पोषक :- भोजन का प्रमुख कार्य स्वस्थ शरीर के विकास हेतु आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करना है, जो शरीर के विकास एवं विभिन्न क्रियाओं के संचालन हेतु अतिआवश्यक है।
❍ भोजन कई रासायनिक पदार्थों के सम्मिश्रण से बना होता है
1.वसा
2.प्रोटीन
3.विटामिन
4.कार्बोहाइड्रेट
5.खनिज लवण
❍ पोषण :- सजीवों द्वारा भोजन ग्रहण करने एवं इसके उपयोग की विधि को पोषण कहते हैं।
❍ स्वपोषी :- जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं ऐसे पादपों को स्वपोषी कहते हैं।
जैसे :- पेड़- पौधे
❍ विषमपोषी :- विषमपोषी वह होता है जो अपना भोजन स्वयं नहीं बनाता है अर्थात् दुसरो पर निर्भर रहता है।
जैसे :– मानव और कोई भी जानवर।
❍ विषमपोषी पोषण दो प्रकार के होते है।
1. मृतजीवी :- जीव किसी मृत एवं विघटित पदार्थों से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं , मृतजीवी पोषण कहलाती है।
जैसे :- मशरूम , कवक और फंजाई आदि।
2. परजीवी :- जीव अपना भोजन अन्य जीवों (परपोषी) के बनाए भोजन पर निर्भर रहते हैं, परजीवी पोषण कहलाती है।
जैसे :- अमरबेल
❍ कीटभक्षी :- ऐसे पादप भी है , जो कीटों को पकड़ते हैं तथा उन्हें पचा जाते है ऐसे कीटभक्षी पादप कहलाते हैं।
❍ प्रकाश संश्लेषण :- हरे पौधें अपना भोजन सूर्य के प्रकाश और क्लोरोफिल की उपस्थिति में स्वंय बनाते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
❍ प्रकाश संश्लेषण के दौरान होने वाली अभिक्रिया का समीकरण :-
कार्बन डाइऑक्साइड + जल (+ सूर्य के प्रकाश + क्लोरोफिल) → कार्बोहाइड्रेट + ऑक्सीजन
❍ सभी जीवों के लिए सूर्य ऊर्जा का चरम स्रोत है।
❍ खाद्य फैक्ट्री :– केवल पादप ही ऐसे जीव हैं , जो जल , कार्बनडाइऑक्साइड एवं खनिज की सहायता से अपना भोजन बना सकते हैं ।
❍ पादपों में खाद्य पदार्थों का संश्लेषण उनकी पत्तियों में होता है।
❍ रन्ध्र :- पत्तियों की स्तनों पर छोटे-छोटे छिद्र पाए जाते है जिससे गैसों का आदान-प्रदान होता है। ऐसे छिद्रों को रन्ध्र कब्ते है।
❍ क्लोरोफिल :- पत्तियों में एक हरा वर्णक होता है जिसे क्लोरोफिल कहते हैं।
❍ खाद्य संश्लेषण :- हरे पादप प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम द्वारा अपना खाद्य स्वयं संश्लेषित करते हैं। -\
❍ हरे पादप कार्बन डाइऑक्साइड, जल एवं खनिज जैसे सरल रासायनिक पदार्थों का उपयोग खाद्य संश्लेषण के लिए करते हैं।
❍ शैवाल :- आपने गीली दीवारों पर , तालाब अथवा ठहरे हुए जलाशय में हरे अवपंकी ( काई जैसे पादप ) देखें होंगे। ये सामान्यतः कुछ जीवों की वृद्धि के कारण बनते हैं , जिन्हें शैवाल कहते हैं।
❍ राइजोबियम :- वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को विलय पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं।
ये चना , मटर , मूँग , सेम तथा अन्य फलीदार पादपों की जड़ो में रहते हैं तथा उन्हें नाइट्रोजन की आपूर्ति करते हैं।
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