हरियाणा की मिट्टी और उसके प्रकार (Types of soil in Haryana)
हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है जहाॅं पर विभिन्न किस्म की मिट्टियाॅं पाई जाती है जिनमें अत्यंत हल्दी मिट्टी, सामान्य मिट्टी,भारी मिट्टी आदि शामिल हैं। कृषि की दृष्टि से हरियाणा राज्य की मिट्टी बहुत उपजाऊ मानी जाती हैं।
हरियाणा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न भिन्न प्रकार की मिट्टियाॅं पाई जाती हैं जिनका विवरण नीचे दिया गया है।
हमारे इस लेख में हरियाणा की मिट्टियों को दो प्रकार से विभाजित किया गया है:-
1. मृदा के भौतिक -रासायनिक एवं उर्वरक गुणों के आधार पर
2. धरातलीय बनावट के आधार पर
भौतिक,रासायनिक एवं उर्वरक गुणों के आधार पर हरियाणा की मिट्टी को यहाॅं के कृषि भूगोलविदों ने इसे निम्नलिखित छः भागों में बांट है:-
1. अत्यंत हल्दी मिट्टी:-
• यह मिट्टी बालू का प्रधान दोमट मिट्टी है।
• यह मिट्टी दक्षिणी हरियाणा के जिलों में जैसे- फतेहाबाद, हिसार भिवानी, महेंद्रगढ़ और सिरसा के दक्षिणी भाग में मिलती है।
• इस मिट्टी के क्षेत्र में बालूका स्तूपों की प्रधानता होने के कारण यह मिट्टी बहुत जल्दी सुख जाती है। अतः इसमें जल ग्रहण करने की क्षमता भी कम है।
• इस मिट्टी में मोटे अनाजों और दालों की कृषि ही उपयुक्त है।
• इसमें चूने के अंशों का बाहुल्य रहता है।
2. हल्की मिट्टी:-
• यह मिट्टी,दो प्रकार की मिट्टियों-दोमट मिट्टी और बलूई मिट्टी का कहते हैं।
• हल्की मिट्टी को रौसली मिट्टी भी कहते हैं।
• यह मिट्टी ज्यादातर हिसार , भिवानी, रेवाड़ी, गुड़गाॅंव (गुरुग्राम) तथा झज्जर जिलों में पाई जाती है।
• इस मिट्टी में सिल्ट तथा मृतिका की अपेक्षा बालू की प्रधानता होती है अंत: इसमें हल चलाने में कम परिश्रम लगता है।
3. मध्यम मिट्टियाॅं : –
मध्यम मिट्टियों में मोटी दोमट, हल्की दोमट और सामान्य दोमट मिट्टियाॅं सम्मिलित हैं:-
1) मोटी (भारी) दोमट मिट्टी:- मोटे कणों की दोमट मिट्टी मेवात (नूंह) जिले के मध्य क्षेत्र , पश्चिम फिरोजपुर और सिरसा जिले केनिचले क्षेत्रों पाई जाती है।
2) हल्की दोमट मिट्टी:- हल्की दोमट मिट्टी मुख्यत गुरुग्राम जिले के उतरी भाग में, दक्षिणी- पश्चिमी अम्बाला तथा नूह जिले के उत्तर पश्चिम भाग में पाई जाती है।
3) सामान्य दोमट मिट्टी:- यह मिट्टी, हरियाणा के मध्यवर्ती भाग में मुख्यत: सोनीपत, पानीपत, कुरूक्षेत्र, करनाल,जींद कैथल, गुरुग्राम और फरीदाबाद जिलों में पाई जाती है।
4. सामान्य भारी मिट्टी:-
• सिल्ट युक्त इस मिट्टी को रवादार मिट्टी भी कहा जाता है
• यह मिट्टी मुख्यत:- यमुना नदी के साथ वाले जिलों में जैसे कि- यमुनानगर, करनाल, कुरूक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत और फरीदाबाद जिले के पूर्वी क्षेत्र में पाई जाती है।
5. भारी मिट्टी:-
• इस मिट्टी को ‘ डाकर’ भी कहा जाता है।
