अध्याय 2 – ग्लोब : अक्षांश और देशांतर

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 हमारी पृथ्वी गोलाकार नहीं है। पृथ्वी उत्तर एवं दक्षिण ध्रुवों पर थोड़ी चपटी तथा मध्य में थोड़ी उभरी हुई है। ग्लोब पर देशों , महाद्वीपों तथा महासागरों को उनके आकार में दिखाया जाता है।

एक सुई ग्लोब में झुकी हुए अवस्था में स्थित होती है , जिसे अक्ष कहा जाता है।

ग्लोब पर वे दो बिंदु जिनसे होकर सुई गुजरती है , उत्तर तथा दक्षिण धुव हैं।

काल्पनिक रेखा जो ग्लोब को दो बराबर भागों में बाँटती है। इसे विषुवत वृत्त कहा जाता है।

इस रेखा में स्थित आधे भाग को उत्तरी गोलार्ध तथा दक्षिण वाले आधे भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है।

 

अक्षांश रेखाएँ :- विषुवत वृत्त से ध्रुवो तक स्थित सभी समानांतर वृत्तों को अक्षांश रेखाएँ कहते हैं।

विषुवत वृत्त शून्य अंश अक्षांश को दर्शाता है। विषुवत वृत्त के उत्तर की सभी समानांतर रेखाओं को उत्तरी अक्षांश कहा जाता है तथा विषुवत वृत्त के दक्षिण स्थित सभी समानांतर रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है।

अक्षांश समानांतर रेखाएँ :-

1.उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा (23”30 उ. )

2.दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा (23”30 द.)

3.विषुवत वृत्त के 66”30 उत्तर में उत्तर ध्रुव वृत्त

4. विषुवत वृत्त के 66”30 दक्षिण में दक्षिण ध्रुव वृत्त,

 

पृथ्वी के ताप कटिबंध :-

1.उष्ण ताप कटिबंध :- कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच अक्षांशों पर सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सिर के ठीक ऊपर होता है। इसलिए इस क्षेत्र में सबसे अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है इसे उष्ण ताप कटिबंध कहते है।

2.शीतोष्ण कटिबंध :- उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा एवं उत्तर ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्ध में मकर रेखा एवं दक्षिण ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र का तापमान मध्यम रहता है। इसलिए इन्हें ,शीतोष्ण कहा जाता है।

3 . शीत कटिबंध :– उत्तरी गोलार्ध में उत्तरी धुव दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण ध्रुव के बीच के क्षेत्र में ठंड बहुत होती है। क्योंकि , यहाँ सूर्य क्षितिज से ऊपर नहीं आ पाता है। इसलिए ये शीत कटिबंध कहलाते हैं।

देशांतर :- उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली कल्पनिक रेखाएँ देशांतर कहलाती है। देशांतर को अंशों में मापा जाता है। प्रत्येक अंश को मिनट को सेकेंड में विभाजित किया जाता है। (अक्षांश (समानांतर) रेखाओं से भिन्न सभी देशांतरीय याम्योत्तरों की लंबाई समान होती है। देशांतर वृत्त 360 डिग्री का होता है।

 

 याम्योत्तर :- इग्लैंड के ग्रीनविच शहर से होकर गुजरने वाली रेखा को मध्याहृ रेखा कहते हैं। जहाँ ब्रिटिश राजकीय वेधशाला स्थित से गुजरने वाली याम्योत्तर को प्रमुख याम्योत्तर कहते हैं।

 

इसका मन 0 देशांतर है तथा यहाँ से हम पृथ्वी को दो समान भागों 180 पूर्वी गोलार्ध एवं 180 पश्चिम गोलार्ध में विभक्त करती है।

मुख्य मध्याहृ रेखा विभिन्न देशों में समय निर्धारित करती है।180 अक्षांश पर स्थित अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं।

यह एक ऐसी काल्पनिक रेखा है जहाँ एक दिन से तारीख बदल जाती हैऔर पूर्वी देश पश्चिम देश से एक दिन या कुछ घण्टे आगे चलते हैं।

 

मानक समय :- समय को मापने का सबसे अच्छा साधन पृथ्वी , चंद्रमा एवं ग्रहों की गति है।

सूर्योदय एवं सूर्यास्त प्रतिदिन होता है। अत: स्वाभाविक ही है की यह पुरे विश्व में समय निर्धारण का सबसे अच्छा साधन है।

पृथ्वी पश्चिम से पूर्व को ओर चक्कर लगाती है , अत: वे स्थान जो ग्रीनविच के पूर्व में हैं , उनका समय ग्रीनविच समय से आगे होगा तथा जो पश्चिम में हैं , उनका समय पीछे होगा।

समय के अंतर की  गणना निम्नलिखित विधि से की जा सकती है। पृथ्वी लगभग 24 घंटे में अपने अक्ष पर 360 घूम जाती है , अर्थात वह 1 घंटे में 15 डिग्री एवं 4 मिनट में 4 डिग्री घूमती है।

इस प्रकार समय जब ग्रीनविच में दोपहर के 12 बजते हैं , तब ग्रीनविच के समय से पूर्व में 1 बजा होगा (1 घंटे में 15 डिग्री ) आगे होगा और पश्चिम 11 बजे होंगे (1 घंटे में 15 डिग्री ) पीछे होगा

 

भारत का मानक समय :- भारत में 82”30 पूर्व को मानक याम्योत्तर माना गया है। इस याम्योत्तर के स्थानीय समय को पुरे देश का मानक समय माना जाता है। इसे भरतीय मानक समय के नाम से जाना जाता है।

भारत ग्रीनविच के 82”30 पूर्व में स्थित है तथा यहाँ का समय ग्रीनविच समय से 5 घंटा 30 मिनट आगे है। इसलिए जब लंदन में दोपहर के 2 बजे होंगे , तब भारत में शाम के 7:30 बजे होंगे।

पृथ्वी को एक-एक घंटे वाले 24 समय क्षेत्रों में बाँटा गया है। इस प्रकार प्रत्येक समय-क्षेत्र 15 डिग्री देशांतर तक के क्षेत्र को घेरता है।पीछे – पश्चिम में 12 मानक समय (15 डिग्री X 12 मानक समय =180 ) आगे + पूर्व में 12 मानक समय (15 डिग्री X 12 मानक समय =180 ) पृथ्वी अपने 24 घंटे में अपने अक्ष पर 360 घूम जाती है

 

 

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अध्याय 3 – पृ्थ्वी की गतियाँ