अध्याय 2 : विविधता एवं भेदभाव

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हम क्या बोलते हैं क्या खाते हैं क्या पहनते हैं क्या उत्सव मनाते हैं इस पर उस स्थान के भूगोल व इतिहास का असर पड़ता है

पूर्वाग्रह – इसका अर्थ पूर्व-निर्णय  है अर्थात किसी मामले के तथ्य की जांच किए बिना ही राय बना लेना या मान लेना

 

कई बार हम लोगों के संदर्भ में नकारात्मक पूर्वाग्रह बना देते हैं जो भेदभाव को जन्म देता है

कुछ सामाजिक पूर्वाग्रह जो लड़का लड़की में भेदभाव को जन्म देते हैं

लड़की – लड़कियां ऐसी होती हैं कमजोर कोमल मृदुस्वभाव

लड़के – बे रोते नहीं कमजोर नहीं होते बहादुर होते हैं

रूढ़िबद्ध धारणा जब हम सभी लड़कों को एक ही छवि में बांध देते हैं या उनके बारे में पक्की धारणा बना लेते हैं तो उसे रूढ़िबद्ध धारणा कहते हैं उदाहरण जब हम धर्म लिंग या देश के आधार पर किसी को कंजूस अपराधी बेवकूफ बोलते हैं

रूढ़िबद्ध धारणा बड़ी संख्या में लोगों को एक ही प्रकार के खाँचे में जड़ देती है भेदभाव तब होता है जब हम लोग पूर्वग्रहों या रूढ़िबद्ध धारणाओं के आधार पर व्यवहार करते हैं

कुछ लोगों को विविधता और असमानता पर आधारित दोनों ही तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है

विविधता – वे उस समुदाय के सदस्य हैं जिसकी संस्कृति को मूल्यवान नहीं समझा जाता असमानता यदि वे गरीब हैं और उनके पास अपनी जरुरतों को पूरा करने के साधन नहीं है

इस प्रकार के दोहरे भेदभाव का सामना कैद धार्मिक जनजातियां समुदाय किसी विशेष जगह के लोग कर रहे हैं

दलित – इस शब्द को नीची कहीं जाने वाली जाती के लोग अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल करते हैं इसका अर्थ है दबाया गया कुचला गया  सरकार ऐसे लोगों को अनुसूचित जनजाति के वर्ग में रहती है

भारत में जाति व्यवस्था भी भेदभाव को जन्म देती है

स्वतंत्रता के लिए किया गया संघर्ष में समानता के व्यवहार के लिए किया गया संघर्ष भी शामिल था

1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो संविधान में समानता को लिया गया और इसे कानूनी रुप दिया गया परंतु आज भी असमानता व्याप्त है

 

अध्याय 3 – सरकार क्या है ?