मध्य प्रदेश के परिवहन | Transport MP GK

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      परिवहन 

राज्य में आर्थिक विकास में यातायात मार्गों एवं परिवहन संसाधनों का विशेष महत्त्व है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, राज्य की अर्थव्यवस्था में परिवहन क्षेत्र की भागीदारी वर्ष 2017-18 में 2.70% रही।

राज्य में परिवहन साधनों को निम्न तीन भागों-सड़क परिवहन, रेल परिवहन तथा वायु परिवहन में विभक्त किया गया है।

1. सड़क परिवहन

• राज्य में सड़क यातायात कॉर्पोरेशन अधिनियम, 1950 के अन्तर्गत ‘मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की स्थापना वर्ष 1962 में की गई थी।

• इसे वर्तमान में समाप्त कर दिया गया है और अब निजी बस प्रबन्धकों द्वारा अनुबन्ध के आधार पर सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं।

• आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, राज्य में जनवरी, 2018 तक लोक निर्माण विभाग द्वारा संधारित सड़कों की कुल लम्बाई 64,923 किमी है।

• राज्य में सड़कों की देख-रेख व निर्माण ‘केन्द्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग’ करता है।

• चालक/परिचालकों के कल्याण हेतु चालक परिचालक कल्याण बोर्ड वर्ष 2015 में गठित किया गया है।

• राज्य में सड़कों का सर्वाधिक घनत्व वाला जिला सतना है तथा सबसे कम घनत्व वाला जिला श्योपुर है।

प्रदेश में सड़क परिवहन को निम्न चार वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है

 

(i) राष्ट्रीय राजमार्ग

• सड़क परिवहन व राजमार्ग मन्त्रालय के नवम्बर, 2018 तक के आँकड़ों के अनुसार राज्य से 44 राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं, जिनकी लम्बाई लगभग 8772 किमी है।

• राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य को मुम्बई, आगरा, वाराणसी, कन्याकुमारी, जयपुर, लखनऊ, झाँसी, इलाहाबाद, अहमदाबाद, राँची, उधमपुर, कोटा, बाँदा, अजमेर, कानपुर आदि नगरों से जोड़ते हैं।

 

(ii) प्रान्तीय/राज्य राजमार्ग

• आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार, राज्य प्रान्तीय राजमार्गों की लम्बाई 11,389 किमी है।

• राज्य का सबसे लम्बा राजमार्ग चिल्पी से बड़ोदरा तक जाता है, जिसकी लम्बाई 755.3 किमी है।

• राज्य में कुल प्रान्तीय/राज्य राजमार्गों की संख्या 48 हैं।

 

(iii) मुख्य जिला मार्ग

• आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार राज्य में मुख्य जिला मार्गों की कुल लम्बाई 22,129 किमी है।

• इन मार्गों के निर्माण का मुख्य उद्देश्य जिले के नगरों, बड़ी बस्तियों एवं अन्य प्रशासनिक केन्द्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ना है।

• मुख्य जिला मागों का राज्य में असमान वितरण है। इन मार्गों का प्रति 100 वर्ग किमी पर घनत्व सर्वाधिक भोपाल में 17.4 किमी है।

 

(iv) ग्रामीण मार्ग

• आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार राज्य में ग्रामीण मार्गों की लम्बाई 23,395 किमी है। राज्य के ग्रामीण मार्गों की लगभग एक-चौथाई सड़कें कच्ची हैं। इन सड़कों पर वर्षा ऋतु परिवहन अत्यधिक कठिन हो जाता है।

• प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क परियोजना लागू होने के बाद राज्य में लगभग 43.4% गाँव सार्वकालिक सड़क से जुड़ गए हैं।

 

प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना

ग्रामीण क्षेत्रों की परिवहन सेवा को बेहतर सुविधा देने हेतु इस योजना की शुरुआत केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2000 में की गई थी। इसके अन्तर्गत सामान्य विकास खण्ड क्षेत्र में 500 या इससे अधिक तथा आदिवासी विकासखण्डों में 250 या इससे अधिक की आबादी के सम्पर्क विहीन ग्रामों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने का कार्य किया जाता है।

मई 2017 के अन्त तक राज्य 18510 निर्माणधीन मार्गों में से 15888 मार्ग पूर्ण हो गए है।

मुख्यमन्त्री ग्राम सड़क योजना

मुख्यमन्त्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के सामान्य क्षेत्र में 500 तथा आदिवासी क्षेत्र में 250 से कम आबादी वाले सभी राजस्व गाँवों को सिंगल कनेक्टिविटी से जोड़ना है।

इस योजना के तहत राज्य में 15 हजार किलोमीटर मुख्य सड़कों का निर्माण किया गया है।

 

《मध्य प्रदेश परिवहन नीति 2010》

मध्य प्रदेश परिवहन नीति बनाने वाला प्रथम राज्य है। इस नीति के प्रमुख बिन्दु निम्न है
▪ सार्वजनिक परिवहन बसों को प्रोत्साहन।
▪ माल वाहनों पर प्रभावी नियन्त्रण।
▪ प्रदेश के मार्गों का विकास एवं निर्माण।
▪ खुली परमिट व्यवस्था/परमिट शर्तों का पालन करना।
▪ ग्रामीण क्षेत्रों में यात्री परिवहन व्यवस्था सुदृढ करना।

 

