मौर्य साम्राज्य :- मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने 2300 साल पहले की थी। चाणक्य या कौटिल्य ने चन्द्रगुप्त की सहायता की इस साम्राज्य में तथा वह चन्द्रगुप्त के मंत्री भी थे चाणक्य ने अर्थशास्त्र की रचना की है। नगरों में व्यपारी ,सरकारी अधिकारी और शिल्पकार रहा करते थे। गांव में किसान पशुपालक थे मध्य भारत के ज्यादातर इलाके जंगलो में संग्राहण और शिकार करके जीविका चलाते थे मैगास्थनीज एक राजदूत बनकर आया था जो यूनानी राजा सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था इन की प्रसिद्ध पुस्तक है इंडिका
साम्राज्य की राजधानी
प्रशासन – साम्राज्य बड़ा होने के कारण अलग-अलग हिस्सों पर अलग-अलग ढंग से शासन किया जाता था
पाटलिपुत्र – इसके आसपास के इलाकों पर सम्राट का सीधा नियंत्रण था इसका अर्थ हुआ गांव व शहरों के किसान, पशुपालक, शिल्पकार, व्यापारियों से कर इकट्ठा करने के लिए राजा अधिकारियों की नियुक्ति करता था
तक्षशिला उज्जैन – छोटे क्षेत्रों या प्रांतों पर इन स्थानों से नियंत्रण रखा जाता था तथा कुछ हद तक पाटलिपुत्र से इन पर नियंत्रण रखा जाता था तथा इन स्थानों पर राजकुमारों को राज्यपाल बनाकर भेजा जाता था
अन्य इलाकों में सिर्फ नदियों और मार्गों पर नियंत्रण रखा जाता था तथा वहां से उन्हें संसाधन भेंट के रूप में मिलते थे उदाहरण के लिए उत्तर-पश्चिम से कंबल।, दक्षिण भारत से सोना कीमती पत्थर
अशोक सम्राट :- अशोक मौर्य वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे। वह ऐसे शासक थे जिन्होंने अभिलेखों द्वारा जनता तक अपने संदेश पहुँचाने की कोशिश की अशोक के ज़्यादातर अभिलेख प्राकृत भाषा और ब्रह्मी लिपि में हैं।
अशोक का कलिंग युद्ध :- कलिंग तटवर्ती उड़ीसा का प्राचीन नाम है। अशोक ने कलिंग को जीतने के लिए एक युद्ध लड़ा। लेकिन युद्धजनित हिंसा और खून-खराबा देखकर उन्हें युद्ध से वितृष्णा हो गई। उन्होंने निर्णय किया कि वे भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेंगे।
अशोक का धम्म क्या था :- अशोक के धम्म में किसी देवता की पूजा अथवा किसी कर्मकांड की आवश्यकता नहीं थी उन्हें लगता था कि जैसे पिता अपने बच्चों को अच्छे व्यवहार की शिक्षा देते है वैसे ही यह उनका कर्तव्य था की अपनी प्रजा को निर्देश दें। वे बुध के उपदेशों से भी प्रेरित हुए थे। अशोक ने धम्म के विचरों को प्रसारित करने के लिए सीरिया , मिस्र , ग्रीस तथा श्रीलंका में भी दूत भेजे।