अध्याय 2- हमारी पृथ्वी के अंदर

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 हमारी पृथ्वी के अंदर:- हमारी पृथ्वी एक गतिशील ग्रह हैं। इसके अंदर एवं बाहर निरंतर परिवर्तन होता रहता है।

 

पृथ्वी का आंतरिक भाग :– पृथ्वी के अन्दर के हिस्से को तीन भागो में बाँटा गया है –1.भू-पर्पटी  2.मैंटल  3.आंतरिक क्रोड

 

1. भू-पर्पटी :- पृथ्वी के ऊपरी परत को भू-पर्पटी कहते हैं। यह महाद्वीप के सतह के नीचे 35 किलोमीटर तक है और ये सिलिका एवं एलुमिना (सीएल )जैसी खनिजों से बनी है। और महासागर सतह के नीचे 5 किलोमीटर तक है। सिलिका एवं मैगनीशियम की बनी हैं इसे सीमै कहा जाता है।

2.पर्पटी के ठीक निचे मैंटल होता है जो 29,00किलोमीटर की गहराई तक फैला होता है।

3. इसकी सबसे आंतरिक परत क्रोड है , जिसकी त्रिज्या लगभग 3500 किलोमीटर है। यह निकल एवं लोहे की बनी होती है इसे निफे भी कहते है।

पृथ्वी के आयतन का केवल 1% हिस्सा ही पर्पटी है। 84% मेंटल एंव 15% हिस्सा क्रोड है । पृथ्वी की त्रिज्या 6371 किलोमीटर है ।

 

शैल :- पृथ्वी की पर्पटी अनेक प्रकार के शैलों से बनी है।

शैल तीन प्रकार की होती है :-

1. आग्नेय शैल :- यह मैग्मा या लावा के जमने से बनती है।उदाहरण के लिए ग्रेनाइट -मसालें तथा चूर्ण ग्रेनाइट से बने होते है। बेसाल्ट -दक्कन पठार बेसाल्ट शैलों से बने होते है। आग्नेय शैल दो प्रकार की होती है : अंतर्भेदी शैल एवं बहिर्भेदी शैल

2.अवसादी शैल :-प्रकृति के कारकों द्वारा शैल किसी स्थान पर जमा हो जाते है और दबकर एवं कठोर होकर शैल बन जाते हैं।उदाहरण के लिए , बलुआ पत्थर , रेट के दानों से बनता है। दिल्ली का लाल किला बलुआ पत्थर से बना है।

3.कायांतरित शैल :- आग्नेय एवं अवसादी शैल उच्च तप एवं दाब के कारण कायांतरित शैल में परिवतिर्त हो सकती है।उदाहरण के लिए , चिकनी मिट्टी स्लेट में एवं चूना पत्थर संगमरमर में परिवतिर्त हो जाता है – ताजमहल सफेद संगमरमर से बना है।

 

जीवाश्म – शैलो की परतो में दबे मृत पौधो एवं जन्तुओ के अवशेषो को जीवाश्म कहते हैं 

 

अध्याय 3- हमारी बदलती पृथ्वी