अध्याय 6 – पृथ्वी के प्रमुख स्थलरुप

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पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप :- पृथ्वी की सतह सभी जगह एकसमान नहीं है। पृथ्वी पर अनगिनत प्रकार के स्थलरूप हैं। स्थलमंडल के कुछ भाग ऊँचे-नीचे तथा कुछ समतल होते हैं।

 

ये स्थलरूप दो प्रक्रियाओं के परिणाम स्वरूप बनते हैं।

प्रथम या आंतरिक प्रक्रिया के कारण बहुत से स्थानों पर पृथ्वी की सतह कहीं ऊपर उठ जाती है तो कही धँस जाती है।

दूसरी या बाह्य प्रक्रिया स्थल के लगातार बनने एवं टूटने की प्रक्रिया है। पृथ्वी की सतह के टूटकर घिस जाने को अपरदन कहते हैं। अपरदन की क्रिया के द्वारा सतह नीची हो जाती है तथा निक्षेपण की प्रक्रिया के द्वारा इनका फिर से निर्माण होता हैं।

 

1 .पर्वत :- पर्वत पृथ्वी की सतह की प्राकृतिक ऊँचाई है। पर्वत का शिखर छोटा तथा आधार चौड़ा होता है। यह आस-पास के क्षेत्र से बहुत ऊँचा होता है। कुछ पहाड़ बादलो से भी ऊँचे होते हैं। जैसे-जैसे आप ऊँचाई पर जाएँगे जलवायु ठंडी होती जाती है।

2. हिमानी :-कुछ पर्वतों पर हमेशा जमी रहने वाली बर्फ की नदियाँ होती हैं। श्रंखला :- पर्वत एक रेखा के कर्म में भी व्यवस्थित हो सकते हैं जिसे श्रंखला कहा जाता है। ये सैकड़ो किमी. में फैले होते हैं।

हिमालय , आल्प्स तथा एंडीज क्रमश: एशिया , यूरोप तथा दक्षिण अमेरिका की पर्वत श्रंखलाएँ हैं। पर्वतों की ऊँचाई एवं आकार में भिन्नता होती है।

पर्वत तीन प्रकार के होते हैं –वलित पर्वत , भ्रंशोत्थ पर्वत , तथा ज्वालामुखी पर्वत।

1. हिमालय तथा आल्प्स वलित पर्वत हैं जिनकी सतह उबड़-खाबड़ तथा शिखर शंक्वाकार है। भारत की अरावली श्रंखला विश्व की सबसे पुरानी वलित पर्वत श्रंखला है।

2.भ्रंशोत्थ पर्वत :- जब बहुत बड़ा भाग टूट जाता है तथा ऊर्ध्वाधर रूप से विस्थापित हो जाता है तब भ्रंशोत्थ पर्वतों का निर्माण होता है। यूरोप की राईन घाटी तथा वॉसजेस पर्वत इस तरह के पर्वत तंत्र के उदाहरण हैं।

3. ज्वालामुखी पर्वत :- ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण बनते हैं। अफ्रीका का माउंट किलिमंजारो तथा जापान का फ्यूजियमा इस तरह के पर्वतों के उदाहरण है।

3. पठार :- उठी हुई एवं सपात भूमि होती है। इसका ऊपरी भाग मेज के समान सपात होता है। पठारों की ऊँचाई प्राय: कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है। पठार नये या पुराने हो सकते हैं। भारत में दक्क्न पठार , केन्या में तंजानिया तथा पूर्वी अफ़्रीका का युगांडा।

तिब्बत का पठार विश्व का सबसे ऊँचा पठार है जिसकी ऊँचाई माध्य समुद्र तल से 4,000 से 6,000 मीटर तक है।

अफ्रीका का पठार सोना एवं हीरों के खनन के लिए प्रसिद्ध है।

भारत में छोटानागपुर के पठार में लोहा , कोयला , तथा मैंगनीज के बहुत बड़े भंडार पाए जाते हैं।

प्रशांत महासागर में स्थित मॉनाकी पर्वत (हवाई द्वीप ) सागर की सतह के निचे स्थित है। इसकी ऊँचाई (10,205 मीटर )एवरेस्ट शिखर से भी अधिक है।

 4. मैदान :- मैदान समतल भूमि के बहुत बड़े भाग होते हैं। वे सामान्यत: माध्य समुद्री तल से 200 मीटर से अधिक ऊँचे नहीं होते हैं। अधिकांश मैदान नदियों तथा उनकी सहायक नदियों के द्वारा बने हैं।

एशिया में स्थित भारत में गंगा का मैदान प्रमुख उदाहरण है। मनुष्य के रहने , खेती , के लिए उपयोगी है।

 

अध्याय 7 – हमारा देश : भारत