• यह मिट्टी मुख्यत:-थानेसर (कुरूक्षेत्र), फतेहाबाद और जगाधरी (यमुनानगर) के क्षेत्रों में पाई जाती है।
6.शिवालिक गिरिपादीय अथवा चट्टानी तल की मिट्टियाॅं :-
• शिवालिक गिरिपादीय मिट्टी में बलुआ पत्थर,चीका ,बजरी इतियादी तत्वों की मात्रा अधिक होती है।
• इस मिट्टी को स्थानीय तौर पर-घाहर या कंडी मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है
• यह मिट्टी पंचकुला की कालका, अंबाला की नारायणगढ़ और यमुनानगर की जगधारी क्षेत्रों में पाई जाती है।
• हरियाणा के दक्षिणी भाग में अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों के कारण पथरीली और रेतीली, चट्टानी तल की मिट्टी पाई जाती है।यह निम्न कोटि की मिट्टी समझी जाती है।
धरातलीय बनावट के आधार पर हरियाणा राऊ की मिट्टियाॅं :-
हरियाणा प्रदेश का अधिकतर भाग मैदानी है तथा कृषि की उपज मुख्यत: सिंचाई पर निर्भर है। राज्य में पहाड़ी क्षेत्र सीमित है और मैदानों की मिट्टी नदियों द्वारा बहाकर लाई गयी कछारी किस्म की है। धरातलीय बनावट के आधार पर हरियाणा की भूमि (मिट्टी) को निम्नलिखित तीन भागों में बाटाॅं जा सकता है:-
1. पहाड़ी क्षेत्र की पथरीली मिट्टी
2. मैदानीक्षेत्र की जलोढ मिट्टी
3. रेतीली मिट्टी का क्षेत्र
1) पहाड़ी क्षेत्र की पथरीली मिट्टी:-
• उत्तर हरियाणा में, इस प्रकार की मिट्टी – मोरनी की पहाड़ियों पर पाई जाती है।
• प्रदेश के दक्षिणी भाग में अरावली की पहाड़ियों में- पथरीली और रेतीली मिट्टियां पाई जाती है।
• इस प्रकार की गिरिपादीय मिट्टी को नारायणगढ़ और कालका तहसीलों के क्षेत्रों में स्थानीय तौर पर- घाहर के नाम से जाना जाता है जबकि जगाधरी (यमुनानगर) में इसे कंडी मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है।
2) मैदानी क्षेत्र की जलोढ़ मिट्टी:-
• प्रदेश के मैदानी भाग की मिट्टी जलोढ़ है,जिसका रंग – भूरा पीला है।
• हरियाणा का सबसे उपजाऊ क्षेत्र भी इस मैदानी भाग को ही माना जाता है।
• यह चिकनी मिट्टी तथा रेत के बारीक मिश्रण से बनी उपजाऊ मिट्टी है जो रवि तथा खरीफ दोनों प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी है। इस क्षेत्र में प्रमुख खाधान्न- गेहूॅं,धान,ईख और कपास है।
• यमुना और घाग्गर के बाढ़ वाले इलाके को छोड़कर लगभग सारे क्षेत्र में पुराना जलोढ़ मिट्टी है जिसमें बालू, चिकनी मिट्टी, किचड़ ( सिल्ट) व” कंकड़ के नाम से पहचाने जाने वाले कैल्शियम युक्त भारी पदार्थ होते हैं।
3) रेतीली मिट्टी का क्षेत्र:-
• हरियाणा के दक्षिण- पश्चिमी भाग में रेतीली दोमट मिट्टी पाई जाती है।
• इस मिट्टी का रंग हल्का भूरा है।
• इसे कृषि के लिए अधिक उपजाऊ नहीं माना जाता। यहाॅं मुख्यत: मोटे अनाजों की खेती करना उपयुक्त है।
• इनमें से कुछ टीलों की ऊंचाई कई मीटर तक होती है।
• यहाॅं की जलोढ़ बालू से ढंकी होती है जिसके कारण यह क्षेत्र शुष्क और रेतीला रेगिस्तान की तरह है।