☆ राज्य की प्रमुख वन संरक्षण योजनाएँ/कार्यक्रम
मध्य प्रदेश सरकार की प्रमुख वन संरक्षण योजनाएँ/कार्यक्रम निम्न हैं
• दीनदयाल वनांचल सेवा का 20 अक्टूबर 2016 को मुख्यमन्त्री द्वारा शुभारम्भ किया गया। यह वन सुरक्षा एवं विकास के साथ सुदूर वनांचलों में पदस्थ वन अधिकारियों/कर्मचारियों के सहयोग से वनवासियों के कल्याण एवं सेवा का एक अभिनव प्रयास है। यह स्वस्थ जन, स्वस्थ वन की अवधारणा पर आधारित है।
• वाणिज्यिक बागवानी योजना औद्योगिक और वाणिज्यिक प्रयोजनों के उपयोग के लिए सागौन और बाँस जैसे उच्च आर्थिक मूल्य की प्रजातियों का रोपण कर वानिकी उत्पादन में वृद्धि करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है।
• पंचवन योजना इसका मुख्य उद्देश्य 33% से कम क्षेत्रफल वाले जिलों में वृक्षारोपण करना है।
• सूखा उन्मुख क्षेत्र कार्यक्रम इसके अन्तर्गत झाबुआ, बैतूल, सीधी, खरगौन एवं शहडोल जिले में निगम द्वारा चरागाह विकास के साथ सड़क के किनारे वृक्षारोपण किया गया है।
• जंगल गलियारा पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से यह राज्य की प्रमुख योजना है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1999 में हुई थी। इसके तहत् दो अभयारण्यों तथा दो राष्ट्रीय उद्यानों को जोड़कर उनके बीच एक वन क्षेत्र की पट्टी विकसित करने की योजना बनाई गई है। इस जंगल गलियारा के तहत् जोड़े जाने वाले राष्ट्रीय उद्यानों में बाँधवगढ़ (शहडोल) व कान्हा (मण्डला) शामिल हैं।
• लोक वानिकी योजना इसके तहत् सीधी, होशंगाबाद एवं देवास जिलों में किसान संघ का गठन किया गया। यह योजना वर्ष 1995 में प्रारम्भ हुई। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक प्रबन्धन लाकर वानिकी को लोकप्रिय व्यवसाय के रूप में स्थापित करना है।
• सामाजिक वानिकी योजना इसकी शुरुआत वर्ष 1976 में की गई। इसका उद्देश्य निजी क्षेत्रों में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना, कृषि वानिकी को बढ़ावा तथा प्रोत्साहन देना आदि है।
◇ राज्य की वन नीति, 2005
राज्य की वन नीति, 2005 के मुख्य बिन्दु निम्न हैं
• मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 1952 की प्रथम नीति के बाद अपनी दूसरी नीति 4 अप्रैल, 2005 को घोषित की।
• वर्ष 1988 में पुनरीक्षित राष्ट्रीय वन नीति घोषित की गई, जिसके प्रावधानों के अनुरूप राज्य की वन नीति में व्यवस्थाएं की जानी आवश्यक थीं।
• पूर्व की नीति में वन प्रबन्धन कार्य जहाँ विभाग के कड़े नियन्त्रण में ठेकेदारों के माध्यम से कराया जाता था, वहीं वर्तमान नीति में जन-भागीदारी से वनों के विकास को महत्त्व दिया गया है।
• पूर्व की वन नीति में जहाँ राजस्व आय को प्राथमिकता दी गई थी, वहीं वर्तमान नीति में इसे गौण मानते हुए मुख्य वनों के संवहनीय प्रबन्धन से पर्यावरण संरक्षण तथा स्थानीय समुदायों को रोजगार उपलब्ध कराना प्रमुख उद्देश्य उनकी आय के साधन बढ़ाना तथा उनकी मूलभूत वनाधारित आवश्यकताओं को पूर्ण करना प्रमुख उद्देश्य है।
• वनाश्रित समुदायों के सर्वांगीण विकास एवं महिलाओं के सशक्तीकरण पर पर्याप्त बल दिया गया है।
• वन सुरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए बिना तार वाले तन्त्र आदि संचार सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
• संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा बल की व्यवस्था सुदृढ़ करना एवं वन कर्मियों को आवश्यकतानुसार शस्त्र उपलब्ध कराए जाएँगे।