उत्तर प्रदेश का इतिहास
उत्तर प्रदेश अति प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक राजनैतिक और सांस्कृतिक विकास का प्रमुख केंद्र रहा है प्रचंद प्रदेश से पूर्व की ओर बढ़ने पर आर्य ने इस देश को अपना प्रमुख कार्य क्षेत्र बनाया
आर्यों के पूर्व भर्ती निवासियों की संस्कृति निषाद संस्कृति के नाम से जानी जाती है उनके वंशज तथा उनकी सभ्यता के कुछ अवशेष आज भी अनेक स्थानों पर पाए जाते हैं
प्रागैतिहासिक काल को निम्नलिखित युगों में विभक्त किया गया है
(1) पूर्व पाषाण युग :- यह मानव सभ्यता की प्रथम मंजिल मानी जाती है मिर्जापुर, बांदा तथा इलाहाबाद जिलों से पत्थर के बहुत से गढे- अनगढे हथियार मिले हैं जिनका प्रयोग उस काल के लोग करते थे
(1) उत्तर पाषाण काल :– सभ्यता के क्रमिक विकास में उत्तर पाषाण युग दूसरी मंजिल है उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में सबसे अधिक इस युग के अवशेष प्राप्त हुए हैं
(3) ताम्र युग :- पत्थर के बाद मानव ने धातु का प्रयोग करना सीखा। सबसे पहले तांबे का इस्तेमाल किया गया। कानपुर के बिठूर तथा शिवराजपुर से और उन्नाव जिले के परियर नामक स्थान से पुराने तांबे के औजार मिले हैं।
बदायूं जिले के बिसौली बिजनौर के राजपुर सीतापुर जिले के हरदी और गंधौली बांदा जिले के मानिकपुर के आसपास और मिर्जापुर के दक्षिणी भाग आदि स्थानों से भी ताम्र युग की बहुत सी वस्तुएं प्राप्त हुई हैं। इनमें विविध प्रकार के बाण- फलक और मानवाकृतियां विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
पूर्व वैदिक युग :- पूर्व वैदिक युग की सभ्यता को जानने के लिए ऋग्वेद में प्रचार सामग्री है इससे पता चलता है कि पहले आर्य लोग अणु , पुरु , यदु आदि जनों या टुकड़ियों में बटे हुए थे इनके बाद भारत, पांचाल, कुरु,मत्स्य उशीनर आदि अन्य जनों के नाम मिलते हैं ।
उत्तर वैदिक काल :- लगभग पूर्व 1000 से लेकर पूर्व सातवीं शताब्दी के अंत तक का समय उत्तर वैदिक काल कहलाता है। इस काल में प्रवर्ती वैदिक साहित्य ब्राह्मणों एव उपनिषदों की रचना हुई।
बुध के समय से गुप्तकाल तक :- महात्मा बुद्ध का आविर्भाव ई. पूर्व 623 में माना जाता है उनके समय में भारत के 16 बड़े राज्यों( षोडश महाजनपदों) का उल्लेख मिलता है उनमें से आठ राज्य उत्तर प्रदेश में थे जो इस प्रकार है।
(1) काशी :– इसकी राजधानी वाराणसी (बनारस )थी । ब्रह्मदत्त राजाओं के राज्यकाल में इस राज्य की अच्छी उन्नति हुई।
(2) कोसल :- इस राज्य की राजधानी श्रावस्ती (वर्तमान सहेत -महेश ,जिला गोंडा ,बहराइच )थी। इसके पहले साकेत और अयोध्या कोसल के प्रधान नगर थे।
(3) मल्ल :- यह राज्य हिमालय की तराई में था। मल्ल की दो शाखाएं थी- एक का केंद्र कुशीनारा में और दूसरे का पावा में था।
(4) चेटि या चेदि :- यह राज्य आधुनिक बुंदेलखंड में था इसकी राजधानी सुक्तिमती थी जिसे सेत्थिवती
नगर भी कहते थे |
(5) वरू या वत्स :- अवंती राज्य की पूर्वोत्तर में यमुना के किनारे यह राज्य था इसकी राजधानी कौशांबी थी|
(6) कुरु :– दिल्ली के आसपास का प्रदेश इंद्रप्रस्थ और हस्तिनापुर उसके प्रधान नगर थे
(7) पंचाल :- आधुनिक रुहेलखंड इसके 2 भाग थे उत्तर और दक्षिण पंचाल इन दोनों के बीच की सीमा गंगा नदी थी उत्तर पंचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिण पंचाल की काम्पिल्य थी |
(8) शूरसेन :- मत्स्य राज्य के पूर्व में था इसकी राजधानी मथुरा थी |
तुर्क – अफ़गानों का आधिपत्य :- उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का शासन काल तेरी शताब्दी से प्रारंभ हुआ उस समय से लेकर 1526 ईसवी तक तुर्को तक अफगानों का आधिपत्य इस प्रदेश पर रहा | ईसवी 1206 1526 तक जिन विभिन्न राजवंशों का प्रभुत्व दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश पर रहा वह है —
गुलाम वंश ( 1206 -1290 ईसवी ),
खिजली वंश ( 1290 – 1320 ईसवी)
तुगलक वंश ( 1320 – 1413 ईसवी)
सैयद वंश (1414 – 1451 ईसवी)
लोदी वंश (1451 – 1526 ईसवी)
इस लंबे समय में समाज धर्म और कला के क्षेत्र में अनेक परिवर्तन हुए।
मुगल काल :- 1526 ईस्वी में बाबर ने दिल्ली को जीतकर भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की के लगभग 30 वर्ष बाद ही मुगल शासन की पताका प्राय: सारे भारत पर लहराने लगी लगभग
2 शताब्दियों तक भारत में मुगलों का आधिपत्य रहा इस काल में राजनीतिक क्षेत्र में इतनी उत्तल पुथल और अशांति ना रही जितनी कि इसके पहले के काल में थी मुगल सम्राटों के अकबर (1526 – 1605) सबसे प्रसिद्ध हुआ।
उसने हिंदुओं के प्रति सहानुभूति पूर्ण नीति अपनाकर साम्राज्य को शक्तिशाली बनाया ।
ब्रिटिश शासन काल :- मुगल काल के अंत में अंग्रेजी की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के कई देशों पर अपना अधिकार कर लिया और धीरे-धीरे उसने अपनी शक्ति
को बहुत बड़ा लिया 1757 ईस्वी में प्लास्टिक की विजय तथा उसके 7 वर्ष पश्चात बक्सर की विजय ने अंग्रेजों के भाग्य का फैसला कर दिया वे अब भारत की अद्वितीय शक्ति बन गए 18 वीं शताब्दी का अंत होते-होते उत्तर प्रदेश के भी एक बड़े भाग पर उनका अधिकार हो गया ।