2. रेल परिवहन

• मध्य प्रदेश में पहला रेलमार्ग 1865 – 1878 में निर्मित किया गया, जो कि दिल्ली-मुम्बई रेलमार्ग को पूरा करने के लिए बनाया गया था।

• राज्य में सबसे पहला रेलमार्ग 1867 ई. में इलाहाबाद से जबलपुर तक परिवहन हेतु खोला गया था।

• राज्य का पहला ISO प्रमाणित रेलवे स्टेशन हबीबगंज स्टेशन तथा प्रथम ISO प्रमाणित रेलगाड़ी भोपाल एक्सप्रेस है।

• रेल मन्त्रालय के दिसम्बर, 2016 के आँकड़ों के अनुसार, राज्य में रेलमार्गों की कुल लम्बाई लगभग 5000 किमी है।

• राज्य का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन इटारसी है।

• रेलवे के क्षेत्रीय मुख्यालय भोपाल, रतलाम तथा उज्जैन में स्थित हैं।

• राज्य में एकमात्र रेलवे जोन जबलपुर में वर्ष 1998 में स्थापित किया गया।

• राज्य में रेल सेवा विभाग का मुख्यालय भोपाल में अवस्थित है।

 

मध्य प्रदेश में रेलवे क्षेत्र

वर्तमान में मध्य प्रदेश की रेलवे लाइनें 5 रेलवे जोन में शामिल हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित हैं

(i) पश्चिमी मध्य रेलवे जोन मध्य प्रदेश में इस रेलवे जोन का सर्वाधिक विस्तार है। इस जोन का मुख्यालय जबलपुर तथा सम्भागीय मुख्यालय जबलपुर एवं भोपाल में है।

यह जबलपुर जोन का भी मुख्यालय है। राज्य के 24 जिले इस जोन के अन्तर्गत आते हैं, जिसमें रीवा, कटनी, सतना आदि शामिल हैं। इस जोन में मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया गया है।

(ii) पश्चिमी रेलवे जोन इसका सम्भागीय मुख्यालय रतलाम जिले में है। इसके अन्तर्गत दिल्ली, मुम्बई, गुना-मक्सी रेल लाइनें तथा इन्दौर, देवास, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर आदि जिले आते हैं।

(iii) दक्षिण पूर्वी मध्य रेलवे जोन इसका सम्भागीय मुख्यालय अनूपपुर जिले में है। इस जोन के अन्तर्गत राज्य के शहडोल, छिन्दवाड़ा, बालाघाट, सिवनी आदि जिले आते हैं।

(iv) मध्य रेलवे इसका सम्भागीय मुख्यालय खण्डवा जिले में स्थित है। इसमें मुम्बई-दिल्ली, खण्डवा-हिंगाली रेलवे लाइनें आती हैं। इसमें राज्य के निमाड़, होशंगाबाद, हरदा आदि जिले आते हैं।

(v) उत्तर मध्य रेलवे इसका सम्भागीय मुख्यालय ग्वालियर जिले में है। इसमें मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग के जिले सम्मिलित हैं।

 

《राज्य के महत्त्वपूर्ण रेलवे प्रतिष्ठान》

  रेलवे प्रतिष्ठान                स्थान

• कोच रिपेयर वर्कशॉप – भोपाल(निशातपुरा)
• रेल स्प्रिंग कारखाना   – ग्वालियर(सितौली)
• वैगन रिपेयर वर्कशॉप – सतना
• इलेक्ट्रिक लोको शेड  – कटनी, इटारसी
• डीजल लोको शेड      – कटनी, रतलाम,
                                    इटारसी
• रेलवे रिक्रूटमेण्ट बोर्ड  – भोपाल
• रेलवे स्लीपर बनाने     – वनखेड़ी(बुधनी)
  का कारखाना

 

3. वायु परिवहन

• मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम विमान सेवा की शुरुआत 26 जुलाई, 1948 को इन्दौर से ग्वालियर, दिल्ली और मुम्बई के लिए हुई थी।

• राज्य में प्रमुख 5 हवाई अड्डे मण्डीदीप (भोपाल), पीथमपुर (इन्दौर), मालनपुर (ग्वालियर), मनेरी (जबलपुर) तथा खजुराहो में हैं। ये हवाई अड्डे राज्य की औद्योगिक तथा पर्यटन की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

• राज्य में भोपाल (राजा भोज अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) तथा इन्दौर (देवी अहिल्याबाई होल्कर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) को अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित किया गया है। देवी अहिल्याबाई होल्कर राज्य का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है।

• राज्य के इन्दौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और खजुराहो इण्डियन एयरलाइन्स एवं वायुदूत तथा जेट एयरवेज नियमित सेवाओं से जुड़े हैं।

• राज्य के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान कान्हा-किसली में हवाई पट्टी की सुविधा उपलब्ध है।

• राज्य में भारतीय सेना की दो हवाई पट्टियाँ ग्वालियर (वायु सेना) और नीमच (गैरिसन इंजीनियरिंग, महू) जिलों में हैं।

• राज्य में सुरक्षा बलों की दो पट्टियाँ टेकनपुर (ग्वालियर) और शिवपुरी में हैं।

• राज्य में राष्ट्रीय विमान पत्तन की कुल 7 हवाई पट्टियाँ हैं, जो इन्दौर, खण्डवा, ग्वालियर, भोपाल, खजुराहो, सतना व जबलपुर में स्थित है।

 

 

 

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