बिहार का ऐतिहासिक स्वरूप
• बिहार ‘ विहार ‘ का परिवर्तित रूप है।
बहुसंख्यक बौद्ध विहारों के कारण इसका नाम विहार पड़ा , जो बाद में बिहार हो गया। विहार का अर्थ , शिशुओं का आवास भी होता है।
• भारतीय इतिहास की निरन्तरता लगभग 5 सहस्राब्दियों तक फैली है। देश का पूर्व ऐतिहासिक चरण लगभग 100000 ई. पू. तक विस्तृत है।
• इस विस्तृत ऐतिहासिक चरण में बिहार की भूमिका निर्णायक रही है और इससे सम्बन्धित ऐतिहासिक और पूर्व- ऐतिहासिक साक्ष्य राज्य से प्राप्त हुए हैं।
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∆ इतिहास के स्रोत
• किसी स्थान के इतिहास की जानकारी के लिए ‘स्रोत‘ को आधार बनाया जाता है। बिहार के इतिहास का अध्ययन पुरातात्विक तथा साहित्यिक स्रोत पर आधारित है।
∆ पुरातात्विक स्रोत
• पुरातात्विक स्रोतों में राज्य से शिलालेख, स्तम्भलेख, ताम्रलेख, स्मारक, सिक्के आदि की प्राप्ति हुई है।
• लौरिया – नन्दगढ़, लौरिया- अरेराज, रामपुरवा इत्यादि स्थानों से मौर्यकालीन अभिलेख तथा बड़ी संख्या में आहत सिक्के भी प्राप्त हुए हैं। इन क्षेत्रों से गुप्तकालीन सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।
• बसाढ़ से मिट्टी की लेख से उत्कीर्ण दो मुहरें प्राप्त हुई हैं। इनमें से एक मुहर महादेवी ध्रुवस्वामिनी की है।
• बोधगया से एक अभिलेख प्राप्त हुआ है, जो श्रीलंका के एक भिक्षु महामना द्वितीय से सम्बन्धित है।
• भारतीय पुरातत्त्व विज्ञान के जनक कनिंघम ने 1861 ई. में बिहार के विभिन्न पुरातात्विक स्थलों की पहचान की, जैसे बोधि मन्दिर, राजगीर के निकट बड़गाँव आदि। बड़गाँव में प्राचीन नालन्दा महाविहार स्थित है।
∆ साहित्यिक स्रोत
• साहित्यिक स्रोतों में बिहार के सन्दर्भ में प्रथम जानकारी शतपथ ब्राह्मण से मिलती है।
• रामायण, महाभारत, पुराण के अतिरिक्त बौद्ध ग्रन्थ (अंगुत्तर निकाय, दीघ निकाय, विनय पिटक), जैन रचनाएँ (भगवतीसूत्र) इत्यादि भी बिहार के सन्दर्भ में ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत करते हैं।
• अथर्ववेद में बिहार शब्द का प्रथम उल्लेख हुआ है। मगध का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है।
• ऋग्वेद में इस क्षेत्र के लिए किकट एवं अथर्ववेद में व्रात्य शब्द का प्रयोग किया गया है। कीकट क्षेत्र के शासक प्रेमगन्ध की चर्चा ऋग्वेद में है। यजुर्वेद में विदेह राज्य का एवं अथर्ववेद में अंग राज्य का उल्लेख मिलता है।
• वाल्मीकि रामायण में मलद एवं करुणा शब्द सम्भवतः गंगा के दक्षिण-पश्चिमी तटीय क्षेत्रों (बक्सर) के लिए प्रयुक्त किया गया है।
• भारत के इतिहास के सन्दर्भ में लिखी गई रचनाएँ, जैसे-कौटिल्य का अर्थशास्त्र, गुप्तकालीन साहित्यिक रचनाएँ, पाणिनि की अष्टाध्यायी, जियाउद्दीन बरनी की तारीक-ए-फिरोजशाही, बाबर की तुजुक-ए-बाबरी, अबुल फजल की अकबरनामा आदि से भी बिहार राज्य के इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
∆ विदेशी यात्रियों के वृत्तान्त
• विदेशी यात्रियों में मेगस्थनीज, फाह्यान, ह्वेनसांग, इत्सिंग, डिमॉक्लिस, युआन–च्वांग के वृत्तान्तों से भी प्राचीन बिहार के सम्बन्ध में व्यापक जानकारी प्राप्त होती है।