वन एवं वन्यजीव
• वन एवं वन सम्पदा की दृष्टि से मध्य प्रदेश एक सम्पन्न राज्य है।
• इण्डिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार, देश में क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश भारत का सर्वाधिक वनाच्छादित राज्य है।
• राज्य में वनों का विस्तार 94,689 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर है, जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्रफल का 30.72% है। पर्यावरणीय दृष्टि से 33% वनों का होना आवश्यक है।
• राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किमी है। इण्डिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार के 77482 वर्ग किमी भाग पर वनावरण है।
• मध्य प्रदेश राज्य वनों का राष्ट्रीयकरण (1970) करने वाला प्रथम राज्य है।
• राज्य का सर्वाधिक वन व वन घनत्व वाला जिला बालाघाट हैं, जबकि न्यूनतम वन वाला जिला उज्जैन है।
☆ वनों का वर्गीकरण
राज्य में सामान्यतः उष्णकटिबन्धीय वन पाए जाते हैं, परन्तु जलवायु, मिट्टी, तापमान एवं वर्षा की विविधता के कारण वनों में विभिन्नता पाई जाती है।
राज्य में वनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार है।
◇ भौगोलिक आधार पर वनों का वर्गीकरण
भौगोलिक आधार पर राज्य के वनों को निम्न तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है।
1. उष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध पर्णपाती वन
• उष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध पर्णपाती वनों का विस्तार राज्य के बालाघाट, सिवनी, मण्डला, उमरिया, अनूपपुर एवं शहडोल वन जिलों में है।
• यह वन 100-150 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन वनों के वृक्ष थोड़े समय के लिए पत्तियाँ गिराते हैं।
• यह वन अधिपादप सदाबहार अथवा अर्द्ध सदाबहार होते हैं।
• इन वनों में साल, सागौन, बाँस, आम, पीपल, शीशम तथा महुआ आदि वृक्ष होते हैं। यह वन अधिकतर लाल-पीली मृदा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
2. उष्णकटिबन्धीय पर्णपाती वन
• इन वनों का विस्तार राज्य में जबलपुर छिन्दवाड़ा, होशंगाबाद, बैतूल, सिवनी, निमाड़ तथा छतरपुर आदि जिलों में है।
• यह वन वहाँ पाए जाते हैं, जहाँ वर्षा 50 से 100 सेमी होती है।
• इन वनों के वृक्ष पानी की कमी को पूरा करने के लिए ग्रीष्मकाल से पहले पत्तियाँ गिरा देते हैं।
• इन वनों की लकड़ियाँ इमारती कार्यों के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं।
• सागौन, शीशम, नीम, पीपल आदि इस वन के प्रमुख वृक्ष हैं।
3. उष्ण कटिबन्धीय शुष्क पर्णपाती वन
• राज्य में ये वन मुख्य रूप से चम्बल की घाटी में फैले हुए हैं। राज्य में इनका विस्तार सर्वाधिक है।
• ये वन मुख्य रूप से 25 सेमी से 75 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
• इन क्षेत्रों में वनों की जगह कँटीली झाड़ियाँ पाई जाती हैं।
• ये वन प्रदेश के शिवपुरी, भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, रतलाम, टीकमगढ़, मन्दसौर दतिया तथा निमाड़ आदि जिलों में पाए जाते हैं।
• हर्रा, बबूल, कीकर, पलाश, तेंदू, खेतड़ी तथा शीशम इस वन प्रदेश में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष हैं।
◇ वनों का प्रशासनिक वर्गीकरण
राज्य में वनों को प्रशासनिक वर्गीकरण की दृष्टि से तीन भागों में विभाजित किया गया है।
1. आरक्षित वन
• फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार, राज्य में आरक्षित वन लगभग 61,886 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं, जो राज्य के कुल वन क्षेत्र का 65.36% भाग है।
• आरक्षित वन क्षेत्र में प्रशासकीय नियम अत्यन्त कठोर होते हैं। इन वनों पर शासन का पूर्णतः नियन्त्रण रहता है।
• इन वनों में आवागमन, पशुचारण, लकड़ी काटना दण्डनीय अपराध माना जाता है।
• सबसे अधिक आरक्षित वन खण्डवा वन वृत्त तथा न्यूनतम छतरपुर वन वृत्त में प्राप्त होते हैं।
• इन वनों का प्रबन्धन प्रशासन की देख-रेख में होता है।
2. संरक्षित वन
• फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार, राज्य में संरक्षित वन लगभग 31,098 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर फैले हुए हैं, जो कुल वन क्षेत्रफ का 33% है।
• इन वनों का प्रबन्धन प्रशासन की देख-रेख में होता है।
• इन वनों में पशुचारण, आवागमन विशेष परिस्थिति में अनुमति द्वारा वृक्ष काटने की सुविधा होती है। संरक्षित वनों का वितरण, आरक्षित वनों का पूरक है।
• संरक्षित वनों का प्रतिशत हिस्सा सर्वाधिक राजगढ़ में (100%) तथा न्यूनतम उज्जैन में (0%) पाया जाता है।
3. अवर्गीकृत वन
• फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार, राज्य में अवर्गीकृत वन लगभग 1,705 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर फैले हुए हैं, जिसका क्षेत्रफल कुल वन क्षेत्रफल का लगभग 2% है।
• ऐसे वन जिनका वर्गीकरण न किया गया हो, उन्हें अवर्गीकृत वन कहा जाता है।
• इन वनों में पशुचारण, आवागमन एवं वन काटने की सुविधा होती है।
《मध्य प्रदेश का वन क्षेत्र (इण्डिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट, 2019 के अनुसार)》
वर्ग क्षेत्रफल (वर्ग किमी)
• आरक्षित क्षेत्र – 61,886 वर्ग किमी
• संरक्षित क्षेत्र – 31,098 वर्ग किमी
• अवर्गीकृत क्षेत्र – 1,705 वर्ग किमी
• कुल – 94,689 वर्ग किमी