आंरभिक नगर :- आखेटक – खाद्य संग्राहक – यह इस महाद्वीप में 20 लाख वर्ष पहले रहते थे इन्हे यह नाम भोजन का इंतजाम करने की विधि के आधार पर दिया गया है भोजन ( जनवरो का शिकार , मच्छलियाँ , चिड़ियाँ , फल -फूल , दाने , पौधों -पतियाँ , अंडे इत्यादि।
एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने का कारण :-
भोजन की तलाश में इन्हे एक स्थान से दूसरे स्थान जाना पड़ता था
चारा की तलाश में या जानवरों का शिकार करते थे हुए एक स्थान से दूसरे स्थान
अलग-अलग मौसम में फल की तलाश पानी की तलाश में
इन लोगो ने काम के लिए पत्थरो।, लकड़ियों और हड्डियों के औजार बनाए थे।
पुरास्थल :- उस स्थान को कहते है जहाँ औजार , बर्तन और इमारतें जैसी वस्तुओं के अवशेष मिलते है
भीमबेटका :- मध्य प्रदेश इस पुरास्थल पर गुफाएँ व कंदराएँ मिली है जहाँ लोग रहते थे नर्मदा घाटी के पास स्थित है
कुरनूल गुफा :– आंध्र प्रदेश यहाँ राख के अवशेष मिले है। इसका इस्तेमाल प्रकाश , मांस , भुनने व् खतरनाक जानवरो को दूर भगाने के लिए होता था
लगभग 12000 साल पहले जलवायु में बड़े बदला आए और इसके परिणामस्वरूप कई घास वाले मैदान बनने लगे और हिरण।, बारहसिंघा , भेड़ , बकरी , गाय जैसे जानवरो की संख्या में बढ़ोतरी हुई और मछली महत्वपूर्ण स्त्रोत बना
प्रारंभिक पशुपालक व कृषक के साक्ष्य
1. बुर्जहोम – कश्मीर
2. मेहरगढ़ – पाकिस्तान
3. चिरांद – बिहार
4. कोल्डिहवा – मध्य प्रदेश
5. दाओजली – असम
बुर्जहोम :- (वर्तमान कश्मीर में ) लोग गड्ढे के निचे घर बनाते थे जिन्हे गर्तवास कहा जाता है।
मेहरगढ़ :-मेहरगढ़ में बस्ती का आरंभ 8000 साल पहले यह स्थान ईरान जाने वाले रस्ते में महत्वपूर्ण था यह बोलन दर्रे के पस एक हरा भरा समतल स्थान है।
इस इलाके में सबसे पहले जौ , गेंहूँ , भेड़ , बकरी पलना सीखा – यहाँ चौकोर तथा आयताकार घरो के अवशेष भी मिले है।
मेहरगढ़ में कब्रों के स्थ सामान भी रखे जाते थे एक कब्र में मानव के साथ एक बकरी भी दफनाई गई है।
पुरापाषाण :- यह दो शब्दों ” पूरा ” यानि ‘ प्राचीन ‘ पाषाण यानि ‘ पत्थर ‘ से बना है – इसे तीन भागो में बाँट सकते है। ‘ आरंभिक ‘,’ मध्य ‘,’ एवं उत्तर ‘ पुरापाषाण युग
पुरापाषाण काल 20,00000 -12,000 – आरंभिक काल को कहते है।
मध्यपाषाण काल 12,000 -10,000 –इस काल पर्यावरणीय बदलाव मिलते है।
नवपाषाण 10,000 साल पहले – अगले युग की शुरुआत
अध्याय 3 : आंरभिक नगर