवं विदेशी उत्पादकों के बीच बेहतर प्रतिस्पर्धा से
• उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है
उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प है और वे अब अनेक उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता और कम कीमत से लाभान्वित हो रहे है ।
• विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है। जिससे कारण उद्योगों और सेवाओं में नये रोज़गार उत्पन्न हुए है ।
• शीर्ष भारतीय कंपनियाँ बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा से लाभानिवत हुई है और इन कंपनियों ने नवीनतम् प्रौद्योगिकी और उत्पदान प्रणाली में निवेश कर अपने उत्पादन – मानकों को ऊँचा उठाया है ।
• बडी भारतीय कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभरने के योग्य बनाया है ।
• सेवा प्रदाता क्रपनियों विशेषकर सूचना और संचार प्राद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए नये अवसरों का सृजन किया है ।