बिहार में धार्मिक आन्दोलन | Religious Movement in Bihar

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∆ बिहार में सामाजिक एवं धार्मिक आन्दोलन

• ऋग्वैदिक काल के अन्तिम चरण (1000 ई. पू.) में वर्ण व्यवस्था का उल्लेख पुरुष सूक्त में मिलता है। धीरे-धीरे सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक जटिलताएँ समाज में बढ़ने लगीं।

इस कारण वैदिक धर्म के विरुद्ध भारत में लगभग 62 सम्प्रदायों का उदय हुआ। इनमें बौद्ध और जैन धर्म सम्प्रदाय प्रमुख थे। इन दोनों सम्प्रदायों की उत्पत्ति और विकास बिहार में हुआ।

 

∆ बिहार में बौद्ध धर्म

• बिहार बौद्ध एवं जैन दोनों ही धर्मों का उद्गम स्थल है। भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल में स्थित लुम्बिनी के आम्रकुंज में 563 ई. पू. में हुआ था।

• महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता शुद्धोधन कपिलवस्तु के शाक्य कुल क्षत्रिय तथा माता महामाया कोशल के कोलीय कुल की राजकुमारी थी।

• महात्मा बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा तथा पुत्र का नाम राहुल था।

29 वर्ष की आयु में बुद्ध ने घर छोड़ दिया था। इस घटना को बौद्ध सम्प्रदाय में महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है।

• बुद्ध को गया में बैसाख पूर्णिमा के दिन फल्गु (निरंजना) नदी के किनारे एक पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसी स्थान पर महाबोधि मन्दिर का निर्माण कराया गया है। इस घटना को बौद्ध धर्म में सम्बोधि कहा जाता है। पीपल के उस वृक्ष को बोधिवृक्ष तथा स्थान को बोधगया नाम दिया गया।

• बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया, इस घटना को बौद्ध धर्म में धर्मचक्रप्रवर्तन कहा जाता है। बुद्ध ने अपने उपदेश जनसाधारण की भाषा पालि में दिए।

• गौतम बुद्ध के शिष्य जो शासक भी थे, उनमें बिम्बिसार, अजातशत्रु, प्रसेनजित तथा उदयिन शामिल हैं।

• महात्मा बुद्ध की मृत्यु 483 ई. पू. कुशीनारा (कुशीनगर) में 80 वर्ष की अवस्था में हो गई। बौद्ध धर्म में इसे महापरिनिर्वाण कहा जाता है।

 

 

∆ बिहार में जैन धर्म

• जैन धर्म का संस्थापक ऋषभदेव को माना जाता है, जोकि पहले जैन तीर्थंकर थे।

• जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए। बिहार में जैन धर्म का उदय छठी शताब्दी ई. पू. में हुआ। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे, जो इक्ष्वाकु वंशीय राजा अश्वसेन के पुत्र थे।

• पार्श्वनाथ के अनुयायियों को निर्ग्रन्थ कहा जाता था। वे वैदिक कर्मकाण्ड एवं देववाद के कटु आलोचक थे। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें एवं अन्तिम तीर्थंकर थे। इन्हें जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक भी माना जाता है।

महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुण्डग्राम (कुण्डपुर) में 540 ई. पू. में में.. हुआ था।

• इनके पिता का नाम सिद्धार्थ था, जो ज्ञातृक-क्षत्रिय वंश के थे तथा वैशाली गण के शासक थे। इनकी माता का नाम त्रिशला (प्रियाकरणी) था, जो लिच्छवि की राजकुमारी थीं।

• महावीर स्वामी की पत्नी का नाम यशोधरा था, जिससे उन्हें प्रियदर्शना नामक पुत्री हुई।

महावीर ने 30 वर्ष की आयु में गृह त्याग दिया था। महावीर स्वामी को 12 वर्ष की गहन तपस्या के बाद जृम्भिकग्राम के निकट ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे सर्वोच्च ज्ञान (कैवल्य) की प्राप्ति हुई।

• उन्होंने अपना पहला उपदेश विपुलगिरि (राजगीर) में दिया। उनके प्रथम शिष्य जमालि थे।

• महावीर को इन्द्रियों के जीतने के कारण कैवल्य की प्राप्ति हुई। इसी कारण महावीर जिन, अर्हन्त एवं निर्ग्रन्थ कहलाए।

जैन धर्म के त्रिरत्न– सम्यक् दर्शन, सम्यक् जीवन और सम्यक् चरित्र हैं।

महावीर को निर्वाण (मृत्यु) 468 ई. पू. में राजगृह के निकट पावापुरी नामक स्थान पर मल्लराजा सृष्टिपाल के राजप्रासाद में प्राप्त हुआ था।

• जैन धर्म में सांसारिक तृष्णा बन्धन से मुक्ति को निर्वाण कहा जाता है।

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