अध्याय 1 – सौरमंडल में पृथ्वी

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पूर्णिमा :- पूर्ण चंद्र को लगभग एक महीन में एक बार देख सकते हैं। यह पूर्ण चंद्रमा वाली रात या पूर्णिमा होती है।

 

अमावस्या : – 15 दिन के बाद हम इसे नहीं देख सकते। यह नये चंद्रमा की रात्रि या अमावस्या कहते हैं।

 

खगोलीय पिंड : – सूर्य , चंद्रमा तथा वे सभी वस्तुएँ जो रात के समय आसमान में चमकती है , खगोलीय पिंड कहलाती हैं।

कुछ खगोलीय पिंडे बड़े आकार वाले तथा गर्म होते है। ये गैसों से बने होते हैं। इनके पास अपनी उष्मा तथा प्रकाश होता है , जिसे वे बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करते है ,इन खगोलीय पिंडो को तारा कहते है। सूर्य भी एक तारा है।

 

नक्षत्रमंडल :- तारों के विभिन्न समूहों द्वारा बनाई गई विविध आकृतियों को नक्षत्रमंडल कहते हैअर्सा मेजर या बिग बियर इसी प्रकार का एक नक्षत्रमंडल है। बियर या सप्तऋषि यह सात तारों का समूह है , जो की नक्षत्रमंडल अर्सा मेजर का भाग है।

 

ध्रुव तारा :- प्राचीन समय में , लोग रात्रि में दिशा का निर्धारण तारों की सहयता से करते थे।

 

ध्रुव तारा :- प्राचीन समय में , लोग रात्रि में दिशा का निर्धारण तारों की सहयता से करते थे।उत्तरी तारा उत्तर दिशा को बताता था। इसे ध्रुव तारा भी कहा जाता है।

 

ग्रह :- कुछ खगोलीय पिंडों में अपना प्रकाश एवं ऊष्मा नहीं होती है। वे तारों के प्रकाश से प्रकाशित होते है। ऐसे पिंड ग्रह कहलाते है।

खगोलीय पिंडो एवं उनकी गति के सबंध में अध्ययन करने वालो को खगोलशास्त्री कहते है। आर्यभट्ट प्राचीन भारत के प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे।ग्रह जिसे अंग्रेजी में प्लेनेट कहते हैं। ग्रीक भाषा के प्लेनेटाइ शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है परिभ्रमक अर्थात चारों ओर घूमने वाला।

 

पृथ्वी :- जिस पर हम रहते है, एक ग्रह है। यह अपना संपूर्ण प्रकाश एवं ऊष्मा सूर्य से प्राप्त करती है , जो पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है। पृथ्वी को बहुत अधिक दुरी से जैसे चंद्रमा से देखने पर , यह चंद्रमा की तरह चमकती हुई प्रतीत होगी।सूर्य से दूरी के हिसाब से पृथ्वी तीसरा ग्रह है। आकार में। यह पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।

 

उपग्रह :- आसमान में दिखने वाला चंद्रमा एक उपग्रह है। यह हमारी पृथ्वी का सहचर है जोकि इसके चारों ओर चक्कर लगता है।

 

सौरमंडल :- सूर्य , आठ ग्रह , उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड , जैसे क्षुद्र ग्रह एवं उल्कापिंड मिलकर सौरमंडल का निर्माण करते है। उसे हम सौर परिवार का नाम देते है।

 

Geography :- ज्योग्राफी एक अंग्रेजी शब्द है। यह ग्रीक भाषा से लिया गया शब्द है , जिसका अर्थ है , पृथ्वी का विवरण

ज्योग्राफी :-पृथ्वी का विवरण ज्योलॉजी ;- पृथ्वी क अध्ययन ज्योमेट्री :- पृथ्वी का मापन ज्योऑइड – पृथ्वी के आकार के अनुरूप

 

सूर्य :-  सौर परिवार का मुखिया सूर्य है , सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। यह बहुत बड़ा है एवं अत्यधिक गर्म गैसों से बना है। इसका खिचाव बल इसमें सौरमंडल को बाँधे रखता है। सूर्य , सौरमंडल के लिए प्रकश एवं ऊष्मा का एकमात्र स्रोत है।सूर्य पृथ्वी से से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है

हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं। सूर्य से दूरी के अनुसार , वे है : बुध शुक्र , पृथ्वी ,बृहस्पति , शनि , युरेनस , तथा नेप्च्यून।

सौरमंडल के सभी आठ ग्रह एक निश्चित पथ पर सूर्य का चक्कर लगाते ये कक्षा कहलाते है।

प्लूटो भी एक ग्रह माना जाता था। परन्तु अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संगठन ने अपनी बैठक (अगस्त 2006 ) में यह निर्णय लिया कुछ समय पहले खोजे गए अन्य खगोलीय पिण्ड तथा प्लूटो ‘बौने ग्रह ‘ कहे जा सकते हैं।

 

 

भू -आभ :- ध्रुवो के पास थोड़ी चपटी होने के कारण इसके आकार को भू -आभ खा जाता है।

अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नील रंग की दिखाई पड़ती है, क्योंकि इसकी दो-तिहाई सतह पानी से ढकी हुई है। इसलिए इसे , नीला ग्रह कहा  जाता है

 

चंद्रमा :- हमारी पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है , चंद्रमा। इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का केवल एक -चौथाई है।चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 3,84,400 किलोमीटर दूर है।

 

नील आर्मस्ट्रांग :- पहले व्यक्ति थे , जिन्होंने 21 जुलाई 1969 को सबसे पहले चंद्रमा की सतह पर कदम रखा।

प्रकाश की गति लगभग 3,00,000 किमी./प्रति सेकेंड है। सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 8 मिनट का समय लगता है।

मानव -निर्मित उपग्रह एक कृत्रिम पिंड है। यह वैज्ञानिकों द्वारा बनाया जाता है। अंतरिक्ष में उपस्थित कुछ भारतीय उपग्रह इनसेट , आई.आर .एस , एडूसेट इत्यादि हैं।

 

चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27 दिन में पूरा करता है। लगभग इतने ही समय में यह अपने अक्ष पर एक चक्कर भी पूरा करता है, इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी से हमे चंद्रमा का केवल एक ही भाग दिखाई पड़ता है।

 

क्षुद्र ग्रह :- ग्रह के ही भाग हैं जो बहुत वर्ष पहले विस्फोट के बाद ग्रहों से टूटकर अलग हो गए। ये असंख्य छोटे पिंड भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगते हैं इन पिंडो को क्षुद्र ग्रह कहते है।

 

उल्कापिंड :- सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़ों को उल्कापिंड कहते हैं।लाखों तारों के समूह को आकाशगंगा (मिल्की वे) है। हमारा सौरमंडल इस आकाशगंगा का एक भाग है।लाखों आकाशगंगाएँ मिलकर ब्रह्माण्ड का निर्माण करती हैं।

 

 

ग्रहो का विवरण 

 

बुध :- यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है , यह सबसे छोटा व् सबसे हल्का ग्रह है। सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण -88 दिन

 

शुक्र :- यह पृथ्वी का निकटम , सबसे चमकीला और सबसे गर्म ग्रह है। इसे साँझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है। इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते है। सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण -255 दिन

 

मंगल :- इसे लाल ग्रह खा जाता है , इसके दो उपग्रह हैं -फोबोस और डीमोस है। सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण -687 दिन

 

बृहस्पति :- यह सौरमंडल का सबसे ग्रह है। इसका उपग्रह ग्यानिमिड हैं। सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण -12 साल

 

शनि :- यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इसका उपग्रह टाइटन है। सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण – 29 साल

 

अरुण :- यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इसकी खोज 1781 ई. में विलियम हर्शेल द्वारा की गयी है। इसका उपग्रह टाइटेनिया है। सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण – 84 साल

 

वरुण :- यह सूर्य से सबसे दिर स्थित ग्रह है। इसका उपग्रह ट्राइटन है। सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण – 164 साल

 

पृथ्वी :- पृथ्वी आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.30 झुका है। यह सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है। एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है। पृथ्वी क व्यास 6371 किलोमीटर है।

 

 

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