इतिहास: –
• हरियाणा का इतिहास गौरवशाली है तथा यह वैदिक काल से आरम्भ होता है| हरियाणा ब्रिटिश प्रान्त में पंजाब का एक हिस्सा था |
• हिसार में बनावली और राखीगवी हरियाणा की प्राचीन परम्परा के प्रतीक हैं लगभग 5000 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने यहीं पर अर्जुन को गीता के उपदेश दिए थे |
• पानीपत की एतिहासिक लड़ाइयां भी यहीं पर हुई। वर्ष 1857 का के विद्रोह को कुचलने के पश्चात ब्रिटिश प्रशासन द्वारा झज्जर और बहादुरगढ़ के नवाबों बल्लभगढ़ के राजा तथा रेवाड़ी राव लिए गए या पटियाला नाभा तथा जींद के शासकों को दे दिए गए।
•इस तरह हरियाणा पंजाब प्रांत का हिस्सा बन गया। 1 नवंबर 1966 को पंजाब के पुनर्गठन के बाद हरियाणा पूर्ण राज्य बन गया।
हरियाणा की जलवायु: –
• हरियाणा की जलवायु साल भर में गांगेय मैदानों के समान रहती है यहां का मौसम गर्मियों में बहुत गर्म, जबकि सर्दियों में मध्यम ठंड रहता है| सबसे गर्म महीने मई और जून होते हैं जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है
•नारनौल वह हिसार गर्मी में सबसे गर्म तथा सर्दी में सबसे ठंडे शहर और सबसे ठंडे महीने दिसंबर और जनवरी रहते हैं | कोप्पेन वर्गीकरण के अनुसार राज्य में तीन मौसम क्षेत्र पाए जाते हैं
• राज्य के पश्चिमी तथा मध्य हिस्सों की जलवायु अर्द्ध शुष्क है, उत्तरी तथा पूर्वी क्षेत्रों की गर्म भूमध्यसागरीय, जबकि दक्षिणी क्षेत्रों की जलवायु मरूस्थलीय है|
हरियाणा के प्रमुख जलवायु प्रदेश
1.ग्रीष्म ऋतु
2.वर्षा ऋतु
3.शीत ऋतु
उद्योग :– हरियाणा औद्योगिक रूप से बड़ा ही समृद्ध राज्य है हरियाणा कार, ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, साइकिल, रेफ्रिजरेटर, वैज्ञानिक उपकरण आदि अनेक प्रकार के उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है
विश्व में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातकर्ता है पिजोर में हिन्दुस्तान मशीन टूल्स का एक कारखाना है तथा गुड़गांव में मारुति का कारखाना है |
पर्यटन स्थल :- हरियाणा में 44 से ज्यादा पर्यटक स्थल है – ब्लू जे ( समालखा), मैगपाई (फरीदाबाद), स्काईलार्क (पानीपत), किंगफिशर (अम्बाला), चक्रवर्ती झील वह ओयसिस(उचाना),पराकीर(पीपली),दवचिक(होडल), जंगल बबलर (धारूहेड़ा),
रेड बिशप (पंचकुला जू बर्ड) हिसार,शमा (गुड़गांव),गोरैया (बहादुरगढ़),पिजोर गार्डन (पिंजौर), दिल्ली के पास सूरजकुंड और बड़कल झील, सुल्तानपुर पक्षी विहार (गुड़गांव),दमदमा( गुड़गांव), चीड़ के वन के लिए मोरनी पहाड़ियां भी अति आकर्षक स्थल हैं
लोकनृत्य :- रासलीला (भगवान कृष्ण के लिए),फाग नृत्य (फागुन के महीने में),दफ नृत्य (बसन्त ऋतु में ) लूर (होली पर के लिए),घूमर नृत्य (देवी-देवताओ के लिए),खोरिया नृत्य (केवल महिलाओं द्वारा)
मेले/उत्सव :- गोपाल-मोचन उत्सव (अम्बाला में), मेला देवी (रोहतक),बसदोद मेला (रेवाड़ी तहसील)